गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev : एक दिन गुरु नानक देव कुछ अनोखे प्रकार से व्यहवार करने लगे. वह ऐसा व्यहवार कर रहे थे, जैसे वह पागल हो गए हो. उन्होंने अपने हाथ में एक लकड़ी ली और अपने मार्ग में हर आने वालो को पीटना शुरू कर दिया. उनके शिष्य और उनके अनुयायी समझ ही नहीं पा रहे थे कि वे क्या करें। जब भी वे गुरु जी के निकट जाते हर बार वे सभी को लकडी से मारते। यह देखकर सभी लोग घबराए हुए थे। तब गुरु नानक देव ने लकड़ी उठाई और सड़क पर चले गए।

Also Check : एक किसान की पुकार

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev : मार्ग में जो कुत्ते उन पर भौंकते, उन्हें भी लकड़ी की मार झेलनी पड़ती। उनके पुत्र बाबा बुद्धा तथा शिष्य भाई लहना भी उनके पीछे – पीछे चल दिए. शीघ्र ही गुरु देव भक्त के अन्य भक्त भी इकट्ठे होकर उनके पीछे चल दिए। थोडी देर बाद गुरु देव एक शमशान घाट पर पहुँच गए। वहाँ सफेद कपडों में एक लाश लिपटी हुई पड़ी थी। उसके पास पहुँचकर वह भीड़ की ओर मुड़े और बोले, “मित्रों, मैंने आज तुम्हारे लिए भोजन की व्यवस्था की है। मैं जानता हूँकि तुम सभी भूखे हो। आओ, अब आगे बढ़कर इस मृत शरीर को खाना आरम्भ करो।’ सभी लोग गुरु नानक देव की इस प्रकार की बातें सुनकर हैरान हो गए।

Also Check : Happy Birthday SMS for Boyfriend

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev : कोई भी व्यक्ति एक मृत शरीर को खाने के विषय में नहीं सोच पा रहा था। तब उनका एक शिष्य बोला, “हम लोग भूखे नहीं हैं।” “यदि तुम भूखे नहीं हो, तो इसे आदेश मानकर खाना आरम्भ करो।” सभी लोगों में से कोई एक इन्च भी नहीं हिला, तब भाई लहना एक कदम आगे आए और बोले, “गुरुजी, मैं कहाँ से खाना आरम्भ करूं? सिर की तरफ से या पैरों से।” यह सुनकर, गुरु नानक देव बोले, “पाँव की तरफ से।” तब लहना मृत शरीर के पास गए और उसका कफन उतारा, परन्तु वहाँ तो कोई न था। “गुरु जी, यहाँ तो कोई मृत शरीर नहीं है।” गुरु नानक देव ने हँसते हुए अपने दोनों बाजू लहना की तरफ फैला दिये और बोले। “लहना, मैं केवल अपने शिष्यों की परीक्षा ले रहा था। तुम मेरे सच्चे शिष्य हो। आओ मैं तुम्हें गले लगा लूँ.”

Also Check : Benefits of Drinking Warm Water in Hindi

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev : इसीलिए गुरु नानाक्क द्व ने लहना को गले लगाकर कहा, ” मेरा शरीर अंग है, मैंने तुम्हें इसी शरीर के गले लगाया, इसलिए आज से तुम अंगद कहलाओगे।” यह घटना तब की है, जब गुरु नानक देव बूढ़े हो चुके थे। इस नश्वर संसार को छोड़ने से तीन महीने पहले उन्होंने अंगद को अपने पास बुलाया और बोले, “अंगद, ये पाँच पैसे तथा यह नारियल लो। मैं भविष्य के लिए तुम्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करता हूँ। तुम्हें अब लोग अंगद देव के नाम से जानेंगे। तुम अब खादुर जाओ और वहीं रहो और मेरे द्वारा शुरू किए कामों को पूरा करो।” – इस प्रकार अंगद देव, सिक्खों के दूसरे गुरु कहलाये।

Also Check : Life Quote in Hindi

गुरु देव अंगद | Guru Angad Dev

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.