बुरे काम का बुरा ही परिणाम होता है | Bure Kaam Ka Bura Hi Parinaam Hota Hain

बुरे काम का बुरा ही परिणाम होता है | Bure Kaam Ka Bura Hi Parinaam Hota Hain

बुरे काम का बुरा ही परिणाम होता है | Bure Kaam Ka Bura Hi Parinaam Hota Hain : पुराने समय की बात है। किसी नगर में एक दुष्ट राजा का राज्य था। वह बड़ा कठोर था। उसकी प्रजा दिन-रात उसके मरने की कामना करती रहती थी। प्रजाजनों ने राजा का नाम ही ‘निष्ठुर राजा’ दे रखा था।

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एक दिन आश्चर्यजनक घटना हुई। राजा ने अपनी प्रजा को महल के आगे इकट्ठा किया और बोला – ‘मैं जानता हूं कि तुम लोग मेरे दुव्र्यवहार से त्रस्त हो, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि अब मैं बदल गया हूं। तुम्हें जरा भी नहीं सताऊंगा। अब तुम सब सुख-शांति से रहो।”
राजा की बात पर प्रजा को विश्वास नहीं हुआ। कानाफूसी होने लगी – ‘जरूर यह इस दुष्ट की कोई चाल है हो सकती है वह जल्दी फिर परेशान करे।’ पर यह क्या? ऐसी शंकाएं व्यर्थ सिद्ध हुई। राजा तो सचमुच बदल गया था। वह बड़ा दयालु हो गया। जैसे – जैसे दिन बीत रहे थे उसका आचरण और भी अच्छा होता गया। अब प्रजा बड़ी प्रसन्न थी।

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बुरे काम का बुरा ही परिणाम होता है | Bure Kaam Ka Bura Hi Parinaam Hota Hain
बुरे काम का बुरा ही परिणाम होता है | Bure Kaam Ka Bura Hi Parinaam Hota Hain : एक दिन साहस करके द्वारपाल ने राजा से पूछा – ‘महाराज, क्षमा करें! पर क्या करूं मन नहीं माना। मैं यह जानना चाहता हूं कि आप में इतना परिवर्तन आया कैसे?’ राजा ने उसकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए मुस्कराते हुए बताया – ‘मैं एक दिन घुड़सवारी कर रहा था कि अचानक मैंने देखा एक लोमड़ी के पीछे कुत्ता दौड़ रहा है। कुत्ते ने उसे काट लिया। लोमड़ी लंगड़ी तो हुई, पर किसी तरह एक घर में घुसकर उसने अपने प्राण बचा लिए। कुत्ता अभी दूर नहीं जा पाया था कि एक आदमी ने पत्थर मारकर उसे भी लंगड़ा बना दिया। वह आदमी अभी गया ही था कि उधर से आ रहे घोड़े ने लात मारकर उसे लंगड़ा कर दिया। और अब घोड़ा दौड़ रहा था तो एक गड्ढे में उसका पैर आया और गिरकर वह भी लंगड़ा हो गया। यह देखकर मेरी आंख खुली और मैं समझ गया कि ‘बुरे काम का बुरा ही परिणाम होता है’, तभी से मैं सुधर गया।’

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