Earth Day Essay in Hindi | पृथ्वी दिवस पर निबंध

Earth Day Essay in Hindi

Earth Day Essay in Hindi : आज हम आपके लिए खेती बाड़ी से जुड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियाँ लेकर आएं हैं. पृथ्वी पर सबसे चालाक प्राणी मनुष्य अपनी संख्या बढाते हुवे इस समय 7.35 अरब तक पहुँच गया हैं और अपनी आवश्यकताओ पर केन्द्रित हो कर इस पृथ्वी पर संसाधनों का दोहान एवं वातावरण को प्रदूषित कर रहा हैं जिससे पृथ्वी के नीचे का जल स्तर कम होता जा रहा हैं, कम होता जंगल क्षेत्र वातावरण में जहरीली गैसों से बढ़ता तापमान तथा जिसके कारण पृथ्वी प्रलयकारी सुनामी, भूकंप जैसी विनाशलीला पृथ्वी दिखा रही हैं इसके बावजूद भी आज हम सावधान नहीं हुवे तो वो दिन दूर नहीं जब आपके संपत्तियों को पीने हेतु पानी तथा खाने के लिए भोजन तथा जीने हेतु उचित वातावरण नहीं मिलेगा. तब पूछेंगे की आप एक पृथ्वी के एक सबसे समझदार प्राणी होने के बावजूद पृथ्वी के eco – system को स्वस्थ रखने के लिए कोई ठोस उपाय क्यूँ नहीं उठाए जिससे हम और हमारी सम्म्पतियो का जीवन सुख में एवं सुरक्षित रहे इसलिए आज हम विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर ये लेख लेकर आएं हैं.

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Earth Day Essay in Hindi

Earth Day Essay in Hindi : विश्व पृथ्वी दिवस : विश्व पृथ्वी दिवस इस संसार में माँ को भगवान् से भी बढ़कर स्थान दिया गया हैं क्यूंकि वो ना सिर्फ हमे जन्म देती हैं बल्कि हमे पाल पोसकर जीने और इस दुनिया में रहने के लायक बनाती हैं. माँ अगर पलभर के लिए भी हमसे दूर हो जाए तो कितना बुरा लगता हैं न? और कल को खुदा ना करे की माँ बीमार हो जाए तो हम पर क्या बीतती हैं ये हम जानते ही हैं लेकिन माँ के प्रति प्रेम, भक्ति और भावना उस वक़्त कहाँ चली जाती हैं जब हम प्रकृति पर अत्याचार करते हैं. एक माँ तो हमे जन्म देती हैं पर यह पृथ्वी भी तो एक माँ ही हैं जो हमे ना सिर्फ जीने के लिए स्थान देती हैं बल्कि हमे भोजन भी देती हैं इसी पृथ्वी से जीने के लिए हवा मिलती हैं. भगवान् ने पृथ्वी पर स्वर्ग बनाया लेकिन इंसान ने नरक हम इतने अभिमानी कैसे हो सकते हैं यह ग्रह हमेशा से हमसे शक्तिशाली था, हैं और रहेगा.

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Earth Day Essay in Hindi : हम इसे नष्ट नहीं कर सकते अगर हम अपनी सीमा लांघते हैं तो यह ग्रह बस हमे अपनी सतह से मिटा देगा और खुद जीवित रहेगी. इस बारे में बात क्यूँ नहीं शुरू करते हैं की कही ये ग्रह हमारा ही विनाश ना कर दे. आज विश्व भर में हर जगह प्रकृति का दोहन जारी हैं कही फक्ट्रियो का गन्दा जल हमारे पीने के पानी में मिलाया जा रहा हैं तो कही गाडियों से निकलता धुंवा हमारे जीवन में जहर घोल रहा हैं और घूम फिर कर यह हमारी पृथ्वी को दूषित बनाता हैं जिस पृथ्वी को हम माँ का दर्ज़ा देते हैं उससे हम खुद पानी ही हाथो दूषित करने में कैसे लगे रहते हैं. इस तरह पृथ्वी पर बढ़ते प्राकृतिक स्रोत का दोहन और प्रदुषण की वजह से global warming भी बड़ी और विश्व स्तर पर लोगो को चिंता होनी शुरू हुई. आज global warming यानी जल वायु परिवर्तन पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया हैं.

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Earth Day Essay in Hindi : 22 अप्रैल 1970 को पहली बार इस उद्देश्य से पृथ्वी दिवस मनाया गया था की लोगो को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके. पृथ्वी दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटर गिलोर्ट नाल्सों के द्वरा 1970 में एक पर्यावरण की शिक्षा के रूप में की गयी थी. 1970 से 1990 तक यह पुरे विश्व में फ़ैल गया. 1990 से इससे अंतराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा और 2009 में संयुक्त राष्ट्र ने भी 22 अप्रैल को विश्व पपृथ्वी दिवस में मनाने की घोषणा कर दी लेकिन मात्र 1 दिन पृथ्वी दिवस के रूप में मना कर हम पृथ्वी को बर्बाद होने से नहीं रोक सकते हैं इसके लिए हमे बड़े बदलाव की जरुरत हैं. हवा में बाते तो सभी करते हैं लेकिन ज़मीनी हकीकत से जुड़कर भी कुछ करना होगा तभी हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे पृथ्वी माँ को नुक्सान पहुंचे और अगर ऐसा कोई काम करना भी पड़े तो उसके नुक्सान को पूरा करने के लिए जरुर उचित कदम उठाएंगे. इस बार पृथ्वी दिवस का विषय एवं उद्देश्य जल जो प्रकृति की सबसे अनमोल चीज़ हैं उसको कैसे स्वस्थ एवं सुरक्षित रखा जाए क्यूंकि विश्व प्रकृति अपनी दयनीय व्यथा कह रही हैं. क्यूंकि जल का सबसे ज्यादा दोहन एवं प्रदुषण किया जा रहा हैं, नदियों, तालाबो एवं झीलों में अब जल नहीं मॉल मूत्र बह रहा हैं, कही सूखा तो कही बाढ़. प्रकृति अपने बचाव के लिए दस्तक दे रही हैं.

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Earth Day Essay in Hindi : आप लोगो की जानकारी हेतु बता दे की पृथ्वी मात्र 2.5 प्रतिशत ताज़ा जल ही उपलब्ध हैं तथा शेष 97.5 प्रतिशत खारा जल है. जहाँ तक अपने देश की बात हैं प्रतिवर्ष लगभग 3840 अरब घन मीटर वर्षा जल प्राप्त होने के बावजूद भी इसका 65% भाप एवं वाष्पोत्सर्जन के द्वारा उड़ जाता हैं तथा शेष 35% जल यानी 1340 अरब घन मीटर हमारे लिए काफी पर्याप्त हैं क्यूंकि जो देश में पानी की मांग हैं वो आज के समय में केवल 605 अरब घन मीटर ही हैं परन्तु उसका भी 50% जल नाले नदियों से हो कार समुद्र में चला जाता हैं. हमारे देश में सन 1951 प्रति व्यक्ति 4177 घ n मीटर पानी की उपलब्धता थी वही सन 2011 में प्रति व्यक्ति 1545 घन मीटर पानी की उपलब्धता थी. अगर यही परिस्थिति रही तो सन 2025 में 1345 घन मीटर पानी प्रति व्यक्ति उपलब्धता रहेगी. लगभग हमारी कृषि मुख्य रूप से वर्षा पर आधारित हैं और हमारी खेती तथा अन्य धंधो के लिए पानी की उपलब्धता मुख्यता इन स्रोतों से होती हैं.

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Earth Day Essay in Hindi : अब हमे जगना व् जगाना हैं. हर शहर, कस्बो और गाँवों में जाना होगा और कैसे बचाए इस पृथ्वी को ये दुनिया को सिखाना होगा. पृथ्वी की खतरे की त्रासदी कही भूकंप, सुनामी व ज्वालामुखी आदि समस्याओं ने विवश कर दिया हैं की आज हम इसकी सुरक्षा की ओर ध्यान दे. इस विकत समस्या से निपटने के लिए हमे हर स्तर पर प्रयास करना होगा जिसके तहत सबसे पहले बात आती हैं भूमि संरक्षण की. इके लिए सुव्यवस्थित तथा सुनियोजित प्रणाली को अपनाने की व्यवस्था, मृदा अपरदन को रोकने के लिए मेड बंदी, बंजरता को रोकने के लिए हरियाली आदि को बढ़ावा देने हेतु सामाजिक वानिकी के रहस्यों को रहस्यों को समझ कर इन क्षेत्रो में अपनाने की जरुरत हैं. इससे ना सिर्फ भूमि संरक्षण में मदद मिलेगी बल्कि भूमि जल स्तर में विर्द्धि के साथ साथ वायु शुद्धिकरण भी संभव हो सकेगा.

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Earth Day Essay in Hindi : आइये अब बात करते हैं जल संरक्षण की : वर्षा जल को रोकने के लिए चेक डेम का निर्माण करना चाहिए. रासायनिक उर्वरको के स्थान पर जैव उर्वरक जैसे अजोला, हरी खाद, अजेटो बेक्टर इत्यादि को बढ़ावा देना चाहिए. जैव कीटनाशी जैसे नीम और करंट युक्त दवाओ का प्रयोग करना चाहिए. जाह्न तक संभव हो सके जीवाश्म इधनो पर आश्रित ना हो कार सौर उर्जा को अपनाना होगा. सबसे ख़ास बात तो ये हैं की कृषि के बढ़ते अवशेष पदार्थो को यूँ ही बेकार समझ कर फेकना नहीं चाहिए बल्कि उन्हें पुन: कंपोज्ड वर्मी कंपोज्ड इत्यादि के रूप में प्रयोग कर प्रदूषण को काफी हद तक टाला जा सकता हाँ और अंत में आइये हम सब मिल कर ये वादा करे की प्रति व्यक्ति कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाएं. रसायनों पर आश्रित ना हो और प्रकृति पर भरोसा करे और तभी हम इर्मान कर सकते हैं शुद्ध, निर्मल, स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त पृथ्वी का.

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