aatmkhatay samaran

‘संस्मरण’ को मैं रेखा चित्र से भिन्न साहित्यिक विधा मानती हूं। मेरे विचार में यह अन्तर अधिक न होने पर भी इतना अवश्य है कि

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jo rakhaen na keh sakengi

एक युग बीत जाने पर भी मेरी स्मृति से एक घटाभरी अश्रुमुखी सावनी पूर्णिमा की रेखाएँ नहीं मिट सकी है। उन रेखाओं के उजले रंग

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सप्तऋषियों की शरण में डाकू रत्नाकर

सप्तऋषियों की शरण में डाकू रत्नाकर : डाकू रत्नाकर वापस सप्तऋषियों के पास आया और अपने शस्त्र फेंककर उनके चरणों में गिर पड़ा। आंखों में

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डाकू की साधना और वाल्मीकि नाम पड़ना

डाकू की साधना और वाल्मीकि नाम पड़ना : डाकू रत्नाकर ने सप्तऋषियों के बताए अनुसार माता सरस्वती का आह्वान किया और पद्मासन लगाकर ‘मरा मरा’

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देवर्षि नारद द्वारा वाल्मीकि ऋषि को उपेदश देना

देवर्षि नारद द्वारा वाल्मीकि ऋषि को उपेदश देना : वाल्मीकि ऋषि ने स्नान-ध्यान किया और देवर्षि नारद ने उन्हें केसरिया अंग वस्त्र प्रदान किए। केशों

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देवताओं की प्रार्थना

देवताओं की प्रार्थना : अयोध्यापति महाराज दशरथ की इस घोषणा से कि श्रीराम राजा बनेंगे, समूची अयोध्या प्रसन्नता के अतिरेक में बहने लगी। अगर बेचैनी

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महामूर्ख काली और विद्वान ब्राह्मण

महामूर्ख काली और विद्वान ब्राह्मण : संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान महाकवि कालिदास प्रारंभ में निपट मूर्ख थे। एक बार वे एक पेड़ की डाल

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अहंकारी राजकुमारी विद्योत्तमा

अहंकारी राजकुमारी विद्योत्तमा : उज्जैन की राजकुमारी विद्योत्तमा को अपने ज्ञान पर बड़ा अहंकार था। उसने घोषणा कर रखी थी कि जो भी व्यक्ति उसे

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