तीन पग भूमि का दान

तीन पग भूमि का दान

तीन पग भूमि का दान : श्रीविष्णु जब वहां पहुंचे तब राजा बलि अचल और अक्षय राज्य के लिए अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे। राजा बलि ने वामनावतार के रूप में अतिथि ब्राह्मण विष्णु का आदर-सत्कार किया और उनसे इच्छानुसार कुछ मांगने के लिए कहा। । ब्राह्मण ने कहा, “राजन! तुम मुझे अपने राज्य में क्या तीन पग भूमि दे सकते हो ?’
राजा ने कहा, “क्यों नहीं दे सकता विप्रवर! आप जहां से चाहें तीन पग. भूमि ले लें।”
तभी शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को पहचानकर राजा को रोका कि वह ऐसा न करें, वरना पछताना पड़ेगा। लेकिन राजा बलि वचन दे चुके थे। उन्होंने अपने गुरु की बात भी नहीं मानी।।
तब वामनावतार बने विष्णु ने अपना विशाल आकार बनाया और एक पग में सारी पृथ्वी तथा दूसरे पग में सारा अंतरिक्ष नाप लिया। अब तीसरा पग वे कहां रखें। कहीं कोई जगह थी ही नहीं। ऐसा देखकर राजा बलि ने प्रभु के सम्मुख हाथ जोड़कर अपना शीश झुका दिया
और बोले, “प्रभु! तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए।”
श्री विष्णु राजा बलि की विनम्रता और दानशीलता से प्रसन्न हो गए। उन्होंने उसके शीश पर पैर रखकर उसे रसातल का राज्य सौंप दिया तथा इंद्र को स्वर्ग लौटाकर अंतर्धान हो गए।

तीन पग भूमि का दान

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.