मदर से मिलना भगवान से मिलना जैसा था : इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं। मदर के प्रति उनका बड़ा प्रेम भाव था। वे कहा करती थीं, “मदर से मिलने पर हर किसी के हृदय में दया की भावना जाग्रत होती है। कठोर से कठोर व्यक्ति भी मदर से मिलकर ऐसा अनुभव करता है जैसे भगवान से मिला हो।”
मदर जब कभी देश से बाहर होतीं तो इंदिरा जी ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ संस्था की देखभाल करती थीं। एक बार मदर के द्वारा संचालित दिल्ली के शिशुभवन’ में आटा खत्म हो गया। दालसब्जी भी नहीं थी। इंदिरा जी को पता लगा तो सब्जियों, दालों और आटे से भरा ट्रक शिशु भवन पहुंचा दिया गया। मदर खुशी से गद्गद हो उठीं। उन्होंने इसके लिए इंदिरा जी के पास पहुंचकर उन्हें धन्यवाद दिया। | इंदिरा जी ने कहा, “मदर! आप मेरे देश के निराश्रित और गरीब बच्चों के लिए इतना कर रही हैं तो क्या देश की प्रधानमंत्री होने के नाते मेरा कोई कर्तव्य नहीं है? मुझे धन्यवाद देकर आप मुझे क्या अपने सेवा-कार्य से दूर करना चाहती हैं?”
“मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती।” मदर ने उत्तर दिया।
‘आपको कभी भी किसी चीज की जरूरत हो तो कृपया मुझे सीधे फोन कीजिए।” इंदिरा जी ने मदर को आश्वस्त किया।