वह गरीब लड़की

वह गरीब लड़की : गरीबों की सेवा से बढ़कर मदर के लिए और कोई भी कार्य महत्वपूर्ण नहीं था। वे सभी को समान दृष्टि से देखती थीं।
एक बार मदर अपने होम का कार्य देखने जयपुर गई हुई थीं। शाम के समय वे चर्च में प्रार्थना करने के लिए जाने लगीं तो रास्ते में उनकी नजर एक गरीब अपाहिज लड़की पर पड़ी। लड़की | अपना पैर घसीटते हुए फुटपाथ पर खिसक रही थी। मदर उसके पास पहुंचीं और वहीं फुटपाथ पर उसके पास बैठ गईं और लड़की से पूछने लगीं, “तुम्हारा नाम क्या है बेटी?”
“रामुड़ी।” लड़की ने उत्तर दिया। “तुम्हारे माता-पिता क्या करते हैं?” ** मेरे माता-पिता नहीं हैं। भाई-बहन भी कोई नहीं है। मैं अनाथ हूं। अपंग हूं। इसलिए कोई मेरे पास नहीं आता। बस, एक दादा भाई है, जो हमसे भिक्षा मंगवाता है और हमसे सारे पैसे छीनकर, ब्रेड के दो पीस हमें दे देता है। वह हमें पुलिस से भी बचाता है।”
लड़की की बात सुनकर मदर की आंखें भर आईं। वे उसे अपने साथ होम में ले आईं और उसे भरपेट भोजन कराया। पहनने को साफ कपड़े दिए और सिस्टर से कहा, ‘यह आज से यहीं रहेगी।” उन्होंने दादा भाई का डर उसके मन से निकाल दिया।

वह गरीब लड़की

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