असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain

असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain

असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain : एक नगर में युधिष्ठिर नाम का एक कुम्हार रहता था। वह गरीब था लेकिन बहुत खुशमिजाज था। सारा दिन परिश्रम करने के बाद एक दिन वह स्थानीय छोटी शराब की दुकान पर गया और शराब पीने लगा। उसने इतनी पी ली कि उससे सीधे-सीधे चला भी नहीं जा रहा था। वह लड़खड़ाता हुआ जा रहा था। जब वह अपने घर के दरवाजे पर पहुंचा, तो स्वयं के बनाए हुए एक बड़े बर्तन पर गिर पड़ा। बर्तन टूट गया और उसका एक किनारा उसके माथे पर चुभ गया। वहां एक बड़ा घाव बन गया। युधिष्ठिर ने उस घाव पर हलदी का लेप कर दिया और एक पट्टी सिर के चारों तरफ बांध दी। समय पाकर युधिष्ठिर का घाव ठीक हो गया, पर उसके माथे पर एक बड़ा लाल रंग का निशान पड़ गया। यह एक बदसूरत निशान था, पर कुम्हार ने उसकी परवाह नहीं की। वह अपना हर रोज का कार्य करता रहा।

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असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain
असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain : कुछ वर्ष बाद युधिष्ठिर के देश में बहुत बड़ा अकाल पड़ा। उसके बर्तन भी कोई नहीं खरीद रहा था। उसका परिवार भूख से मरने लगा, इसलिए उसने पास के राज्य में जाकर कोई और काम करने के लिए काम ढूंढ़ना शुरू किया। उसने सुना राजा के दरबार में चौकीदारों की भर्ती हो रही है। राजा के महल को सुरक्षित रखने के लिए गार्ड ढूंढ़े जा रहे थे। उसने भी अर्जी भेज दी। कुम्हार को नौकरी मिलने पर हैरानी हुई। वह शीघ्र ही महल का रक्षक बनकर काम करने लगा।

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असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain : एक बार जब वह महल के मुख्य दरवाजे पर तैनात था, तो उधर से राजा गुजरा। उसने इस नए चौकीदार को 4 देखा, जिसके माथे पर बहुत बड़ा घाव का निशान था, तो वह वहां खड़ा होकर उसे देखने लगा। ‘यह बहुत बहादुर सिपाही होगा। इसके माथे पर पड़े बड़े घाव के निशान को देखो। यह अवश्य ही इसे किसी लड़ाई में लगा होगा।” राजा ने कुम्हार से कहा – ‘मुझे खुशी है कि तुम्हारे जैसा बहादुर सिपाही मेरा चौकीदार बना है।” युधिष्ठिर ने कभी राजा को नजदीक से नहीं देखा था। जब उसने राजा को अपने से बोलते पाया, तो वह हैरान रह गया। वह केवल सिर हिलाकर रह गया और जो कुछ न बोल पाया। इस घटना के बाद युधिष्ठिर राजा का चहेता बन गया। राजा ने उसे और उसे रेशमी वस्त्रों से लाद दिया। उसने सभी अवसरों पर उसे अपने साथ रहने को कहा। कुम्हार अपनी इस किस्मत पर बहुत खुश था।

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असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain

असलियत तो सामने आ ही जाती हैं | Asliyat to Samne Aa Hi Jati Hain : एक दिन राजा के महल के अहाते में एक बड़ी सैनिक परेड हुई। राज्य के चारों ओर से सैनिक इसमें भाग लेने आए। राजा जब सलामी लेने गया, तो अपने चहेते रक्षक युधिष्ठिर को भी साथ ले गया। राजा अपनी सारी सेना को ऊपर से नीचे तक देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और युधिष्ठिर से बोला – ‘तुमने मेरे सैनिकों को देखा, वे कितने महान हैं। मैं उनका आभारी हूं, पर इतना नहीं जितना मैं तुम्हारा हूं। युधिष्ठिर को इस प्रश्न की आशा नहीं थी। वह यह सुनकर इतना हैरान हुआ कि उसने बिना सोचे-समझे सच बोल दिया।’

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‘महाराज! मैं कोई हीरो नहीं हूं और न ही मुझे यह जख्म किसी लड़ाई में मिला है। वास्तव में मैं एक आम कुम्हार हूं। एक रात जब मैं शराब पीकर आ रहा था, तो अपने ही बनाए बर्तन पर गिर पड़ा, तभी से यह जख्म का निशान मेरे माथे पर है।’ वह धीरे से मुस्करा कर बोला। राजा यह सब सुनकर चुप हो गया। जब उसे पता चला कि उसने एक शराबी कुम्हार को इतनी इज्जत दे रखी थी, तो वह बहुत गुस्सा हो गया। ‘तुमने मुझे बेवकूफ बनाया और मुझे धोखा दिया।’ राजा चिल्लाकर बोला-‘इसको कोड़े मारकर महल के बाहर कर दो।” जब सिपाहीयो ने उसे कोड़े मारने शुरू किये तो उसने राजा से दया की भीख मांगी – ‘महाराज! मैंने आपको धोखा देने के लिए कुछ नहीं किया। मैं आपका वही सीधा-साधा सेवक हूं।’ । राजा ने गुस्से से कहा – तुम – सीधे हो सकते हो, लेकिन तुम्हारी` पिटाई आवश्यक है। एक आदमी जो पहले कुछ और बन कर दिखाए और बाद में अपनी असलियत सामने कर दे वो बेवकूफ और नासमझ हैं.

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