एकता के पक्षधर : गांधी जी को जनता अब प्यार से ‘बापू’ और ‘महात्मा’ का विशेषण लगाकर पुकारने लगी थी। हिंदूमुस्लिम एकता के वे प्रबल पक्षधर थे। जबकि अंग्रेजी सरकार हिंदू और मुसलमानों में फूट डालो और राज करो’ की नीति पर चल रही थी।
गांधी जी ने कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना के घर पर सन् 1924 में इक्कीस दिन के अनशन की घोषणा कर दी। हिंदू-मुस्लिम नेता गांधी जी के पास आए और उनसे बोले, “बापू ! आप अपना अनशन त्याग दें। हम आपसे वायदा करते हैं कि हम कभी आपस में नहीं लड़ेंगे और मिलकर देश को आजाद कराने में आपका साथ देंगे।”
उनके आश्वासन पर ही गांधी जी ने अपना अनशन तोड़ा और कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में मोहम्मद अली जिन्ना ने हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मत रूप में स्वीकार कर लिया गया। वह बात दूसरी है कि बाद में मोहम्मद अली जिन्ना ही हिंदू-मुस्लिम एकता के सबसे बड़े विरोधी बन गए।