कहानी अजमिल की | Kahani Ajmil Ki
कहानी अजमिल की | Kahani Ajmil Ki : एक समय की बात है, एक ब्राह्मण भगवान् विष्णु, अग्नि व सूर्यदेव का पक्का भक्त था। वह प्रतिदिन उनकी पूजा किया करता था। उसका अजमिल नाम का एक पुत्र था। एक अच्छे पिता का पुत्र होते हुए भी अजमिल ने बुराई तथा पाप के रास्ते को अपनाया। एक दिन अजमिल के पिता ने अजमिल से कहा कि वह पूजा के लिए कुछ फूल आदि ले आये। अजमिल फूल लेने के लिये चल पड़ा। जब चलते-चलते वह जंगल में पहुँचा तो उसे एक आदिवासी व्यक्ति के साथ एक सुन्दर लड़की दिखाई दी। लड़की ने अजमिल को देखा और उस पर मुग्ध हो गई।
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उसने अजमिल को देखकर एक आह भरी और बोली, “मैं चाहती हूँकि यह नवयुवक सदा के लिए मेरा हो जाए।” इस पर वह आदिवासी व्यक्ति बोला, “इस तरह मत सोची। वह एक महान् ब्राह्मण का पुत्र है तथा उसका नाम अजमिल है।” “नहीं, मुझे इससे कोई मतलब नहीं, वह कौन है।” लड़की बोली। आदिवासी व्यक्ति चला गया। लडकी अजमिल के पास गई और बोली, “मैं तुमसे प्यार करती हूँ। कृपया मुझसे विवाह कर लो, ताकि मैं तुम्हारी
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कहानी अजमिल की | Kahani Ajmil Ki : जीवन-संगिनी बन सकूं।” अजमिल लड़की की सुन्दरता से प्रभावित हो गया, इसीलिए विवाह के लिए वह मान गया। दोनों ने गांधर्व विवाह कर लिया। अजामिल यह नहीं जानता था कि उसकी पत्नी में कई दुष्ट व शैतानी ताकतें छिपी हुई हैं। वह उसे घर ले आया। अजमिल पत्नी को देखकर उसके पिता उस पर बहुत क्रोधित हुए। “तुम्हें पूजा के फूल लाने में इतनी देर कैसे हो गई?” “पिताजी, मैंने इस लड़की से गंधर्व विवाह कर लिया है, अब यह लड़की मेरी पत्नी है?” अजमिल ने कहा।
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“तुम इसे अपनी पत्नी की तरह घर में कैसे ला सकते हो? मैं देख सकता हूँ कि इस लड़की में अनेक शैतानी व दुष्ट ताकते हैं. दोनों के बीच बहुत विवाद हुआ. अजमिल पूरी तरह से अपनी नयी पत्नी के प्रभाव में था सो, उसने अपने पिता को जमीन पर धक्का दे दिया. और धूर्तापूर्वक बोला, “मैं वो ही करूँगा,
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कहानी अजमिल की | Kahani Ajmil Ki : जो मुझे अच्छा लगेगा। यदि तुम्हें मेरी बातें पसन्द नहीं तो तुम यहाँ से जा सकते हो।” अजमिल के पिता इस अपमान को सह नहीं पाए और वह अजमिल की माँ के साथ घर छोड़कर चले गये। अब अजमिल व उसकी पत्नी खुश थे कि चलो, माता पिता से छुटकारा मिला। वे दोनों अब अकेले थे और अजमिल के पिता की धन-सम्पत्ति को खूब खुलकर खर्च कर रहे थे। शीघ्र ही अजमिल ने शराब पीना तथा जुआ खेलना आरम्भ कर दिया, उसने चोरी करनी भी आरम्भ कर दी। अब उसमें वह सभी बुराईयाँ आ गई थीं, जो उसकी पत्नी में विद्यमान थीं।
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कहानी अजमिल की | Kahani Ajmil Ki : वर्ष बीतते गए, अजमिल की पत्नी के दस पुत्र हुए। सबसे छोटे पुत्र का नाम नारायण था और वह अजमिल की आँख का तारा था। समय बीतता गया और अब अजमिल बूढ़ा हो गया था। अब वह अट्ठासी वर्ष का था तथा बहुत बीमार था। एक दिन यमराज के दो यमदूत उसके बिस्तर के किनारे पहुँचे। उन्हें देख अजमिल अपने पुत्र को पुकारने लगा, “नारायण, नारायण! मुझे इन यमदूतों से बचाओ।” भगवान विष्णु, जिन्हें नारायण भी कहते हैं, ने अजमल की न आवाज सुनी। उन्होंने अपने संदेश वाहक की अजमिल का जीवन बचाने के लिए भेजा। वहाँ पहुच के संदेशवाहक बोला “अरे, यमदूतों तुम्हें अजमिल को छोड़ना होगा। जाओ और जाकर यमराज से कह दो कि भगवान् विष्णु ने इसके प्राण बचाने को कहा है।”
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कहानी अजमिल की | Kahani Ajmil Ki : यमदूतों ने सारी बात यमराज को बता दी। यमराज बोले, “ठीक है, यदि यह भगवान् विष्णु की इच्छा है, तो ऐसा ही सही। तुम ऐसा करना, आज से ठीक एक वर्ष बाद जाकर अजमिल को यहाँ ले आना।”
अजमिल ने भगवान् विष्णु के संदेशवाहक को धन्यवाद दिया। वह जानता था कि उसके पास जीने के लिए केवल एक वर्ष है, इसलिए उसने बुराई तथा पाप का रास्ता त्यागने का निश्चय किया। वह काशी गया और उसने गंगा नदी में स्नान किया। अब वह अपना सारा समय पूजा-पाठ तथा साधुओं से मिलने में लगाता। उसने अपनी अनेक सम्पत्तियाँ व धन दान में बाँट दिया। एक वर्ष के बाद यमदूत उसे नर्क में ले जाने के लिए आ गए, परन्तु ठीक उसी समय भगवान् विष्णु के संदेशवाहक वहाँ आए और अजमिल को स्वर्ग की और ले गए। इस प्रकार भगवान् विष्णु का नाम याद करने से ही पापी अजमिल को मोक्ष की प्राप्ति हो गई।
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