कैकेई की बुद्धि का हरण

कैकेई की बुद्धि का हरण : न चाहते हुए भी लोक कल्याण के लिए मां सरस्वती ने पहले मंथरा को और फिर कैकेई की बुद्धि को भ्रमित कर दिया। पहले तो कैकेई राम के राजा होने का समाचार पाकर इतनी प्रसन्न हुई कि उसने अपना बेशकीमती हार मंथरा की गोद में डाल दिया। लेकिन मंथरा ने जब कौशल्या के राजमाता बनने की बात कही, तो कैकेई की बुद्धि ने विवेक का परित्याग कर दिया। कैकेई ने महाराज दशरथ से दो वरदान मांगे-पहले से राम का वन गमन और दूसरे से भरत को अयोध्या का राज्य।
सीता और लक्ष्मण के साथ जब राम वन को चले, तो अयोध्यावासियों की आंखों से अश्रुधाराएं बह | रही थीं जबकि देवता प्रसन्न थे। और मां सरस्वती ? वो तमाशा देख रही थीं दुनिया के बदलते रंग का।।

कैकेई की बुद्धि का हरण

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