जब नास्तिक बना ईश्वर भक्त : मदर के सेवा कार्य की चमत्कार भरी रिपोर्टिंग, देश-विदेश के अखबारों की सुर्खियां बन गई थी। प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में मदर के इंटरव्यू’ छपने लगे थे।
एक दिन लंदन से बी.बी.सी. के एक प्रमुख अधिकारी मैलकम मैगरिज मदर का इंटरव्यू लेने कलकत्ता आए। भारत के अनेक शहरों में तब तक ‘मदर होम्स’ स्थापित हो चुके थे। मैलकम मैगरिज मदर की संस्था का दृश्य अपने कैमरे में कैद करना चाहते थे, लेकिन रोगियों के कमरों में पर्याप्त रोशनी नहीं थी। उस समय कृत्रिम रोशनी भी उपलब्ध नहीं हो सकी। फिर भी मैलकम ने किसी तरह उस कम रोशनी में ही दृश्यों की शूटिंग’ की।
लंदन पहुंचकर उन्होंने रीलों को धुलवाया तो यह देखकर उन्हें अचरज हुआ कि तस्वीरें बड़ी साफ और मार्मिक आई थीं। जिन कमरों में अंधेरा था, वहां की तस्वीरें भी बहुत साफ आई थीं। उन खूबसूरत तस्वीरों को देखकर मैलकम हैरान रह गए। यह कैसा रहस्य था। इस बात को लेकर जब मदर से टेलीफोन पर मैलकम ने बातें कीं तो मदर ने उन्हें उत्तर दिया, जहां परमात्मा का प्रकाश होता है वहां रहस्य कुछ नहीं होता। जो ईश्वर की राह में कार्य करते हैं, परमात्मा अपने प्रकाश से उनकी सहायता करता है।”
उस दिन के बाद मैलकम जैसे नास्तिक को भी ईश्वर पर विश्वास हो गया। वह मदर और ईश्वर का पक्का भक्त बन गया।