जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : सन् 1918 में गांधी जी ने अहमदाबाद के मिल मजदूरों की हड़ताल का नेतृत्व किया। तभी विश्वयुद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेजों ने कहा कि युद्ध के उपरांत वे भारत को आजाद कर देंगे। परंतु वे अपने वायदे से मुकर गए और उन्होंने जगह-जगह गोलीबारी करके जन-आंदोलन को कुचलना शुरू कर दिया।
वह 13 अप्रैल, 1919 की बैसाखी का दिन था। अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए अमृतसर के जलियांवाला बाग में सैकड़ों की तादाद में स्त्री-पुरुष, वृद्ध-बच्चे एकत्र हुए थे। गांधी जी की अहिंसा को हिंसा से कुचलने के लिए जनरल डायर बंदूकों से लैस सैकड़ों सिपाहियों को लेकर वहां पहुंचा और बाग में प्रवेश करने के एकमात्र छोटे संकरे रास्ते को रोककर उसने अंधाधुंध फायरिंग करा दी। इधर-उधर जान बचाने के लिए भागते लोगों पर उसने बेरहमी से गोलियां चलवा दीं। सैकड़ों लोग वहां मारे गए।
अंग्रेजों की क्रूरता का यह सबसे बड़ा उदाहरण था।

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड

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