दक्षिण अफ्रीका में : मोहनदास फ्रॉक कोट और काठियावाड़ी पगड़ी पहने हुए डरबन बंदरगाह पर उतरे। सेठ अब्दुल्ला उन्हें लेने आए हुए थे। उनको वहां उतरते ही महसूस हुआ कि इस देश में कोई भी भारतीय कितना ही धन-संपन्न या पढ़ा-लिखा क्यों न हो, अंग्रेजों की नजरों में उसका कोई सम्मान नहीं है। सेठ अब्दुल्ला से ही वे लोग ऐसा व्यवहार कर रहे थे, जो उनकी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं था।
बैरिस्टर मोहनदास को सेठ अब्दुल्ला अपने घर ले गए और एक कमरे में उनके रहने की व्यवस्था कर दी। सेठ अब्दुल्ला का मुकदमा ट्रांसवाल में चल रहा था। फिलहाल उनके पास गांधी जी के लिए कोई काम नहीं था। उनका साहबी ठाट-बाट देखकर सेठ अब्दुल्ला हैरान रह गए। वह उन्हें बहुत खर्चीला दिखाई दिया।