देवी सरस्वती और धन्ना भक्त : ब्राह्मण द्वारा दुत्कारे जाने पर धन्ना ने अपने खेत की मिट्टी से देवी सरस्वती की मूर्ति बनाई और प्रार्थना करने लगा, “हे मां ! मुझे पूजा करनी नहीं आती। मैं तो निपट गंवार हूं। आप मुझे बताएं कि मैं कैसे भगवान की पूजा करूं?”
धुन्ना ने खाना-पीना छोड़ दिया और दिन-रात देवी सरस्वती की मूर्ति को ताकता रहता। ऐसा करते हुए उसे कई दिन व्यतीत हो गए। भूख और प्यास ने अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर दिया। फिर भी धन्ना विचलित नहीं हुआ।
तब एक रात देवी सरस्वती ने धन्ना को दर्शन दिए और कहा, ** धन्ना ! मैं तुमसे प्रसन्न हूं। भगवान की उपासना के लिए किसी
भाषा की जरूरत नहीं होती और न ही किसी ज्ञान की आवश्यकता होती है। अपने हृदय में भगवान विष्णु की छवि अंकित करके अपने सारे भाव उन्हें अर्पित कर दो। यही उनकी पूजा है। भाषा तो भावों के साथ स्वत: ही चली आती है।”