द्रोणाचार्य की प्रशंसा : एक दिन पितामह ने राजकुमारों की योग्यता परखने के लिए हस्तिनापुर के राजकीय क्रीड़ास्थल पर एक विशेष प्रतियोगिता आयोजित की। इस प्रतियोगिता को देखने के लिए हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र, भीष्म पितामह, प्रधान मंत्री विदुर और अन्य राजदरबारी तथा राज्य के अनेक प्रजाजन उपस्थित थे। | महाराज की आज्ञा से प्रतियोगिता का शुभारम्भ हुआ। द्रोणाचार्य ने सर्वप्रथम अपने प्रिय शिष्य अर्जुन को धनुष-बाण चलाने का कौशल दिखाने के लिए आमंत्रित किया। अर्जुन ने धनुर्विद्या के अनेक आश्चर्यजनक प्रयोगों का प्रदर्शन किया। पितामह भीष्म और कृपाचार्य जैसे महान धनुर्धर भी इस प्रदर्शन से गद्गद् हो रहे थे।
अर्जुन के आश्चर्यजनक कौशल को देखकर उपस्थित गणमान्य दर्शकों ने द्रोणाचार्य और उनके शिष्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
इसके बाद खड्ग-युद्ध, गदा-युद्ध और मल्ल-युद्ध आदि का प्रदर्शन भी हुआ, किंतु अर्जुन के सामने जैसे सब फीका था।