बचपन की बुरी संगत

बचपन की बुरी संगत : गांधी जी के बड़े भाई का एक दोस्त बुरी संगत में उठता-बैठता था। वह बीड़ी-सिगरेट और मांसमदिरा का सेवन भी करता था। वह बहुत बदनाम था। मोहनदास को न जाने क्यों वह लड़का अच्छा लगता था। वह दिखने में हृष्ट-पुष्ट था, जबकि गांधी जी दुबले-पतले और कमजोर थे। धीरे-धीरे उसकी दोस्ती गांधी जी से भी हो गई। उसने एक दिन मोहनदास से कहा, “मोहन ! मांस खाया कर। मांस खाने से शरीर तगड़ा हो जाता है, मेरी तरह।”
“घर में पता चल गया तो मैं बेमौत मारा जाऊंगा।” मोहनदास ने डरते हुए कहा।
‘कुछ नहीं होगा। तेरा भाई भी तो खाता है।” उसने मोहनदास को समझाया, “उसने तो कभी ऐसा नहीं कहा।”
इस पर मोहन तैयार हो गया। उस मित्र ने अपने घर पर मांस पकाया और डबल रोटी के साथ उसे खाने को दिया। मोहन ने मांस खाया तो उसे लगा कि जैसे वह चमड़ा चबा रहा हो।

बचपन की बुरी संगत

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.