मदर की अंतिम यात्रा : रात-दिन काम करते-करते और बढ़ती उम्र के कारण मदर का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा था। सन् | 1996 में मदर ने अपनी संस्था के प्रमुख पद से त्याग पत्र दे दिया और संस्था का सारा कार्यभार सिस्टर निर्मला को सौंप दिया।
मदर के त्यागपत्र देने की खबर पूरे विश्व में फैल गई। मदर के डॉक्टर ए.के.वर्धन ने कहा, “लगता | है, मदर को अपनी मृत्यु का आभास हो गया है।” । सन् 1996 के सितंबर माह में मदर की हालत अधिक खराब हो गई। डॉक्टर वर्धन के कहने पर उन्हें
अस्पताल में भरती कराया गया। वे बहुत कमजोर हो गई थीं। 10 दिसंबर को मदर ने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की थी। उस दिवस को वे ‘प्रेरणा दिवस’ के रूप में मनाती थीं। मदर उसमें जाना चाहती थीं। उनकी हालत अच्छी नहीं थी। फिर भी उन्होंने उस समारोह में भाग लिया और कहा कि शायद मैं अगले प्रेरणा दिवस पर आपके साथ न रहूं, पर सेवा कार्य रुकना नहीं चाहिए। उसके बाद मदर लगभग आठ माह तक मृत्यु से जूझती रहीं। सन् 1997 की सितंबर 5 तारीख को
सायंकाल के समय मदर के शरीर में भयानक दर्द उठा
और वे कभी न जागने वाली निद्रा में सो गईं। दुनिया भर के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने आए। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की गई। | 13 सितंबर, 1997 को राजकीय सम्मान के साथ मदर टेरेसा का अंतिम संस्कार कर दिया गया।