वह चीनी महिला : मदर के कलकत्ता स्थित वृद्धाश्रम में एक सत्तर वर्षीय चीनी महिला रहती थी जिसका नाम सान था। एक बार एक पत्रकार ने उनसे पूछा, “आप इस वृद्धाश्रम में क्यों रहती हैं? आपके पति तो बहुत अमीर आदमी थे। सोने के आभूषणों की उनकी बहुत बड़ी दुकान है। पैसे की भी आपको कोई कमी नहीं है।”
“हां! यह ठीक है कि मेरे पास पैसे की कोई कमी नहीं है।” वह चीनी महिला बोली, “मेरे परिवार में बेटे-बेटी, पोते-पोती, नाती और बहू सभी हैं। भरा पूरा परिवार है मेरा । परंतु मेरे परिवार में मेरी इज्जत तभी तक थी जब तक मेरे पति जीवित रहे। आज वे नहीं हैं। उनकी मृत्यु के बाद मैं अपने बच्चों के लिए बोझ लगने लगी हूं। वे मुझे छोड़कर अलग मकान में रहने चले गए हैं। घर में मैं अकेली रह गई । जब कभी मैं उनसे बात करना चाहती तो वे मुझे कोई न कोई बहाना बनाकर झिड़क देते थे। अकेलेपन ने मुझे तोड़कर रख दिया। उससे ऊबकर मैं यहां रहने चली आई। मेरी अपनी जो संपत्ति थी वह सब मैंने मदर की संस्था को दे दी है। अब मैं यहां बड़े आराम से रहती हूं। मेरे साथ के लोग बहुत अच्छे हैं। मदर से हमें बहुत प्यार मिलता है। मेरे बच्चों ने तो कभी यहां आकर यह नहीं पूछा कि मैं जीवित भी हूं या नहीं।”