विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित : मदर के सेवा कार्यों के लिए उन्हें देश-विदेश के सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किए गए। सन् 1979 में उन्हें एक भव्य समारोह में नोबल पुरस्कार दिया गया। मदर ने भूगोल में एम.ए. किया था। परंतु विश्व के कई विश्वविद्यालय उन्हें डॉक्टरेट’ की उपाधि देना चाहते थे। सन् 1962 में मदर को विश्व प्रसिद्ध ‘रेमन मैगसेसे पुरस्कार मिल चुका था। उसके बाद उन्हें पोप जॉन पाल का तेरहवां शांति पुरस्कार’ मिला। तभी उन्हें वाशिंगटन का ‘कैनेडी इंटरनेशनल अवार्ड’ भी दिया गया। मदर ने पुरस्कारों से मिली संपूर्ण धनराशि को मानसिक रोगियों के उपचार पर खर्च कर दिया। । सन् 1980 में भारत सरकार ने मदर को देश के सर्वोच्च पुरस्कार’ भारत रत्न’ से सम्मानित किया। इस पुरस्कार को देने से पूरा देश गौरवान्वित हो उठा।
पुरस्कारों के समय जो धन समारोह आयोजन में खर्च होता था, मदर उसे व्यर्थ मानती थीं। उनका कहना था, “यदि कोई देश पुरस्कार के बजाय अपने देश के गरीबों को दो वक्त की रोटी दे, तो यह बहुत पुण्य का कार्य होगा। यदि किसी देश का व्यक्ति भूखा सोता है तो उस देश की संपन्नता व्यर्थ है। भूखे व्यक्ति के लिए भोजन जरूरी है, पुरस्कार नहीं।”
| मदर अपने आपको भूखे और बेसहारा लोगों की प्रतिनिधि मानती थीं। इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता।