विष्णु का वराह अवतार
विष्णु का वराह अवतार : कल्प के अंत में जब प्रलय होती है और सृष्टि का विनाश हो जाता है तब विष्णु जल में | निवास करने चले जाते हैं। कालरात्रि व्यतीत होने पर विष्णु निद्रा से जागते हैं, तब उन्हें सर्वत्र जल ही जल दिखाई देता है। सृष्टि का कोई चिह्न नजर नहीं आता। उस शून्य को देखकर विष्णु
सृष्टि के पुनरुद्धार के लिए जल में पृथ्वी को ढूंढ़ते हैं। । ऐसी ही एक प्रलय के उपरांत कालरात्रि समाप्त होने पर जब विष्णु ने सर्वत्र शून्य देखा | तो वे शेष-शय्या छोड़कर जल में प्रवेश कर गए। वहां वसुंधरा (पृथ्वी) ने विष्णु को देखा तो | कहा, “प्रभु! जल के इस अंधकारपूर्ण गर्भ से मुझे मुक्ति दिलाइए। यहां मेरा दम घुटता है।”
विष्णु ने वसुंधरा की प्रार्थना स्वीकार की और वराह का रूप धारण कर लिया। वराह ने वसुंधरा को अपने सींगों पर धारण किया और उसे जल से बाहर निकाल लाए। तत्पश्चात विष्णु । ने नष्ट हुए पर्वतों की रचना की और पृथ्वी पर सात द्वीप बनाए। पृथ्वी पर प्रकृति और जीवन | की संरचना की। मनुष्य, पशु-पक्षी और जलचर बनाए।