विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र की प्राप्ति

विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र की प्राप्ति

विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र की प्राप्ति : एक बार राक्षसों के उपद्रव से त्रस्त होकर अनेक ऋषि-मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे रक्षा की प्रार्थना की। उस समय विष्णु के पास सुदर्शन चक्र नहीं था। विष्णु ने दैत्यों का संहार करने के लिए शिव सहस्र नाम का शुभारंभ किया। मानसरोवर के तट पर बैठकर वे तपस्या करने लगे। शिव के एक नाम का प्रतिदिन वे एक हजार बार उच्चारण करते और एक कमल का पुष्प शिव लिंग पर चढ़ाते। इस प्रकार उन्हें एक हजार कमल के पुष्प शिव लिंग पर चढ़ाने थे। लेकिन जिस दिन उन्हें एक हजारवां पुष्प चढ़ाना था। उस दिन शिव ने अपनी माया से सभी कमल के पुष्पों को छिपा दिया।
बहुत प्रयास करने के उपरांत भी जब विष्णु को कमल पुष्प नहीं मिला तो विष्णु ने अपने कमल जैसे नेत्रों में से एक नेत्र निकाला और उसे शिव लिंग पर चढ़ा दिया। नेत्र के चढ़ते ही उनका तप पूर्ण हो गया। उसी समय शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान स्वरूप सुदर्शन चक्र भेंट किया और बोले, विष्णु ! यह सुदर्शन चक्र सभी राक्षसों का विनाश करने में तुम्हारा सहायक होगा। तुम्हारा नेत्र तुम्हें पुनः प्राप्त होगा।”
सुदर्शन चक्र देकर शिव अंतर्धान हो गए। बाद में उस चक्र की सहायता से विष्णु ने अनेक | राक्षसों का विनाश करके ऋषि-मुनियों को संतुष्ट किया।

विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र की प्राप्ति

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.