वो गरीब औरत और बीमार बच्चा

वो गरीब औरत और बीमार बच्चा : भीगते-भीगते मदर टेरेसा मेबेल के साथ मोती झील की बस्ती में पहुंचीं। बारिश अभी भी बहुत तेज हो रही थी। वहां उन्होंने देखा कि एक गरीब औरत अपनी गोद में एक नवजात शिशु को लिए बिना छप्पर वाली खुली झोंपड़ी में भीग रही थी। मदर ने बच्चे के शरीर को छूकर देखा तो उसका शरीर बुखार से तप रहा था। शरीर को कंपा देने वाली हवा सायं-सायं करती हुई बह रही थी। उस गरीब औरत के शरीर पर जो मैली-कुचैली धोती लिपटी हुई थी, वह जगह-जगह से फट गई थी।
उस दृश्य को देखकर मदर टेरेसा का हृदय कांप उठा। मदर ने पूछा, “तुम इस तरह बारिश में क्यों भीग रही हो?”।
“मैंने दो माह से झोंपड़ी का किराया नहीं दिया था। इसीलिए झोंपड़ी के मालिक ने इसका छप्पर उतार लिया। अब मजबूरी में मैं कहां जाऊं? भीगने के सिवाय मेरे पास कोई चारा नहीं है।” उस औरत ने
कहा, “झोंपड़ी का मालिक कहता है कि दो दिन के भीतर दो माह का किराया नहीं दिया तो वह झोंपड़ी | को भी गिरा देगा। बड़ा क्रूर है वह।”
| मदर टेरेसा ने तत्काल उस औरत को अपने दवा वाले कमरे में ले जाकर ठहराया और काफी रात गए | वह मेबेल के साथ माइकल के पास पहुंची।

वो गरीब औरत और बीमार बच्चा

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