संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat

संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat : एक बार एक सुंदर तोती ने किसी जंगल में एक लंबे वृक्ष के ऊपर अपना घोंसला बनाया। उसने वहां दो अंडे दिए। समय पाकर उन अंडों में से दो सुंदर तोते के बच्चे निकले। वे दोनों बिल्कुल एक जैसे लगते थे और तोती को उन पर बहुत गर्व था। वह उनका बड़े प्यार और ध्यान से ख्याल रखती थी। वे अच्छी तरह बड़े हो रहे थे। एक दिन जब वह खाना ढूंढ़ने बाहर गई थी तो बच्चों का चहचहाना सुनकर एक शिकारी वहां आ गया।

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वह तुरंत पेड़ के ऊपर चढ़कर तोते के घोंसले के पास पहुंच गया। ऊपर चढ़कर उसने दोनों बच्चों को पकड़ लिया। वह अपने थैले में दोनों को डाल रहा था, तभी एक बच्चा उसके हाथ से छूटकर दूर उड़ गया। शिकारी दूसरे बच्चे को अपने घर ले आया और उसे पालने लगा।
एक साधु को अलग उड़ा हुआ तोते का बच्चा मिल गया। वह उसको इतना सुंदर लगा कि वह उसको अपने आश्रम पर ले गया। ‘मैं तुम्हारी अच्छी तरह देखभाल करूंगा और बदले में तुम मेरे अतिथियों का स्वागत करोगे।’

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संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat
संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat : समय गुजरता गया। बच्चे बड़े होकर सुंदर पक्षी बन गए। एक शिकारी के पास रहता था और दूसरा नेक साधु के घर। एक दिन एक राजा घोड़े पर सवार होकर जंगल के बीच में से गुजर रहा था। वह शिकारी के घर के पास से निकला। वह घोड़े को घर के पास ले गया। ‘यहां कौन रहता होगा -उसने सोचा। शिकारी का तोता घर के बाहर एक पिंजरे में बैठा था। उसने राजा को आते देखा तो वह जोर से चिल्लाने लगा-‘एक आदमी घर के पास आ रहा है। जल्दी से अपना तीर और कमान निकाल लो स्वामी, ताकि आप जल्दी से उसे मार सको।’

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संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat

संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat : राजा तोते का यह शब्द सुनकर हैरान रह गया। यह पक्षी कितना शैतान है। इसका स्वामी भी बड़ा बेशर्म होगा। उसने अपने घोड़े को घुमाया और बिना पीछे देखे घोड़ा दौड़ाकर चल दिया। थोड़ी दूर जाने पर राजा को प्यास लगी। उसे एक आश्रम दिखाई दिया। उसने सोचा कि मैं यहीं पर थोड़ी देर रुक कर पानी पी लू। ज्यों ही वह घर के बरामदे के पास पहुंचा, उसने एक अन्य तोता पिंजरे में बैठे देखा। यह तोता पहले वाले तोते की शक्ल जैसा ही था। ‘अरे, फिर वही कड़वा बोलने वाला पक्षी। यह भी उसी की तरह बोलेगा।” पर राजा हैरान हो गया, जब उसने इस तोते को सीटी बजाते, गाना गाते सुना। साधु को उसने मीठी और सुरीली आवाज में पुकारा-‘जल्दी बाहर आओ। हमारे घर कुछ मेहमान आए हैं।

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संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat :  बाहर आकर उनका स्वागत करो।’ राजा इस तोते का स्वभाव देखकर हैरान रह गया। शक्ल-सूरत में तो यह पहले तोते से बिल्कुल मिलता था। राजा तोते के पिंजरे के पास गया और बोला-‘प्यारे पक्षी! मैं तुम्हारे जैसे मित्रवत व्यवहार करने वाले पक्षी से मिलकर बहुत खुश हुआ। क्या तुम जानते हो! मैंने अभी तुम्हारे जैसा तोता देखा, पर वह बहुत घटिया और दुष्ट था।’ तोते ने पूछा-‘क्या वह शिकारी के पास रह रहा था?’ ‘हां, पर तुम्हें कैसे पता चला।’ तोता धीरे-धीरे रोने लगा-‘वह मेरा प्यारा भाई था। हम एक ही घोंसले में रहते थे,

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पर एक दिन जब मेरी मां हमें अकेला छोड़ कर बाहर गई थी, तो एक शिकारी ने हमें पकड़ लिया। मैं भागकर निकल आया, पर वह मेरे भाई को ले गया। दयालु साधु मुझे अपने घर ले आया। उसने मुझे एक प्यारा और अच्छा घर दिया। मेरा भाई जैसी संगत में रहता है, वो वैसा ही बन गया। उसका स्वामी बड़ा निर्दयी है। वह हर समय सभी को मारने की सोचता रहता है, जबकि मेरा स्वामी बहुत नेक और अच्छे ख्यालों वाला है। हर समय पूजा और ध्यान करता रहता है। वह गाना भी गाता है। अच्छी सोहबत में रहने से इनसान भी अच्छा बन जाता है।’

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संगत की शोभत | Sangat Ki Shobhat

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