पढ़े लिखे बेवकूफ – Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ये कहानी बड़ी रोचक हैं और आज के समाज में बच्चे जो की इस देश का भविष्य हैं उनके किताबी कीड़े बनने के ऊपर ये कहानी एक व्यंग के रूप में हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं.

Moral Stories in Hindi : एक गाँव में एक सीधा सादा किसान रहता था | वह था तो अशिक्षित पर व्यावहारिक बुद्धि की उसमें कमी न थी | सबसे प्रेम से मिलता तथा सभी का सम्मान करता | इसलिए गाँव में उसकी लोकप्रियता भी काफी अधिक थी | उसके दो पुत्र थे | उसने अपने दोनों पुत्रों को प्राथमिक विद्यालय में भरती करवा दिया | लड़के पढने में होशियार निकले | सो किसान की इच्छा उन्हें और पढ़ाने की हुई | मगर गाँव में प्राथमिक शिक्षा से आगे पढ़ाई की व्यवस्था न थी | सो आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें शहर भेजना जरुरी था | किसान के पास धन की कोई कमी नहीं थी, किन्तु समस्या थी बच्चों को माता पिता से अलग रखने की | गाँव के अनेक व्यक्तियों ने भी जब किसान पर इस बात के लिए जोर दिया तो किसी तरह अपने मन को मनाकर किसान और उसकी पत्नी ने अपने दोनों पुत्रों को शहर पढने के लिए भेज दिया |

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लड़के बड़ी रूचि के साथ अपनी पढ़ाई करने लगे | छुट्टियों में भी जब वो घर आते तो अपने साथ ढेर सारी किताबें लाते और उन्हें पढ़ते रहते | इधर उधर आने जाने, घुमने – फिरने या किसी से घुलने मिलने की उनमें न तो रूचि थी और ना ही इसके लिए उनके पास समय था | बस दिन भर अपनी किताबों में खोये रहते | किसान दंपत्ति यह देखकर बड़े संतुष्ट थे की उनके बच्चों की पढ़ाई में कितनी अधिक रूचि है | लेकिन कभी कभी किसान यह चिंता करने लगता की इधर उधर ना जाने से बच्चों को सांसारिक व्यवहार का कोई ज्ञान नहीं हो पा रहा | फिर भी वह यह सोचकर निश्चिन्त था कि आयु बढ़ने के साथ यह ज्ञान तो उन्हें समय के साथ हो ही जायेगा |

Moral Stories in Hindi : किसान के दोनों पुत्र धीरे – धीरे स्कूली शिक्षा पूरी करके कॉलेज आ पहुंचे | इस बार गर्मियों की छुट्टियों में जब वो घर आये तो किसान ने सोचा कि अब तो इन्हें थोडा बहुत इधर – उधर आना जाना चाहिए | उसके सुशिक्षित पुत्रों को देखकर ग्रामवासी भी खुश होंगे और इससे उसकी भी प्रतिष्ठा बढेगी |

सयोंगवश उन्ही दिनों गाँव में एक बड़े व्यापारी के पुत्र की मृत्यु हो गयी | किसान उस समय कुछ अस्वस्थ था | सो उसने अपने छोटे पुत्र को आदेश दिया की वह व्यापारी के घर जाकर उसके पुत्र की मृत्यु पर संवेदना व्यक्त करके आये |

छोटे पुत्र ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया | इस प्रकार के किसी कार्य में जाने का उसका यह पहला अवसर था, लेकिन इस बात के लिए उसे किसी प्रकार का कोई संकोच नहीं था | भला संवेदना व्यक्त करने में क्या दिक्कत है ? सो निश्चित भाव से वह व्यापारी के घर पहुंचा |

व्यापारी के घर के बाहर चबूतरे पर अनेक व्यक्ति बैठें हुए थे | व्यापारी स्वयं किसी काम से घर के अन्दर गया हुआ था | चबूतरे पर बैठें अन्य लोग आपस में बातें कर रहे थे |

व्यापारी के जिस बेटे की मृत्यु हुई थी, उसके प्रति लोगों के विचार सामान्यतः अच्छे नहीं थे | पड़ोस के लोगों को तो वह अक्सर तंग करता रहता था | अन्य लोग भी उससे असंतुष्ट ही थे | फिर भी मृत्यु के बाद संवेदना व्यक्त करने की औपचारिकता तो निभानी ही होती है | सो इसलिए वहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हो रहे थे | व्यापारी की अनुपस्तिथि के कारण कुछ लोग धीमे स्वर में मृतक की बुराई भी कर रहे थे |

Moral Stories in Hindi : किसान का बेटा भी अन्य उपस्थित लोगों के पास जाकर एक और बैठा हुआ था | उसने सुना, उसके निकट बैठा हुआ एक व्यक्ति अपने दुसरे साथी से फुसफुसाते हुए कह रहा था – “अच्छा हुआ, व्यापारी का बेटा मर गया | अक्सर आते जाते मेरे घर में पत्थर फेंक दिया करता था | जब कभी भी उसे मना करता, तो वह गाली गलौच पर उतर आता |”

इस पर दुसरे व्यक्ति ने तत्काल उत्तर दिया – “अजी क्या कहूँ उस लड़के के बारे में ? इतने बड़े व्यापारी का बेटा होते हुए भी वह उठाईगिरा था | एक दिन मकान की खिड़की में से मेरी कटोरी गिर गयी | पीछे से यहीं लड़का आ रहा था | मैं जब तक नीचे उतरा तब तक तो वेह कटोरी लेकर भाग गया | बाद में पता चला कि उस कटोरी को तो उसने एक दुकान पर बेच दिया | मैं क्या करता ? लिहाज़ के कारण खामोश बैठा रहा |”

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इन दोनों के पास बैठा तीसरा व्यक्ति चुपचाप इन दोनों की बातें सुन रहा था | अब वह भी बोल उठा – “अजी सेठजी के इस लिहाज़ के कारण ही तो मैं भी खामोश रहा | नहीं तो उस लड़के को मैं जेल की हवा खिला देता | वह एक दिन सौ रुपये का नकली नोट मुझे देकर दस – दस रुपये के असली नोट ले गया | बाद में जब उस सौ रुपये के नोट के जाली होने का मुझे पता चला तो मैंने उस लड़के को कहा, लेकिन वह साफ़ मुकर गया और कहने लगा कि उसने मुझे कभी कोई सौ रुपये का नोट दिया ही नहीं |”

Moral Stories in Hindi : किसान का बेटा चुपचाप बैठा हुआ इन बातों को सुन रहा था | कुछ अन्य व्यक्ति भी धीरे – धीरे बतिया रहे थे | लेकिन वो काफी दूर थे | इसलिए किसान का बेटा उन लोगों की बातें सुन नहीं पाया किन्तु उसने अनुमान लगाया की अन्य लोग भी शायद उस लड़के की बुराई ही कर रहे थे |

थोड़ी देर बाद व्यापारी घर से बाहर आ गया | सभी उपस्थित लोगों का अभिवादन करके वह अत्यंत शोकमग्न मुद्रा में चुपचाप बैठ गया | आगे बैठे लोगों ने व्यापारी से लड़के की मृत्यु के बारे में पूछताछ की तो व्यापारी धीरे – धीरे सम्पूर्ण घटनाचक्र के बारे में बताने लगा, जिसका सार केवल इतना ही था कि उस लड़के को तीन दिन पहले बुखार चढा था | सभी तरह का इलाज़ करवा लिया मगर कोई लाभ नहीं हुआ और अंत में वह उसी बुखार में चल बसा | इसके बाद वहां खामोशी छा गयी | सब लोग चुपचाप बैठे रहे |

किसान के बेटे को खामोश रहने वाली बात समझ में नहीं आयी | जो लोग संवेदना व्यक्त करने आये हैं, उन्हें अपनी बात कहनी चाहिए | खामोश बैठे रहने से क्या लाभ ? यहीं सोचते हुए किसान का बेटा उठ खडा हुआ और परिचय देकर बोला – “सेठ साहब, मुझे पिताजी ने आपके यहाँ संवेदना व्यक्त करने के लिए भेजा है | सो मैं उपस्थित हूँ | अपने पुत्र की मृत्यु पर दुखी होना स्वभाविक है | शायद इसलिए आप भी दुखी है | किन्तु यहाँ आकर मैंने आपके पुत्र के बारे में जो सुना, वह अच्छा नहीं था | आपका पुत्र बहुत दुष्ट, उठाईगिरा, बेईमान और झूठा इंसान था | मेरे पड़ोस में जो लोग बैठे है, उनमें से एक के घर वेह आते – जाते पत्थर फेंकता था, दुसरे की, ऊपर से गिरी हुई कटोरी लेकर भाग गया और तीसरे की सौ रुपये का नकली नोट देकर, उससे दस – दस रुपये के असली नोट ले गया | ऐसे धूर्त और बेईमान पुत्र का तो मर जाना ही बेहतर है | उसके लिय दुःख कैसा ? इसलिए मेरा कहना तो यहीं हैं सेठजी कि आप अपने दुष्ट पुत्र की मृत्यु पर खुशियाँ मनाइए, दुःख नहीं |”

Moral Stories in Hindi  : किसान का बेटा जब अपने पड़ोस में बैठे व्यक्तियों की बातों की चर्चा कर रहा था तो वे तीनों ही कुदृष्टि से उसे देख रहे थे और वहां से खिसक गए | किसान के बेटे का भी उनके खिसकने में ध्यान नहीं गया | उसने जब अपनी बातें पूरी की तो व्यापारी लगभग काँपता सा खडा हुआ और किसान के लड़के से पूछा – “कौन है वो व्यक्ति, जो मेरे स्वर्गीय पुत्र पर इस तरह का झूठा आरोप लगाते हैं ?”

किसान के बेटे ने उस तरफ इशारा किया जहाँ वह तीनों बैठे थे | किन्तु अब उनके स्थान खली थे | सो वह बोला – “वो लोग शायद सच्चाई से डरकर भाग गये हैं | मगर बात केवल उन्हीं की नहीं है | यहाँ जो दुसरे लोग बैठे हैं, वो भी कुछ इसी प्रकार की खुसफुस कर रहे थे | अवश्य ही आपके बेटे की बुराई कर रहे होंगे |”

यह आरोप सुनकर वहाँ उपस्थित लोगों ने लगभग एक स्वर में उसका विरोध किया और व्यापारी के मृत पुत्र की मुक्त कंठ से प्रशंसा करने लगे | कुछ लोग आवेश में उठकर किसान के बेटे से “तू – तू – मैं – मैं” भी करने लगे और वहाँ हातापायी का खतरा तक उत्पन्न हो गया |

Moral Stories in Hindi : स्पष्ट ही व्यापारी और उसके परिज़नों को ग़मगीन वातावरण में यह सब रुचिकर नहीं लगा | उन्होनें किसी तरह आवेश में आये लोगो को हाथापायी करने से रोका और किसान के बेटे को इस चेतावनी के साथ वहां से निकाल दिया कि वह भविष्य में कभी भी उधर ना आये |

किसान का बेटा वहाँ से लौट पड़ा, किन्तु उसकी समझ में नहीं आया की उसने आखिर कहाँ और कौन सी गलती कर दी, जिससे सब लोग उससे नाराज हो गए | जैसा उसने सुना वैसा ही उसने कह दिया | इसमें गलती क्या थी ? उसने घर आकर अपने पिता से सम्पूर्ण बात कह सुनाई तो किसान ने अपना सिर धुन लिया | उसने बेटे को समझाया की संवेदना व्यक्त करने में मृतक की प्रशंसा ही की जानी चाहिए, बुराई नहीं | यदि उसने कोई बुराई सुनी भी थी तो उसे कहने की क्या आवश्यकता थी ? सामान्य रूप में भी यदि हम किसी की प्रशंसा नहीं कर सकते तो उसके परिज़नों के सामने भी उसकी बुराई क्यूँ करे ? किसान का यह उपदेश उसके बेटे के समझ में आ गया और उसने उसे स्वीकार भी कर लिया |

Moral Stories in Hindi : किसान के सामने अब समस्या केवल संवेदना प्रकट करने की नहीं थी, बल्कि यह भी कि नाराज हुए व्यापारी से कैसे क्षमा मांगी जाए और उसे कैसे संतुष्ट किया जाये ? उसका स्वयं का स्वास्थ्य ऐसा नहीं था की वह स्वयं वहाँ तक जा सके | इसलिए उसने यह काम अपने बड़े बेटे को सौंपा और उसे कहा कि व्यापारी के पास जाकर अपने छोटे भाई की बद्तमीजी के लिए क्षमा मांग कर आये |

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बड़ा बेटा पूर्ण आत्मविश्वास के साथ व्यापारी के घर पहुँचा | उस समय तक दिन ढलने को था, सो संवेदना करने वाले लोग भी जा चुके थे | व्यापारी अकेला ही मूढे पर बैठा था | उसके अन्य नौकर तथा परिज़न इधर – उधर काम कर रहे थे |

किसान के बड़े बेटे ने व्यापारी के पास जाकर अपना परिचय दिया और फिर कहा – “मेरा छोटा भाई आपसे जो बद्तमीजी करके गया है उसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगने आया हूँ | वास्तव् में वह कुछ सनकी किस्म का है | मगर आप चिंता न करें | अगली बार जब आपका दूसरा पुत्र मरेगा तो मैं उसे बिलकुल नहीं आने दूंगा | संवेदना व्यक्त करने के लिए मैं स्वयं उपस्थित होऊंगा |”

Moral Stories in Hindi : व्यापारी इन सब बातों को सुनकर अत्याधिक क्रुद्ध हुआ | उसने अपने नौकरों को आदेश दिया कि किसान के उस लड़के को मार – पीट कर बाहर निकाल दिया जाए | नौकर उसकी तरफ लपके, किन्तु बदले हुए हालात देखकर किसान का बड़ा बेटा उनसे पहले ही वहाँ से भाग गया |

किसान के बड़े बेटे ने घर आकर अपने साथ गुजरी दास्तान बतलायी तो किसान ने फिर जोरों से अपना सिर पीट लिया | उसने महसूस किया की उसने अपने बेटों को किताबी ज्ञान तो दिला दिया लेकिन समाज के तौर तरीके और व्यावहारिकता का उन्हें कोई ज्ञान नहीं | सो अगले दिन से उसने स्वयं ही अपने दोनों बेटों को सिखलाना और समझाना शुरू किया तथा उन्हें सदैव विनम्र रहने और कभी भी ऐसा व्यवहार न करने का उपदेश दिया जो किसी को बुरा लगे | वह धीरे – धीरे उन्हें समाज के लोगों से संपर्क स्थापित करने के लिए भी भेजने लगा | इससे धीरे – धीरे किसान के दोनों लड़कों को भी व्यावहारिकता और समाज के तौर – तरीके का ज्ञान हो गया |

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