आदित्य और अंजलि | Aditya and Anjali on Date
आदित्य और अंजलि | Aditya and Anjali on Date : आदित्य और अंजलि आज पहली बार डेट पर गए थे, और एक अच्छा समय बिताने के बाद वापस आदित्य अंजलि को घर छोड़ने जा रहा था।
आदित्य ने अपनी कार निकली और अंजलि जाकर उसके बगल वाली सीट में बैठ गयी।
आदित्य बहुत धीरे-धीरे कार चला रहा था और अंजलि इस चीज़ को नोटिस कर रही थी। उसने यह भी देखा कि कैसे आदित्य उसे कार के शिशो से देखने की कोशिश कर रहा हैं।
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कुछ मिनटों के बाद ही, उन्होंने पाया की वो एक भारी भरख़म ट्रैफिक में फंस चुके हैं।
जब आदित्य से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने अंजलि से कहा “मैं हमेशा हमेशा ट्रैफिक से बहुत नफ़रत करता हूँ।”
अंजलि ने आदित्य के शब्दों को बहुत ध्यान से सुना और उसने सिर्फ एक ही शब्द कहा जिसकी वजह से आदित्य के चहेरे पर एक बड़ी सी मुस्कान छा गयी।
उसने पूछा, “हमेशा?”
विवशता देखो इस पागल मन की
कहता दूर नहीं हरदम तेरे करीब रहूँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
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देख तेरी प्यार भरी निगाहें
दिल तुझमें डूबने लगता
इतना प्यार भरा है दिल में
बरबस ही खिंचा चला आता
चाहती हैं निगाहें तुझमें डूबी रहे
बेबस निगाहें कैसे रोक पाऊँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
एकपल की दूरी भी अखरती
जब दर्द प्यार का रह-रहकर उठता
जितनी भी दूरी बनानी चाही
उतना ही प्यार भरा दर्द बढ़ता
ये मीठा दर्द और ये ख्याल दूरी का
नासमझ दिल कैसे इसे समझाऊँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
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तारे गिन-गिन कटती रातें
तुझे देख मन का सूरज उगता
दिनभर नाचे मन-मयूर इधर-उधर
शाम ढले जाने कहाँं छिपता
न दिल न मन रहता पास
अब तुम्हीं बताओ कैसे खबरदार रहूँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
सुखद अहसास तेरे मिलन का
अच्छा लगता प्यार में खो जाना
कैसा प्यार जो बना देता पागल
पागलपन में दिल का खुश होना
मिला प्यार बन गया तराना
फिर दुनिया से मैं क्यों डरूँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ