बुद्धि से भरा घड़ा अकबर बीरबल की कहानियाँ।
बुद्धि से भरा घड़ा – Akbar Birbal Stories in Hindi : एक दिन श्रीलंका से एक दूत अकबर के दरबार में पहुँचा। दूत ने अकबर से एक विचित्र निवदेन किया। उसने कहा “महाराज , आपके दरबार को सुशोभित करने वाले बुद्धिमान और पढ़े -लिखे विद्वानों की पूरे विश्व में चर्चा है, इसलिए श्रीलंका के महाराज ने मुझे यहाँ बुद्धि से भरा घड़ा लाने के लिए भेजा है।
श्रीलंका के दूत की आश्चर्यजन बात सुनकर अचानक पूरा दरबार फुसफुसाहटों से भर गया। “क्या ! बुद्धि से भरा घड़ा! कितना विचित्र निवदेन है।
“क्या श्रीलंका के महाराज हमें मूर्ख बनाना चाहते है ? मुझे नहीं लगता की हम उनकी इस इच्छा की पूर्ति कर सकते है। ” अकबर ने कहा। तभी बीरबल खड़ा हुआ और बोला “महाराज हम ऐसा कर सकते है, परन्तु हमे इसके लिए कुछ समय चाहिए। ”
“ओह समय, यह कोई चिन्ता का विषय नहीं है। मैं कुछ समय के लिए प्रतीक्षा कर सकता हूँ। ” दूत ने उत्तर दिया।
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बीरबल अपने घर चला गया और उसने अपने सेवक को बुलाकर कहा “जाओ मेरे लिए छोटे मुँह वाले मिटटी के बड़े-बड़े घड़े लाओ।” कुछ समय पश्चात सेवक एक दर्जन मिटटी के घड़े ले आया। बीरबल ने सेवक को कहा। घड़े लेकर वे एक ऐसे स्थान पर गए जहाँ कददू के पौधे लगे हुए थे। बीरबल ने घड़ो को कददू के अंदर कर दिया। इसके पश्चात उसने, खेत की देखभाल करने वाले किसान को आदेश दिया की “इन घड़ो को तब तक हिलाया-डुलाया ना जाए जब तक की मैं आदेश न दूँ।
कुछ दिनों बीरबल से ‘बुद्धि के घडे’ के विषय में पूछा। बीरबल ने कहा “महाराज, घड़े के भरने में अभी कुछ सप्ताह का समय और लगेगा, तब घड़ा पूरी तरह से बुद्धि से भर जाएगा और वह अच्छी तरह पाक भी जाएगी। ”
पन्द्रह दिनों बाद बीरबल कददू के पौधों को जाँचने के लिए पहुँचा। उसने देखा की कददू का आकर घड़े के बराबर हो गया है। उसने अपने सेवक को बुलाया और उससे कहा “सावधानीपूर्वक कददू से भरे घड़ो को पौधों से अलग करके घड़ो को उठा लो। ”
अगली सुबह अकबर के दरबार में बीरबल ने श्रीलंका के दूत को बुलवाया और कहा “श्रीमान, मैं आपको एक घड़ा बुद्धि से भरकर दे रहा हूँ। ”
बीरबल का सेवक आगे बढ़ा जिसके हाथ में मिट्टी का एक घड़ा था, और घड़े मुँह एक कपड़े से ढका हुआ था। दूत ने सेवक से घड़ा ले लिया। बीरबल ने कहा “श्रीमान, ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है की हमने बुद्धि एक कीमती घड़े में रखी है। अतः मैं आपसे प्रर्थना करता हूँ कि आप हमें यह घड़ा, बिना कोई नुकसान पहुँचाए खाली करके वापस कर दीजिएगा। घड़े में रखी बुद्धि का फल तभी प्रभावकारी होगा जब वह घड़े से बिना किसी नुकसान के निकाला जाए। ”
इस पर दूत ने बड़े कौतुहल से घड़े के अंदर देखा और वह पीछे हट गया। बीरबल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा – “हमारे पास इस तरह के दस घड़े और है। यदि श्रीलंका के महाराज को और अधिक बुद्धि चाहिए तो उनसे कह दीजिएगा की शीघ्र मँगवा ले अन्यथा हो सकता है कि कोई अन्य जरूरतमंद इन्हें माँग ले जाए। ”
दूत ने सोचा की बीरबल ने उसे बुद्धि द्वारा वास्तव में पराजित कर दिया। उसके राजा को, अकबर के दरबारियों को इस प्रकार चुनोती नहीं देनी चाहिए थी। दूत बिना कुछ कहे, घड़े को लेकर चला गया।
अकबर ने भी घड़े से भरी बुद्धि को देखने की इच्छा प्रकट की। तुरंत ही बीरबल ने सेवक को आदेश दिया की बुद्धि से भरे अन्य घड़े को लाकर बादशाह अकबर के
सामने रखे। सेवक अपने साथ दस घड़े लेकर बादशाह अकबर के सामने पंहुचा। बादशाह अकबर ने जैसे ही एक घड़े के अंदर झाँका वे खिलखिलाकर हँस पड़े, क्योंकि उसके अंदर कददू था। “ओह! वास्तव में बीरबल ने श्रीलंका के राजा को ऐसी बुद्धि दी हैं, जो उन्हें जीवन भर याद रहेगी।” अकबर ने कहा।
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