बेचारी बिल्ली | Bechari Billi

बेचारी बिल्ली | Bechari Billi

बेचारी बिल्ली | Bechari Billi : एक गरीब बूढ़ी औरत किसी टूटे-फूटे से झोंपड़े में रहा करती थी। उसने एक बिल्ली पाल रखी थी, जो उसी की तरह दुबली-पतली थी। बुढ़िया के पास खानेपीने के नाम पर रूखा-सूखा भोजन ही होता था, जिसका बचा-खुचा उसकी पालतू बिल्ली खा लेती थी ।
एक दिन पालतू बिल्ली झोंपड़ी के कोने में बैठी अपने आपको चाट रही थी, तभी उसने सामने एक अन्य बिल्ली को आते देखा। वह एक दीवार पर चलकर आ रही थी। एक नजर में तो पालतू बिल्ली भी धोखा खा गई कि यह बिल्ली ही है या कोई और ! फिर उसे विश्वास हो गया कि यह तो बिल्ली ही है। उस बिल्ली के बाल बड़े चमक रहे थे और डीलडौल भी खासा था। मोटापा खूब था। दुम तनी हुई थी और आंखों की चमक तो पूछो मत!

Also Check : True Love Stories to Read

बेचारी बिल्ली | Bechari Billi

बेचारी बिल्ली | Bechari Billi : उस मोटी बिल्ली को देखकर पालतू बिल्ली ने उसे आवाज दी-‘बहन!’ आवाज सुनते ही मोटी बिल्ली उसकी ओर पलटी। ‘तुम बहुत अच्छी लग रही हो। तुम अपने को इतना तगड़ा कैसे रख पाती हो? मुझे भी तो बताओ, तुम क्या खाती हो? कहां खाती हो?’ पालतू बिल्ली ने कहा। यह सुनकर मोटी बिल्ली एकदम इतरा गई। मुंह पर तिरछी जीभ और हिलाती दुम के साथ वह बोली-‘जाहिर है, राजा के यहां से। मैं राजा के भोजन कक्ष में चुपचाप घुस जाती हूं और इसके पहले कि राजा और अन्य लोग आकर खाएं, मैं छिपकर तली मछली-गोश्त, सब्जी-मेवे खा जाती हूं।’
अब पालतू बिल्ली की उत्सुकता और बढ़ गई। वह मोटी बिल्ली से पूछने लगी-‘मुझे बताओ न मछली और गोश्त का जायका कैसा होता है? मेरी मालकिन बुढ़िया तो मुझे बस सूखी रोटी और बचा-खुचा खाना देती है। मैंने कभी मछलीगोश्त नहीं खाए।’ ‘तभी! मैं कहूं कि तुम इतनी दुबली क्यों हो? तुम्हारी तो अभी से पसलियां दिखने लगी हैं।’ मोटी बिल्ली ने कहा। वह फिर बोली-‘अगर तुम राजा के खाने का कक्ष देखोगी, तो चकरा जाओगी। मैं कैसे बताऊँ वहां क्या-क्या रखा रहता है?’

Also Check : Free Money in India 

बेचारी बिल्ली | Bechari Billi

बेचारी बिल्ली | Bechari Billi : अब पालतू बिल्ली के मुंह में पानी आ गया। मुंह से लार टपकी जा रही थी। उसे लगा जल्दी से वह भी राजा के रसोईघर में पहुंच जाए, तो कितना अच्छा! यह सोचकर वह बोल पड़ी-‘बहन! क्या तुम मुझे अपने साथ नहीं ले जा सकती?’ मोटी बिल्ली बोली-‘ले तो चलती हूं, पर वहां तुम्हें अपनी रक्षा स्वयं ही करनी होगी, सोच लो।” पर पालतू बिल्ली कहां मानने वाली थी, वह तो मछली-गोश्त खाने की कल्पना में खोई थी, इसलिए जल्दी से अपनी मालकिन से विदा लेने चली गई।

Also Check : Short Films in Hindi 
बेचारी बिल्ली | Bechari Billi : बुढ़िया ने पालतू बिल्ली को समझाया-‘यहीं रहो, जो मिल रहा है, जैसा मिल रहा है, उसी में प्रसन्न रहो। सोची, अगर राजा के नौकरों ने तुम्हें पकड़ लिया तो क्या होगा?’ लेकिन उसने एक न मानी और अपनी नई सहेली के साथ महल की ओर फांद गई।
कुछ दिन पहले राजा के भोजन कक्ष में उस मोटी बिल्ली को राजा ने भोजन चुराते देख लिया था, इसलिए उसने आज्ञा दे रखी थी कि ‘यदि कोई भी बिल्ली महल में घुसे, तो उसे मार दिया जाए।’ मोटी बिल्ली बहुत चालाक थी, वह तो प्रवेश द्वार पर चालाकी से सिपाहियों से आंख बचाकर घुस गई, पर पालतू बिल्ली में यह गुण नहीं था। वह आराम से चली जा रही थी, तो तत्काल पकड़ में आ गई। बेचारी मछली-गोश्त की गंध में खोई थी, पर यहां तो उलटा ही हो गया। सिपाहियों ने उसकी गर्दन पकड़ी और मरोड़ डाली।
उधर जब देर रात तक पालतू बिल्ली नहीं लौटी, तो बुढ़िया समझ गई कि क्या हुआ होगा? उसने मन ही मन सोचा-‘अगर वह, जो मिल रहा था उसी को खाकर प्रसन्नता और संतोष रखती, तो ऐसा नहीं होता।’

Also Check : Have a Look on Politics in Hindi 

बेचारी बिल्ली | Bechari Billi

Also Check : Real Love Story 

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.