Bhai Dooj in Hindi : हिन्दू धर्म में भाई और बहन के प्यार को मानाने के लिए 2 पर्व आते हैं | एक रक्षा बंधन है और एक भैया दूज | भाई दूज का त्यौहार बहन भाई के परस्पर प्रेम का त्यौहार है जिसे सारे देश में मनाते हैं |यह पर्व दिवाली के दो दिन के बाद आता है |भाईदूज का पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल 9 नवंबर 2018 को आएगा |
भाई के लिए बहिन का प्यार अतुल्य होता है , लेकिन इस दिन भाई यदि अपनी बहिन को कुछ उपहार देता है तो इस दिन का मज़ा और भी बढ़ जाता है | ये त्यौहार भाई और बहिन के स्नेह को और बढ़ा देता है | इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे भाई टीका , भाऊ बीज और इसे भाई फोटा भी कहते हैं |इसे महाराष्ट्र , गोवा और कर्नाटक में भाई बीज , नेपाल में भाई टीका और मणिपुर में निंगोल चकबा के नाम से जानते हैं |
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Bhai Dooj in Hindi : इस दिन विवाहित बहिन अपने भाई को अपने घर पे आमंत्रित करती हैं और उनके लिए लज़ीज़ पकवान बनती हैं | बहनें सुबह पहले स्नान करके विष्णु और गणेश जी की पूजा करती है | फिर अपने भाई के लिए भोजन बनती है| भाई को बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। अपनी सगी बहन न होने पर चचेरी या ममेरी बहन के घर जाकर भोजन करना चाहिए। साथ ही भोजन करने के पश्चात बहन को गहने, वस्त्र आदि उपहार स्वरूप देना चाहिए ।
बंगाल में इसे भाई फोटा के नाम से जानते हैं | इस दिन बहिन अपने भाई के लिए व्रत रखती है और अपने भाई के मस्तक पर “फोटा ” यानी चन्दन का तिलक लगाती है और अपने भाई को मिठाई खिलाती है , उसे उपहार देती है और उसकी लम्बी उम्र की दुआ मांगती है | हर भाई इस दिन का इंतज़ार बेसब्री से करता है , क्योंकि अपनी बहिन के घर पकवानों का आनंद जो उठाना होता है | कई उपहारों का आदान प्रदान होता है और ख़ुशी ज़ाहिर करने के लिए शंख ध्वनि भी की जाती है |
आज कल जो बहनें अपने भाइयों से नहीं मिल पाती वे लिफाफे में तिलक भेज देती हैं | और कई जगह कंप्यूटर पर एक दूसरे से मिलकर भाई बहन इस प्यार को सदैव बने रहने की कसम लेते हैं |
Bhai Dooj in Hindi : भैया दूज मनाने का सबसे प्रथम महत्व भाई बहन का प्यार है | दिवाली की धूम के बाद अपनी खुशियों के पलों को बाँटने के लिए एक शादी शुदा लड़की के लिए अपने परिवार से मिलना एक त्यौहार का प्रतिरूप होता है | भैया दूज उस मिलान का साक्षी बन जाता है | इस दिन भाई – बहनें यमुनाजी में स्नान करते है। भाई दूज देश के बाहर भी मनाया जाता है |
एक कहानी और प्रचलित है कि उत्तर प्रदेश के राज्य में सुल्ताना डाकू हुआ करता था |उसका डाका डालने का तरीका भी निराला था | वह डाका डालने के कई दिन पहले उस गाँव में जिसमें उसे डाका डालना होता था , खबर भेज देता की मैं अमुक दिन डाका डालने आऊँगा और ठीक उसी दिन वह आ कूदता था | एक बार उसने एक गांव में डाका डालने की खबर भेजी | गाँव बहुत बड़ा था | उसी तारिक पर सुल्ताना अपने दाल के साथ वहा पहुंच गया | जिस रस्ते से वह गांव पहुंच रहा था उस रस्ते में एक किसान का माकन जरा गांव से बहार था | किसान की पत्नी घर में अकेली थी और द्वार पर खड़ी थी | सुल्ताना डाकू ने उस औरत से कड़ककर पूछा कि वो वहाँ क्यों खड़ी है | औरत ने निर्भयता से जवाब दिया कि “भाई , तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ ” | सुल्ताना हंस पड़ा और आंगन में रोली चावल का थाल और नारियल देख कर पूछने लगा कि ये सब क्या है | औरत ने बताया कि ” आज का दिन भाई का इंतज़ार करने का होता है , आज भैया दूज है “|
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डाकू हंस कर बोला ” पगली , मैं तो डाकू हूँ , तेरे गांव को लूटने आया हूँ “| औरत ने सरलता से उत्तर दिया ” होंगे डाकू , लेकिन आज जो भी द्वार पे आता है वो भाई होता है ” | और उसने डाकू के मस्तक पर तिलक लगा दिया | सुल्ताना ने कुछ सोचा और जेब में जितने भी रूपये थे थाली में निकल कर रख दिए | फिर भावुक होकर बोला ” बहन , सुल्ताना डाकू बन्दुक की गोलियों से नहीं डरता , पर तूने उसे चावल के छर्रों से हरा दिया ” | बहन के घर से जाते वक्त उसकी ऑंखें भर आयी और उसने एलान किया की इस गांव की तरफ कोई डाकू नहीं देखेगा , ये सुल्ताना की बहन का गांव है |
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