भेद घर का | Bhed Ghar Ka

भेद घर का | Bhed Ghar Ka

भेद घर का | Bhed Ghar Ka : किसी नगर में देवशक्ति नाम का एक राजा निवास करता था। उसका एक पुत्र था जिसके पेट में एक सर्प ने अपना निवास बना लिया था। जीवन से तंग आकर उसने अपना नगर छोड़ दिया और विदेश में जाकर एक दूसरे नगर में रहने लगा | दिन-भर वह भिक्षा मांगकर अपने उदर का निर्वाह करता और रात को एक मंदिर में जाकर सो जाता |
उस नगर के राजा का नाम बलि था। उसकी दो कन्याएं थीं जो अब युवा हो चुकी थीं। दोनों कन्याएं प्रतिदिन प्रात:काल अपने पिता को प्रणाम करने आती थीं। उनमें से एक कहती-‘महाराज विजयी हों। आपकी ही कृपा से मुझे संसार का सम्पूर्ण सुख भोगने को मिलता है।’ दूसरी कहती थी-‘महाराज ! ईश्वर आपके कर्मों का फल आपको दे।’ दूसरी के वचन सुनकर राजा क्रोधित हो जाता था। एक दिन इसी क्रोधावेश में आकर उसने अपने मंत्री को आदेश दिया-‘मंत्री ! इस लड़की को ले जाकर किसी गरीब परदेसी के साथ इसका विवाह कर दो ताकि यह अपने किए कर्मभोग स्वयं करे।’

Also Check : Love Story in Hindi 

भेद घर का | Bhed Ghar Ka

भेद घर का | Bhed Ghar Ka :  राजा की आज्ञानुसार मंत्री ने उस राजपुत्री का विवाह मंदिर में सामान्य भिखारी की भांति ठहरे परदेसी राजपुत्र से कर दिया। राजकुमारी ने उसे ही अपना पति मानकर सेवा की। दोनों एक सरोवर के किनारे ठहरे। वहां राजपुत्र को छोड़कर उसकी पली पास के गांव से घी, तेल, अन्न आदि सौदा लेने चली गई। सौदा लेकर जब वह वापस लौटी तो उसने देखा कि उसका पति तालाब से कुछ दूर एक सांप के बिल पास सोया हुआ है। उसके मुख से एक फनियल सांप बाहर निकलकर हवा खा रहा था। एक दूसरा सांप भी अपने बिल से निकलकर फन फैलाए वहीं बैठा था। दोनों सांपों में किसी बात को लेकर वाद-विवाद चल रहा था | बिल वाला सांप पेट में रहने वाले सांप से कह रहा था-‘अरे दुष्ट।

Also Check : Earn Money Online Free in India

भेद घर का | Bhed Ghar Ka : तू इतने सर्वागसुंदर राजकुमार का जीवन क्यों नष्ट कर रहा है ?? पेट वाला सांप बोला-‘तू भी तो इस बिल में पड़े दो स्वर्ण मुद्राओं से भरे कलशों को दूषित कर रहा है।’ बिल वाला सांप बोला-‘तू क्या समझता है कि तुझे पेट से निकालने की दवा किसी को मालूम नहीं है ? कोई भी व्यक्ति राजकुमार को उबाली हुई राई की कांजी पिलाकर तुझे मार सकता है।” इस पर पेट में रहने वाले सांप ने क्रोधित होकर कहा-‘और तू अपने को सुरक्षित समझे बैठा है क्या ? तुझे भी तो कोई तेरे बिल में गरम् तेल डालकर मार सकता है।” इस तरह दोनों ने एक-दूसरे का भेद खोल दिया। राजपुत्री ने दोनों की बातें सुन ली थीं। उसने उनकी बताई विधियों से ही दोनों सांपों को मार डाला। उसका पति भी निरोग हो गया और बिल में रखे स्वर्ण मुद्राओं से भरे दो कलश पाकर उसकी दरिद्रता भी दूर हो गई। इतना सुनाकर प्राकारकर्ण ने कहा-‘देव ! इसलिए मैं कहता हूं कि पारस्परिक विवाद में एक-दूसरे के रहस्यों को उजागर करने वाले व्यक्ति प्रायः अपना ही सर्वनाश कर लेते हैं। ”

Also Check : Funny Quote in Hindi

भेद घर का | Bhed Ghar Ka : उसकी बात सुनकर अरिमर्दन ने भी यही निश्चय किया कि कौए को मारा नहीं जाएगा।
अरिमर्दन की बात सुनकर रक्ताक्ष को बहुत क्षोभ हुआ। उल्लूराज ने अन्य मंत्रियों की सलाह मान ली थी; किंतु उसके परामर्श को ठुकरा दिया था। वह मन-ही-मन हंसा और अन्य मंत्रियों से बोला-‘मुझे यह देखकर बहुत दुख हो रहा है कि आप लोगों ने महाराज को विपरीत परामर्श देकर उनका उसी प्रकार अनिष्ट किया है जैसे एक रथकार अपनी पत्नी की झूठी सफाई सुनकर संतुष्ट हो गया था। तब उसने अपनी पत्नी के साथ-साथ उसके प्रेमी को भी अपने कधों पर बैठाकर सारे ग्राम में घुमाया था।’
उसके साथियों ने पूछा-‘वह कैसे ?’
रक्ताक्ष ने तब उन्हें यह कहानी सुनाई।

Also Check : Mahashivratri Ka Mahtv

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.