देवर्षि नारद द्वारा वाल्मीकि ऋषि को उपेदश देना : वाल्मीकि ऋषि ने स्नान-ध्यान किया और देवर्षि नारद ने उन्हें केसरिया अंग वस्त्र प्रदान किए। केशों का जूड़ा बांधा। उनके सारे केश अब तक श्वेत हो चुके थे। नारदजी ने उनसे कहा, “ऋषिवर! इस युग में पवित्र वंश के महान इक्ष्वाकुवंश में दशरथ नंदन श्रीराम का जन्म हुआ है। वे साक्षात विष्णु भगवान के अंशावतार हैं। सभी कर्मयोगी, भक्त और ज्ञानी नित्य उनका ध्यान करते हैं। तुम्हारे मुख से भी उन्हीं श्रीराम का नाम, गत एक हजार वर्षों से उच्चरित होता रहा है। तुम अब उन्हीं के चरित्र में अपना ध्यान लगाओ। मां सरस्वती ने चाहा तो तुम्हें उनका चरित्र बखान करने की वाणी अवश्य प्राप्त होगी।”
वाल्मीकि बोले, “देवर्षि ! मेरा लक्ष्य निर्धारित करके आपने मुझ पर बड़ी कृपा की है। मैं मां सरस्वती से प्रार्थना करूंगा कि वे मुझे वाणी और शक्ति, दोनों प्रदान करें। आप मुझे श्रीराम का चरित्र सुनाएं।”