Dhanteras Puja Vidhi | धनतेरस पूजन की सरल और प्रामाणिक विधि

Dhanteras Puja Vidhi : हमारा देश त्योहारों का देश है | हर मौसम के बदलने पर त्यौहार आते हैं |कार्तिक मास में हमारे मौसम के तो रंग ढंग बदलते ही हैं , इस मास में कई त्योहारों की दस्तक भी सुनाई देती है| धनतेरस भी  कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी को पड़ती है | धनतेरस दिवाली के ठीक दो दिन पहले ही आती है , यानि अमावस्या के दो दिन पहले | क्या आप जानते  है इस त्यौहार का महातम ? आइये जानें |

Dhanteras Puja

धनतेरस सुख ,धन  ऐवं समृद्धि का त्यौहार माना जाता है |इस दिन चिकित्सा के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है क्योंकि  इस दिन उनका जन्म हुआ था | इस दिन अच्छे स्वस्थ्य की भी कामना की जाती है | धन्वंतरि की पूजा करने से माता लक्ष्मी भी अत्यंत  प्रसन्न होती हैं| धनतेरस के उपलक्ष पर देवी लक्ष्मी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परंपरा है तथा यम को दीप दान करने का भी विधान है | धनतेरस भगवान् महावीर से भी जुड़ा है | इस दिन भगवान् महावीर तीसरे और चौथे ध्यान में चले गए  थे |भगवान् महावीर तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए निर्वाण को प्राप्त हो गए थे , ठीक दिवाली वाले दिन |2016 से इस दिन को आयुर्वेदिक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है | आयुष मंत्रालय , भारत सरकार ने 28 अक्टूबर 2016 को इस दिन को आयुर्वेदिक दिवस घोषित किया था |

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धनतेरस  की  पौराणिक एवं  प्रमाणिक  कथायें | Dhanteras Puja Vidhi

dhanteras katha

Dhanteras Puja Vidhi : एक  कथा के अनुसार, देवताओं को असुरों के राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। राजा बलि के गुरु -शुक्राचार्य वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान गये और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आए हैं। वे कुछ भी मांगे तो उन्हें मत देना | बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य  राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया।इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब विष्णु भगवन  ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पैर  से अंतरिक्ष को और तीसरा  पैर  बलि ने अपने  सिर पर  रखवा लिया । बलि अपना सब कुछ गंवा बैठे और  बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली| इस  उपलक्ष्य में  धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है |

एक दूसरी कथा राजा हेम की है | राजा हेम के घर भगवान् की  कृपा से पुत्र पैदा हुआ  | जब उस बच्चे की कुण्डली बनाई गई तो पता चला कि विवाह के चार दिन पश्चात ही वह मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा । राजा इस बात का  ज्ञात होने पर बहुत दुखी हुए | उन्होंने उस बच्चे के प्राण बचाने हेतु एक निर्णय किया कि  उस राजकुमार को वह से दूर भेज दिया जाए और उसकी शादी न की जाए |  एक दिन दैवलोक की एक राजकुमारी और राजकुमार , दोनों ने एक दूसरे को देखा और देखकर मोहित हो गये | उन्होंने विवाह कर लिया | विवाह होने के पश्चात जो होनी घटित हुई ,बताते हैं |  विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार की आत्मा लेने पहुंच गए | लेकिन यमदूत से उस राजकुमार की पत्नी का विलाप देखा नहीं गया और वे बहुत दुखी हुए  | यमदूत ने यमराज से  विनती की और पूछा की कोई उपाय बता दो जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए । दूत के इतना दुखी स्वर में अनुरोध करने से  यमदेवता ने एक आसान तरीका बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात को यदि  कोई  प्राणी उनके  नाम से पूजा करके दीपों की श्रंखला दक्षिण दिशा की तरफ जलाये तो  उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा में दीप जलाकर यमदेवता को खुश  करते  हैं।

इस दिन ही भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान हाथों में स्वर्ण कलश लेकर उत्पन्न हुए।मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। इस स्वर्ण-कलश में अमृतभरा था जिससे देवता अमर बन गए ।धनवंतरी के प्रकट  होने के दो दिन बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई। इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दिवाली का त्योहार मनाया जाता है |

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धनतेरस के दिन क्या करें

Dhanteras Rangoli

  • Dhanteras Puja Vidhi : धनतेरस के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने-चांदी एवं अन्य धातु के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है | या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीद सकते हैं | भगवान धन्वन्तरि क्योंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है |  इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेअरह गुणा वृद्धि होती है , ऐसा भी माना जाता है | चांदी  खरीदने का एक और कारण है- इसे शीतलता का प्रतीक माना गया है और ऐसी मान्यता है कि  ऐसे शांति घर में प्रवेश करती है |
  • धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करना चाहिए एवं मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करना चाहिए ।
  • रंगोली से लक्ष्मी जी के पैरों के छोटे छोटे चिह्न बनाए जाते हैं जो घर के अंदर तक आते हैं |
  • जमीन खरीदने, कार खरीदने, निवेश करने और किसी नए उद्योग की शुरूआत के लिए भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।

धनतेरस पूजन की सबसे सरल और प्रामाणिक विधि

Dhanteras Puja Vidhi

Dhanteras Puja Vidhi : इस दिन माँ लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा की जाती है | 13 दीपक जला कर , श्रीगणेश जी , देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर का ध्यान व पूजन करें।  हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान भी करें। शाम के समय नए दीपक में सरसों का तेल भरकर यमराज का ध्यान करते हुए दीपक जलाएं। दीपक को घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रख दें।

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जो नया बर्तन खरीदा था  उसमें  दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं। कारोबारी धनतेरस के दिन को बहुत ही खास मानते हैं क्योंकि यह प्रचलित  है कि इस दिन लक्ष्मी पूजन से समृद्धि, खुशियाँ  और सफलता मिलती है

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