Diwali Essay in Hindi : हमारा समाज तयोहारों को हमेशा एक साथ मिल कर खुशियां मनाता है | भारत के सबसे परचलित्त त्योहार है होली, रक्षाबंधन, दशहरा और दिवाली | इनमें से दीपावली सबसे प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार का ध्यान आते ही मन-मयूर नाच उठता है। यह त्योहार दीपों का पर्व होने से हम सभी का मन आलोकित करता है।
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प्रस्तावना
Introduction
दिवाली का पर्व पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा त्यौहार होता है। दशहरे के बाद से ही सभी लोग दिवाली की त्यारियां शुरू क्र देते है , जो बड़े स्तर पर की जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम , माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे। इसके अलावा दीपावली को लेकर कुछ और भी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं ।
दीपावली कब और क्यों मनाई जाती है ?
दीपावली का त्यौहार दशहरे के 21 दिन बाद सितंबर से अक्टूबर माह के बीच में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। कहते हैं भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था।
दीपावली का यह त्यौहार 5 दिनों तक चलता है :-
जिस के पहले दिन धनतेरस होता है। लोगों का मानना है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में बरकत होती है।इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है। लोग मां लक्ष्मी के चरणों की छाप दरवाजे पर लगाते हैं। इस दिन यमराज की पूजा भी की जाती है और पूरी रात दीप जलाए जाते हैं, जिसे यमदीपदान भी कहा जाता है। इसमें असमय मृत्यु के ड़र को दूर किया जाता है।
दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को मार गिराया था। कुछ लोगों द्वारा यह दिन छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। किवंदति हैं कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने क्रूर राक्षस नरकासुर का वध कर 16 हजार युवतियों को कैद से मुक्त कराया था। कैद से छुटने के बाद महिलाओं ने संगुधित तेल की मालिश की और शरीर की गंदगी को दूर करने के लिए स्नान किया।
तीसरा दिन दीपावली त्यौहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन घरों में स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। घरों को प्रकाशमय बनाया जाता है। लोगो एक – दूसरे के घरों में मिठाई और उपहार भेजते हैं। अमावस्या की काली रात होने के बावजूद भी पूरे धरतीलोक में दियों से उजियारा फैला हुआ होता है। आतिशबाजियां होती है। कई जगहों पर दीपावली के मेले भी लगते हैं।
दीपावली के चौथे दिन को गोवर्धन पूजा की जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था। इस दिन घर के बाहर महिलाएं गोबर रखकर पारंपरिक पूजा करती है।
दीपावली के त्यौहार के आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भाई और बहिन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहिनें अपने भाई को तिलक लगाती है और भाई अपनी बहिनों को उपहार देता है।
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दीपोत्सव मनाने की तैयारियां
यह त्योहार एक ऐसा त्यौहार है जो लगभग सभी धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता हैं। दिवाली के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट की तैयारियां शुरू हो जाती है।
नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। घरों में साफ़ सफाई की जाती है और खूबसूरत चीजों से सजाया जाता है । लक्ष्मी जी के आगमन में चमक-दमक की जाती है।
उत्सव – यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने बहीखाते नए बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्छा माना जाता है। अमावस्या के दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है।
दिवाली में खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। फुलझड़ी, पटाखे छोड़े जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियां मन को मोह लेती हैं। दुकानों, बाजारों और घरों की सजावट देखने लायक रहती है।
एक-दूसरे के गले लगकर दिवाली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। गृहिणियां मेहमानों का स्वागत करती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योहार मनाते हैं।
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दीपावली के लाभ और हानियां
Pros & Cons
दीपावली के लाभ –
दीपावली की हानियाँ –
उपसंहार
conclusion
दीपावली पर्व है अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे वातावरण को प्रकाशमय बनाने का।
दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं, जो घर व समाज के लिए बड़ी बुरी बात है। हमें इस बुराई से बचना चाहिए। पटाखे सावधानीपूर्वक छोड़ने चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दुख न पहुंचे, तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा।
दीपावली का त्यौहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्यौहार से सभी के जीवन में खुशियाँ आती है। इसी त्यौहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है।
इस त्यौहार से हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहती है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि कभी भी अंधकार से नहीं डरना चाहिए क्योंकि एक छोटे से दीपक की लौ भी काले अंधकार को प्रकाश में बदल सकती है, इसलिए हमें हर समय अपने जीवन में आशावादी रहना चाहिए और अपने जीवन में हमेशा खुश रहना चाहिए।
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