Do Kritgya Prani दो कृतज्ञ प्राणी

Do Kritgya Prani दो कृतज्ञ प्राणी

Akbar Birbal Stories

Do Kritgya Prani दो कृतज्ञ प्राणी : बादशाह अकबर को बीरबल के सामने चुनौतियाँ रखने की आदत थी। उसके बुद्धिमतापूर्ण समाधान से अकबर चकित रह जाते थे और उसकी बुद्धि की प्रशंसा किया करते थे। एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल के समक्ष एक विचित्र निवेदन रखा। वे बोले “बीरबल, मैं चाहता हूँकि तुम दो प्राणियों को लाओ। एक प्राणी ऐसा हो, जो बहुत कृतज्ञ हो तथा हर क्षण अपनी कृतज्ञता को प्रकट करता रहे तथा उसके बदले कुछ भी करने को तैयार हो। और दूसरा वह जो अपने ऊपर किए गए एहसान को माने, परन्तु कभी संतुष्ट न हो।” “ठीक है, महाराज! कल मैं राज-दरबार में ऐसे दो प्राणियों को लेकर औाऊँगा।” बीरबल ने वायदा करते हुए कहा।

Do Kritgya Prani
अगले दिन सभी को उत्सुकता थी कि बीरबल दरबार में किसे लेकर आएगा। कुछ समय पश्चात् बीरबल ने दरबार में प्रवेश किया। उसके साथ एक कुत्ता और उनका अपना जमाई (दामाद) था। उसने महाराज को झुककर प्रणाम किया और कहा “महाराज, ये रहे वे दो प्राणी जिनके विषय में आपने कहा था। ” “ठीक है, बीरबल! अब इनके विषय में बताओ।” अकबर ने कहा। “महाराज, यह मेरा पालतू कुत्ता शेरू है। यह बहुत ही कृतज्ञ है। मैं प्रतिदिन इसे मुश्किल से एक रोटी का टुकड़ा देता हूँ। इसके बदले में यह चोरों से मेरे घर की रक्षा करता है। जब मैं काम से लौटकर घर पहुँचता हूँ, तो यह मुझे देखकर खुश हो जाता है। यहाँ तक कि यदि मैं इसे भोजन न भी दूँ, तब भी यह मेरे प्रति वफादार रहता है, जैसे कि सभी कुत्ते वफादार रहते हैं। यदि मनुष्य कुत्ते को केवल एक बार भोजन देने के बाद भगा दे, तब भी कुत्ता उस मनुष्य को याद रखता है। वह उसके प्रति वफादार रहता है और उसका मित्र बन जाता है तथा बाद में भी उसे नहीं भूलता।

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Akbar Birbal Story in Hindi

उसके एक बार बुलाने पर भी वह दौड़ा चला आता है। वह हर क्षण अपना पक्ष और कृतज्ञता दर्शाने को तैयार रहता है।” “और दूसरा, बीरबल!” बादशाह ने पूछा। बात जारी रखते हुए बीरबल बोला ‘महाराज, यह मेरा जमाई है। दुल्हन का पिता होने के कारण यह जीवन भर मुझसे धन व तोहफे आदि लेता रहेगा जैसा कि प्रत्येक जमाई लेता रहता है। एक धनी पिता अपना सब कुछ लुटाकर सड़क पर आ जाए, तब भी जमाई संतुष्ट नहीं होता। वह हमेशा कुछ न कुछ पाने की उम्मीद करता है। वह कुछ क्षण के लिए तो कृतज्ञता ही क्षण वह यह सोचने लगता है कि यह तो उसे मिलना ही থা। ” “तुम बिल्कुल सही कह रहे हो, बीरबल। मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ। इसलिए तुम्हारे जमाई की कृतघ्नता के कारण इसे मृत्युदंड देता हूँ।” अकबर ने कहा। अकबर की इस घोषणा से बीरबल स्तब्ध रह गया, फिर हमेशा की तरह अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए बोला, “महाराज! यह सब मैं केवल अपने जमाई के लिए नहीं कह रहा हूँ, बल्कि सभी जमाइयों के लिए कह रहा हूँ। क्या आप उन सभी को मृत्युदंड देंगे? परंतु यह ध्यान रहे महाराज, कि आप स्वयं भी किसी के जमाई हैं।” यह सुनकर बादशाह अकबर और सभी दरबारी जोर-जोर से हँसने लगे। बादशाह ने बीरबल के जमाई को माफ कर दिया। और हमेशा की तरह बीरबल की बुद्धिमानी से प्रभावित हो गए।

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