Essay on Holi in Hindi | होली पर निबंध

Essay on Holi in Hindi

Essay on Holi in Hindi : जानते हैं होली खेलने की शुरुवात कितने सालो पहले हुई थी? हजारो साल पहले! कैसे?
आपको पता चलेगा आज की इस प्यारी सी कहानी में.

Essay on Holi in Hindi For Kids

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Essay on Holi in Hindi
Essay on Holi in Hindi : तो हुआ यूँ की कई साल पहले की बात हैं एक दुष्ट राजा था जिसका नाम भी अजीब सा था ‘हिरंकश्यपू‘ काला सा, मोटा, लम्बी लम्बी मुच्छो वाला वो जब चलता था तो उसका मोटा सा पेट ऊपर निचे हिलता था मगर उसके ऊपर कोई हंस नहीं सकता था सब उससे डरते थे और वो सबसे कहता था की सिर्फ मेरी पूजा करो ”भगवान को भूल जाओ अब मैं ही तुम्हारा भगवान् हूँ, इसीलिए अब हर कोई उसी की पूजा किया करता था” सिर्फ एक इंसान को छोड़ कर ‘प्रहलाद’ उसका खुद का बेटा जो आप सभी बच्चो की तरह समझदार और होशियार भी था, बड़ो का कहा मानता था और हमेशा सच बोलता था. और यही प्रहलाद हैं हमारी आज की कहानी का HERO🙂

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Essay on Holi in Hindi
Essay on Holi in Hindi : प्रहलाद अपने पिता से डरे बिना विष्णु भगवान् की पूजा किया करता था दिन रात और ये बात हिरंकश्यपू को बिलकुल पसंद नहीं थी. उसने कई बार प्रहलाद को चेतावनी भी दी मगर प्रहलाद ने उसकी बिलकुल भी ना सुनी तो तंग आकर उसने अपने सिपाहियों से कहा ”सिपाहियों जाओ और प्रहलाद को मेरी सभा में लाओ उसका ये आदेश सुन कर रानी यानी की प्रहलाद की माँ दर से काँप उठी. दूसरी तरफ सिपाही दौड़ते हुवे गए और उसे पकड़ आये. प्रह्लाद को अपने पिता के सामने खड़े हो कर पहली बार डर लग रहा था क्युकी उसके पिता की आँखे गुस्से में लाल हो चुकी थी जैसे जलते हुवे अंगारे. तभी राजा ने अपनी भारी आवाज़ में प्रहलाद से कहा की ”बताओ इस दुनिया में सबसे महान कौन हैं? मैं या विष्णु?”

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Essay on Holi in Hindi

Essay on Holi in Hindi : प्रहलाद अपने पिता की आवाज़ सुन कर काँप उठा लेकिन तभी उसे अपनी माँ की कही हुई एक बात याद आई ”बेटे प्रहलाद कुछ भ हो जाए तुम कभी किसी से झूठ मत कहना जो मन में हो उसे सच्चे दिल से बता देना” प्रहलाद ने ऐसा ही किया और अपने पिता से कहा ”सबसे महान तो श्री विष्णु ही हैं आप तो बस राजा हैं परन्तु वो तो भगवान् हैं” प्रहलाद का ये दुस्साहस देख कर सभा एक दम शांत हो गयी सभी प्रहलाद की सच्चाई को देख कर खुश हो रहे थे और इस वजह से राजा का गुस्सा और बढ़ गया उसने सोचा की प्रहलाद को सबक सिखाना चाहिए तो उसने अपने सिपाहियों को आदेश दिया की ”सिपाहियों जाओ और इस लड़के को खाई में फेंक दो” सभा के सारे लोग चकित हो गए रानी तो बेचारी बेहोश हो कर जमीन पर गिर गयी मगर सिपाहियों ने प्रहलाद के हाथ और पैरो को बेड़ियों से बाँध दिए और खाई में फेंक दिया. प्रहलाद ने डर के मारे आँखें बंद कर ली और भगवान् विष्णु को याद करने लग गया.

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Essay on Holi in Hindi : विष्णु जी ने हवा का एक तेज़ झोंका प्रहलाद की ओर फेंका और प्रहलाद हवा में झूलता हुआ आराम से जमीन पर उतर गया. प्रहलाद ने विष्णु जी को धन्यवाद कहा और महल में चला गया इसके बाद जब रजा को पता चला की प्रहलाद जिंदा हैं तो वो गुस्से से पागल हो गया उसकी इस हालात को देख कर उसकी डायन जैसी दिखने वाली छोटी बहन ने उससे कहा ”भैया आप इतने परेशान क्यूँ हो रहे हैं आप बस आग का इंतज़ाम कीजिये और प्रहलाद को मेरे पास भेज दीजिये” अगली सुबह राज महल के आँगन में लकडियो का अम्बार लगा दिया गया उसके बाद होलिका के कहने पर लकडियो में आग लगा दी गयी. आग की लपते इतनी ज्यादा थी और इतनी बड़ी थी की सोने का बना हिरंकश्यपू का महल जगमगा उठा अगले ही पल होलिका ने प्रहलाद को अपने पास बुलाया और आग की तरफ बढ़ने लगी ये देख कर हिरंकश्यपू ने होलिका को रोका और कहा ”ये क्या कर रही हो? तुम आग से जल जाओगी” होलिका मुस्कुराई और अपने भाई से बोली ”चिंता मत करो भैया मुझे ये वरदान मिला हैं की आग मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकती ये आग तो मैंने प्रहलाद को मारने के लिए लगायी हैं मैं आग में कूद जोगी उसे लेकर और वो मर जाएगा और मैं बच जाउंगी” होलिका की बात सुनकर हिरंकश्यपू बहुत खुश हुआ और उसने होलिका को आग में जाने की इजाज़त दे दी.

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Essay on Holi in Hindi : होलिका ख़ुशी ख़ुशी आग में प्रहलाद को लेकर कूद पड़ी और प्रहलाद की माँ तो जैसे मूर्ति बन कर रह गयी मगर ये क्या आग से प्रहलाद की जगह होलिका की चीखे सुनाई देने लगी ”भैया मुझे बचा लो मैं जल रही हूँ और ये प्रहलाद तो आराम से आँखें बंद कर के बैठा हैं दरअसल होलिका अपने घमंड में ये बात भूल गयी थी की उसको मिला हुआ वरदान सिर्फ तब का करता जब वो अकेले आग में जाती पर यहाँ तो उसके साथ प्रहलाद भी था जिसके ऊपर भगवान् विष्णु का भी हाथ था और इस तरह राक्षसी होलिका अपने ही जाल में फंस गयी और जल कर राख हो गयी उसका भाई हिरंकश्यपू उसके लिए कुछ भी नहीं कर पाया थोड़ी देर में आग शांत हुई और प्रहलाद सही सलामत आग से बाहर निकल आया. विष्णु जी ने अपने भक्त की जान एक बार फिर बचा ली थी और तब से होली मनाई जाती हैं क्यूंकि होलिका के जलने से ये बात एक बार फिर साबित हो गयी थी की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती हैं!

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