अप्पाजी के लायक हूँ मैं? | Father Sacrifice Story in Hindi

अप्पाजी के लायक हूँ मैं? | Father Sacrifice Story in Hindi

Father Sacrifice Story in Hindi

अप्पाजी के लायक हूँ मैं? | Father Sacrifice Story in Hindi : मैं अपने पिताजी को अप्पाजी बुलाती हूं *

मैं: अप्पाजी , क्या आप आज कार से कही जाएंगे क्या, मुझे अपने दोस्तों से मिलने जाना हैं, वो बहुत दिनों बाद यहाँ आ रहे हैं तो थोडा उन्हें दिखाने के लिए आप जानते हैं न कितना अच्छा इम्प्रैशन पड़ेगा।

अप्पाजी : हाँ, ठीक किया तुमने अभी बता दिया, और वैसे भी मुझे आज कही जाना नहीं हैं

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* मैं बस से भी कभी कभार चली जाती हूँ लेकिन मुझे अपने दोस्तों को दिखाना था की देखो मैं कितनी अमीर हूँ इसलिए अप्पाजी से कार मांग ली थी ख़ुशी की बात तो ये थी की उन्हें कही जाना नहीं था और अगर जाना होता वो तब भी बस से
नहीं जा पाते क्यूंकि बस में उनकी तबीयत खराब होने लगती हैं और उग्लाइयां आने लगती हैं। *

अप्पाजी (ड्राइवर के लिए): देखो, तेजी से ड्राइव मत करना। अपना पूरा समय फोकस ही रहना। ड्राइविंग करते समय अपने सेल फोन पर बात मत करना और जैसे ही तुम लोग मिश्रा (मिठाई की दूकान का नाम) तक पहुंचोगे, वहां से समोसे खरीद लेना, सौम्या (यानी की मैं) वहां के समोसे बेहद पसंद हैं, जो की तुम्हे पहले से ही पता है।

Father Sacrifice Story in Hindi

अप्पाजी के लायक हूँ मैं? | Father Sacrifice Story in Hindi : ये ड्राईवर हमारे साथ बहुत पहले से ही रहा है क्योंकि जब मैं एक बच्ची थी तब से हमारा परिवार इन्हें अच्छे से जानता हैं, असल में जब मैं पैदा हुई थी तब यही पहली बार मुझे कार से ड्राइव कर के मेरे पूरे परिवार के साथ घर लेकर आये थे ये उनकी पहली राइड थी हमारे साथ। तब से वह सब कुछ जानते है, लेकिन मेरे पिता फिर भी कही जाने से पहले ड्राइवर से यही बात दोहराते है। *

ड्राईवर : हाँ सर जी! और मेरे पास एक्स्ट्रा मिनरल वाटर की बोतले हैं, आप बिलकुल चिंता न करें।

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Father Sacrifice Story in Hindi

**** उस रात जब मैं वापस आई****

मैं मेरे पास बाकी के बचे हुवे पैसे वापस रखने के लिए अपने पिता के बटुए तक उनके कमरे तक पहुंची। वहां मुझे टेबल में बस टिकट पड़े हुवे दिखाई दिए। फिर जैसे ही मैंने उन्हें बेड में देखा, वो बिलकुल एक थके हुवे बच्चे की तरह लग रहे थे।

अप्पाजी के लायक हूँ मैं? | Father Sacrifice Story in Hindi : मैं आत्मग्लानि से भर गयी ये सोच कर की मेरे पिता काम पर थे और मैं पार्टी कर रही था। मेरी आंखें अब नाम हो चुकी थीं।

उस रात सोने से पहले, मैंने बस यही प्रार्थना की

हे भगवान, किसी दिन मुझे मेरे अप्पाजी के लायक बनाना, वो बहुत अच्छे इंसान हैं और मैं उनके सामने कुछ नहीं.

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