History of India in Hindi | भारत का इतिहास (ब्रिटिश राज)

History of India in Hindi : पुरे इतिहास में भारत की छवि लगातार बदलती रही हैं क्युकी इसकी सीमाए घटती बढती रही हैं और संस्कृतियों के आपस में मिलने के बावजूद उनमे खीचतान चलती रही हैं. छोटी छोटी रियासतों में बटें हुवे लोगो के देश में तमाम मुश्किलों और फिर से उठ खड़े होने की चाहत से भारत ने अपना सिर उठाया. ये ब्रिटेन साम्राज्य का एक नगीना था जो आगे चल कर एक आज़ाद देश बना. पेश हैं भारत की इस पन्ने की कहानी. ब्रिटिश राज में – 19वी सदी का आखिरी दौर भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा कर रहे लेखक मार्क ट्विन ने इस इलाके से प्रभावित होकर लिखा ‘भारत में ही मानव जाति पली बड़ी हैं, यही इंसानी बोली का जन्म हुआ हैं. इसे एतिहासिक गाथाओ और परम्पराओं की दादी और परदादी कहा जा सकता हैं मार्क ट्विन ने 5000 सालो में विकसित हुवे भारत की व्याख्या की थी. ये बात हैं 19वी सदी की भारत की आबादी 20 करोड़ से ज्यादा हैं. ये भारत लगातार बदलाव के दौर में हैं. अब ये ताकतवर मुग़ल साम्राज्य द्वारा संगठित इलाका नहीं हैं. अपने अबसे अच्छे दौर में मुग़ल शासन उतर में अफगानिस्तान के पहाड़ो से लेकर भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी छोर तक फैला था. हाल ही में मिली एक रंगीन फिल्म जिसमे मध्यकालीन भारत की एक झलक हैं जब मुग़ल राज शासन करते थे, ये 1920 के दशक में फिल्माई गयी फिल्म थी जो की 16 मिलिमिटर की कोडकरम फिल्म हैं जिसे अब हाई डेफिनिशन में बदल दिया गया हैं.
मुगलों का प्रभाव भारत के दक्षिणी दूर दराज़ के इलाको तक कभी नहीं पहुँच पाया यहाँ तक की मध्य भारत में भी उन्हें अपना अधिकार जताने के लिए स्थानीय रियासतों के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ता था पर उनकी रियासत आज के भारत में भी जिंदा हैं जिसे देश भर में बने स्मारकों, इमारतों और बेमिसाल आर्किटेक्चर में देखा जा सकता हैं और इन स्मारकों में सबसे मशहूर शानदार ताज महल हैं.
History of India in Hindi : सन 1648 में मुगुल बादशाह शाहजहाँ की बेगम के मकबरे के तौर पर बना ताज महल मोहब्बत की निशानी के अलावा भी काफी कुछ हैं. दुनिया का ये अजूबा ऐसे भारत का प्रतीक हैं जो कई सदियों के उतार चढाव के बाद भी टिका रहा हैं और आज भी पहले की ही तरह शान से खड़ा हैं. ताजमहल बनवाने वाले शाहजहाँ के लफ्जों में इस जहां में ये इमारत ऊपर वाले की अहमियत बताने के लिए बनाई गयी हैं. सन 1865 में आखिरी मुगुल बादशाह बहादुरशाह जफ़र की मौत के साथ ही मुगुल सल्तनत का अंत हो गया. इसके बाद राजनितिक अस्थिरता के दौर में ढेर सारी छोटी छोटी रियासतों, कबीलों, और समुदायों का जनम हुआ और शासन करने की ताकत में ऐसा खालीपन आया जिसे भरने में कोई कामयाब नहीं हुआ. सन 1903 में एक अमेरिकन इन्वेन्टर और सिनेमा के पायनियर टॉमस आरमैट ने एक छोटी सी और भारत की सबसे पुरानी फिल्मो में से एक फिल्म को फिल्माया था उस समय तक भारत के लोगो पर विदेशी राज करते थे जिसका केंद्र आधी दुनिया के पार एक टापू पर था. अंग्रेज़ पहली बार सन 1608 में भारत आये थे, वो यहाँ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के तौर पर आये थे और शुरू में उन्होंने अपना उद्देश्य केवल व्यापार करना ही पेश किया और फिर समय के साथ साथ उनका उदेश्य बदला, उनकी इच्छाए बढ़ी और उनकी राजनैतिक आकान्शाए सामने आई भारत में संसाधनो की भरमार हैं ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन संसाधनों पर एकाधिकार करने के साथ साथ अपना सैनिक और प्रशासनिक प्रभाव भी बड़ा लिया था. साथ ही स्थानीय लोगो द्वारा किये गए विद्रोहों को भी कुचल दिया जिनमे सन 1857 का सैनिक विद्रोह भी शामिल हैं. अब सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटेन के राज घरानों में जाने वाली हैं. सन 1858 की अपनी एक घोषणा में तत्कालीन ब्रिटिश मोनार्क क्वीन विक्टोरिया ने कहा ”हम भारत की स्थानीय रियासतों के राजाओ के लिए ये घोषणा करते हैं की हम उनके साथ ईस्ट इंडिया कंपनी या उसके नाम पर किये गए सभी समझौतों या अग्रीमेंट्स को स्वीकार करेंगे और हम उन्हें पहले की तरह ही जारी रखेंगे और हम उम्मीद करते हैं की रियासतों के राजा भी ऐसा ही करेंगे” क्वीन की इस घोषणा का ये अर्थ हैं की वो सबको साथ लेकर राज करना चाहती हैं लेकिन ‘द राज’ जो इस कोलोनियल ताकत का नया नाम हैं दोबारा कभी भी भारत के लोगो पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं हैं.

ब्रिटिश राज का उदय  | History of India in Hindi

History of India in Hindi : ब्रिटिश राज की आर्थिक व सामाजिक नीतिया हर हालत में भारत के लोगो को विदेशियों की सत्ता में लाने के लिए बनी थी. उन्हें डर हैं की परिवर्तन सामाजिक उथल पुथल को जनम दे सकता हैं जिससे एक बार फिर सन 1857 जैसे हालत बन सकते हैं
20वी सदी की शुरुवात – ये ब्रिटिश राज की पश्चिमी हिस्से की बीकानेर रियासत का लालगढ़ पैलेस हैं. ये औपनिवेशिक भारत की 500 से ज्यादा रियासतों में से एक का नज़ारा हैं जो कही और नहीं मिलेगा. ये एम्पिरिओर व कैबिनेट में अकेले ब्रिटिश प्रतिनिधि महाराजा गंगा सिंह के पोते के शाही विवाह का अवसर हैं. ये चमक दमक एक ट्रेडिशनल स्टाइल के लाइफ स्टाइल की झलक दिखलाती हैं लेकिन ये सिर्फ ऊपरी दिखावा हैं. अब तक भारत पर अंग्रेजो का राज़ हो चूका था.
जो की दो प्रशासनिक सिस्टम्स में बंटा हुआ था. भारत की 60 फीसदी हिस्सों पर अंग्रेजो की हुकूमत चलती हैं बाकी का 40 फीसदी हिस्सा रजवाडो का हो गया था जिन्होंने अंग्रेजो के साथ समझौते कर लिए थे. क्वीन विक्टोरिया की घोषणा के केवल 5 दशक बाद भारत की असली राजनैतिक सत्ता रजवाडो के हाथ से निकल गयी हैं. इनके पास बस घटी हुई ताकत की यादे ही बची हैं.
History of India in Hindi : ये हैदराबाद की रियासत से मिले बाघ के शिकार के दृश्य हैं. ये मुश्किल से दिखने वाले विजुअल्स ओरिजिनल कलर में हैं. इन्हें दक्षिणी भारत में कोंन्गारा कालान नामक जगह में फिल्माया गया हैं. स्थानीय राजा और अंग्रेज़साथ मिल कर शिकार करते हैं. ये हाथियों पर शिकार के लिए निकलते हैं और उनके साथ ट्रेन हथियारों से लेस शिकारियों की एक फ़ौज होती हैं ये लोग घेरा बना कर शिकार करते हैं और इसमें जोखिम कम होता हैं और देखेंने वालो को मजा आता हैं.
मौजूदा बिहार की रियासत बरेली के राजा के शब्दों में इनमे शिकार इस तरह किया जाता था की ”जंगलो में बाघों को लुभाने के लिए भैस के बछड़े बाँध दिए गए. बाघ की छिपे हुवे जगह को खोजने के लिए लघभग 50 हाथी भेजे गए फिर घेरा तैयार हो जाने पर दो हाथियों को बाघ को छिपने की जगह से निकलने का हुकुम दिया गया. हाथियों के करीब आने पर बाघ बार बार गुस्से में हमला करता था. शुरू में ये बहुत रोमांचक था लेकिन आखिर में बाघ थक कर लेट गया. रोज़ इस तरह के दो या तीन घेरो के साथ मैंने सैकड़ो बाघों का शिकार देखा हैं.” 20वी सदी में बाघ का शिकार ब्रिटिश राज का प्रतिक बना रहा. ब्रिटिश राज में राजाओ को ऐसे समझौते करने के लिए मजबूर कर दिया गया हैं जिससे उनके ज्यादातर अधिकार ख़तम हो गए. ज्यादातर रजवाडो को अपने दरबार में तैनात ब्रिटिश रेजिमेंट के दखल को झेलना पड़ता हैं. ”द राज” ने भारतीय राजाओं की राजनीतिक, आर्थिक और सैनिक ताकत ख़त्म कर दी. और देखने में ऐसा लग सकता हैं की बाघों की तरह रियासतों के राजा भी बहुत ताकतवर हैं लेकिन 20वी सदी तक इनकी स्थिति बहुत कमजोर हो चुकी हैं.
History of India in Hindi : 12 दिसंबर 1911 दिल्ली दरबार – शुरुवाती फिल्म डाक्यूमेंट्री बनाने वाले चार्ल्स बर्बन्न ने ‘इनमा कलर’ नामक एक नयी टेक्नोलोजी का इस्तेमाल किया, उन्होंने ढाई घंटे की फिल्म बनाई जिसका नाम था ‘विद ओवर किंग एंड किंग थ्रू इंडिया’ इस फिल्म में तीसरे दिल्ली दरबार के नजारे हैं जो ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज द फिफ्थ के राजभिषेक के समय होने वाले एक सैनिक समारहो हैं इस समाराहो में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मौजूदगी सम्राट व उनकी पत्नी मैरी की हैं और इन्हें भारत का एम्परर और एम्पेरोर्स घोषित किया गया लेकिन ये इस समाहरो में होने वाली अकेली महत्वपूर्ण घोषणा नहीं हैं. ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता से हटा कर दिल्ली लायी जाने वाली हैं, राजधानी को कलकत्ता से हटा कर दिल्ली लाए जाने वाले प्रस्तावपत्र में भारत के वाइसराय लार्ड इर्विन ने लिखा कि ”ये काफी समय से ये एक गंभीर असंगति मानी जाति हैं की ब्रिटिश लोग अपने सबसे ज्यादा पश्चिमी छोर वाले स्थित कलकत्ता से इस देश पर शासन करते हैं लेकिन कलकत्ता से राजधानी हटाने की यही एक वजह नहीं थी सन 1905 में बंगाल के बटवारे के बाद ब्रिटिश राज के राष्ट्रवादी विरोधियो का केंद्र बन गया था. सन 1911 के दरबार में सम्राट जॉर्ज द फिफ्थ के औपचरिक रूप से कहे जाने पर ये बात पक्की हो गयी थी की दिल्ली अब भारत इ नयी राजधानी हैं. अब “द राज” का एक नया युग शुरू होने वाला हैं.

दिल्ली भारत की नयी राजधानी | History of India in Hindi

History of India in Hindi : 1930 का दशक – दिल्ली के नए निर्माणों से सजी राजधानी के इस इमारत को नया रूप दिया हैं ब्रिटिश आर्किटेक एडविन लुटेंट जिसे डिजाईन करने और बनाने में बीस साल से भी ज्यादा का समय लगा जो ब्रिटिश साम्राज्य के नए अध्याय की शुरुवात हैं. इसके बीचो बीच शानदार वाईस रॉय का भवन बना जो आगे चल कर स्वतंत्र भारत में राष्ट्रपति का निवास बनता हैं. हिस्टोरियन मालविका सिंह और हिमांशु मुखेर्जी ने अपनी किताब ‘न्यू डेल्ही मेकिंग ऑफ़ अ कैपिटल’ में बताया हैं की लुटेंट ने कितनी बारीकी से काम किया था. उन्होंने इंडियन इमारतों और खासियतो की बखूबी खोज की और प्रतीकों की खोज की, स्थानीय निर्माणों की डायरेक्टरी तैयार की धार्मिक और सेक्युलर दोनों तरह की कारीगरी को जमा किया और इन सबको आपस में मिला कर एक हाई ब्रिज स्टाइल बनाने की कोशिश की. एक नयी शानदार राजधानी का निर्माण ब्रिटिश राज की सबसे अच्छे दौर का प्रतीक बन गया. भारत अब धीरे धीरे लेकिन लगातार बदलने लगा हैं.
आशा करते हैं आपको ये लेख अच्छा लगा होगा. हम इसको आगे जारी रखेंगे पार्ट दो में. हमे अपने विचार कमेंट सेक्शन में बताए.
धन्यावाद.
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