कालिदास की साधना : खूब धूम-धाम से कालिदास और विद्योत्तमा का विवाह हो गया। पहले ही दिन कालिदास की मूर्खता का पता राजकुमारी विद्योत्तमा को लग गया। उसने कालिदास को अपमानित करके राजमहल से निकाल दिया और कहा कि अब तभी यहां आना, जब कुछ बन जाओ। | कालिदास के हृदय को बड़ा आघात लगा। वह वहां से चलकर महाकाली के मंदिर में जा पहुंचा और उसने मां सरस्वती की आराधना, मां काली के चरणों में बैठकर प्रारंभ कर दी। मंदिर का पुजारी संस्कृत का प्रकाण्ड विद्वान था। उसने कालिदास की सहायता की। उसे संस्कृत का ज्ञान कराया और समस्त वेद तथा वेदांगों में पारंगत किया।
एक दिन मां काली के रूप में देवी सरस्वती ने उसे वरदान दिया, “वत्स! मैं तेरी साधना से प्रसन्न हूं। जा, इस संसार में तू एक महान कवि के रूप में प्रसिद्ध होगा। मेरी कृपा सदैव तुझ पर रहेगी।”