Kabir Das Jayanti in Hindi

Kabir Das Jayanti in Hindi : कबीर जयंती – संत कबीर के माता – पिता एक मुसलमान दम्पति थे इन्हें बालक कबीर एक तालाब किनारे मिले थे, बचपन से ही बालक कबीर ने अपनी अजब – गजब क्रिया – कलाप से सबको हैरान कर दिया था. नीरू और नीमा जुल्लाह का काम करते थे, मुसलमान दम्पति उनको कोई संत अति बालक देव योग से एक बड़े योगी सिद्द के द्वारा प्रकट हुआ था और फिर जिस महिला जिस अप्सरा के द्वारा प्रकट हुआ था उसने उस बालक को तालाब के किनारे रख दिया और वही वो उसकी देख भाल करती थी.

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Kabir Das Jayanti in Hindi : नीरू और नीमा एक बार घुमने गए तो सुबह सैर के लिए तो कोमल बालक को देख कर उन्होंने उठा लिया और ले आए मूल जी के पास “की आप देख कर बताइए खुदा ताला ने हमारी प्रार्थनाए हमारी मन्नते मान ली? ये बालक दैवीय ढंग से पड़ा था.” मुल्ला जी देखते हैं. बालक को देख कर मुल्ला जी बड़े प्रभावित हुए और उस नन्हे से बालक से पूछा तू ही बता किस जगह से आया हैं. प्रति चिन्न नाम की अप्सरा और जोशीमठ में तप करने वाले योगी को देवी ने वरदान दिया था उस जोगी का अवर्स हूँ, प्रति चिन्न का पुत्र हूँ. ऐसा वो नन्हा सुकुमार बोल पड़ा.

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Kabir Das Jayanti in Hindi : उस बुद्धिमान मुल्ला ने अपना उर्दू, फ़ारसी जोड़ मिला कर उस बालक का नाम रखा कबीर. वो बड़े हुवे और उन्होंने सोचा ” मैं मुसलमान का बेटा हूँ, ऐसा लोग बोलते हैं, परन्तु वास्तव में तो मैं बेटा परमात्मा का हूँ और परमात्मा की खोज के लिए मेरा जन्म हुआ हैं लेकिन बिना गुरु के मुझे ज्ञान कौन देगा?” तो उन्होंने गुरु की खोज करना प्रारंभ कर दिया और फिर उन्हें मिले रामानंद स्वामी गुरु देव, उन्हें देख कर कबीर ने सोचा की अगर उनके मुख से मन्त्र मिलेगा तो मेरे संस्कार जन्म – जन्म के संस्कार कट जाएँगे और मेरा आत्म-परमात्म सामर्थ प्रकट होगा.

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Kabir Das Jayanti in Hindi : लेकिन महापुरुषों से दीक्षा लेना कोई बच्चो का खेल नहीं हैं. वो सैदेव घिरे रहते हैं पंडितो से, महापुरुषों से, साधू संतो से और ये दीक्षा लेने वाले लोग बड़े योग्य होते हैं उन्ही को दीक्षा मिलती हैं. इस कारण उनके मन में क्याल आया “मेरा तो धंधा रोज़ का और माता – पिता जाति का ठिकाना नहीं, क्या करूँ वे मना कर देंगे लेकिन लूँगा तो दीक्षा इस ही महापुरुष से ही, उस बुद्धिमान युवक ने खोजा तो उसे दिमाग में एक युक्ति आई उसने सोचा रामानंद महाराज के आश्रम में पहुँचना, उनके निकट पहुँचना तो बस की बात नहीं हैं लेकिन प्रभात को यह महापुरुष स्नान करने जाते हैं, सूर्योदय के पहले ही देव का चिन्तन करने के लिए वो सुबह उठ जाते हैं तो कबीर ने क्या किया जहाँ से सीढियां उतरने की जगह होती हैं गंगा में नहाने के लिए उस जगह आस पास में घास की दीवार बाँध दी, एक रास्ता रखा दरवाज़े से जहाँ से ही गुज़रना पड़े.

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Kabir Das Jayanti in Hindi : खडाऊ की आवाज़ आते ही कबीर सीढियों पर लेट गए. रामानंद के पद चिन्हों की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी इतने में एक पैर कबीर की छाती पर पड़ा अचानक एक व्यक्ति पर पैर रामानंद चौंक पड़े और एक संत होने के नाते सुबह – सुबह उनके मुख से निकला राम – राम. गुरु का चरण स्पर्श भी हो गया और राम राम मन्त्र भी मिल गया कबीर जी तो खुश हो गए और उनका मूलाधार केंद्र रूपांतरित हुआ. कबीर जी पूरी तरह से बदल गए. उनका बाहर का ढांचा तो ज्यो का त्यों था लेकिन वाणी में आकर्षण हो गया, उनका ज्ञान उदय हुआ.

Kabir Das Jayanti in Hindi : कबीर जी की बाते सुन कर लोग उनके पीछे पीछे घुमने लगे, उनके प्यारे हो गए. पंडितो ने कबीर को घेरा की “तू निघोरा आदमी मुसलमान का हैं कि जुल्लाह का हैं कि नीरू का हैं कि नीमा का हैं पता नहीं किसका है. तू कैसे धर्म का उपदेश करता हैं? तो कबीर जी बोले – “मैं निघुरु नहीं हूँ मेरे गुरु हैं संत रामानंद स्वामी जी तो बाकियों ने कहा “तेरे जैसे को रामानंद दीक्षा देंगे, अपनी दीक्षा परंपरा थोड़ी न खराब करेंगे जो तेरे जैसे को देंगे. जो तू बोलता हैं” कबीर ने कहा “मैं सत्य बोलता हूँ”. सब कबीर को रामानंद के पास लेकर गए लेकिन रामानंद को तो पता भी नहीं था, अब पूरी काशी में हो हल्ला होने लगा की गुरु गुरु सच्चा की चेला सच्चा,

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Kabir Das Jayanti in Hindi : चेला बोलता हैं की मेरे गुरु वो हैं उनसे दीक्षा ली हैं और गुरु बोलते हैं की मैंने दीक्षा नहीं दी और गुरु जी झूठ बोले ये संभव नहीं हैं और चेला में भी योग्यता हैं इसको भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता. आखिर गुरु जी ने कहा गुरु चेले की चर्चा कुछ हित के लिए करो तो सही हैं, समाज की श्रद्दा तोड़ने के लिए करते हो तो पाप के भागी बनोगे, किसी की श्रद्दा बनाना पुन्य हैं और उसकी श्रद्दा तोडना महा पाप हैं, किसी की श्रद्दा छिनना या तोडना बहुत महा पाप माना जाता हैं. रामानंद स्वामी ने कहा पंडितो जिसने ली हैं मेरे से दीक्षा उसे आमने सामने कर दो सत्य का पता चल जाएगा, भला लोगो की श्रद्दा के साथ क्यूँ खेलते हो? कबीर को बुलाया गया. रामानंद मंच पर बैठे सामने कठघरा खड़ा कर दिया गया – पुरे काशी के मूल्य धन्य पंडित इक्कठे हो गए महाराज कबीर जी को कठघरे में खड़े कर दिया गया तो

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Kabir Das Jayanti in Hindi : कबीर ने कहा “सामने विराजमान हमारे गुरु पंडित रामानंद स्वामी जी को प्रणाम”
रामानंद बोलते हैं – “अररे तू मेरा चेला हैं
कबीर : जी! गुरु देव.
रामानंद : मैंने तुझे दीक्षा दी हैं
कबीर : जी गुरु देव.
उन्होंने उसे नज़दीक बुलाया – अब रामानंद जैसे संतो का स्वभाव होता हैं की भोजन भी करेंगे तो कहेंगे की रोटी राम, सब्जी राम, दाल राम, यहाँ तक की नमक को नमक नहीं बोलेंगे रामरस कहेंगे अब अगर नमक तक को रामरस बोलते हैं तो राम शब्द सब में जोड़ देंगे.
तो उन्होंने अपने बगल में पड़े खडाऊ को उठाया और फिर पूछा क्या “मैंने तुझे दीक्षा दी हैं”
कबीर ने फिर कहा – जी गुरु देव.
माँ और गुरु हाथ तो चलता हैं 2 किलो वाला लेकिन लगने पर हो जाता हैं 2 तोले का.
उन्होंने उठाया खडाऊ और दे मारी लेकिन धीरे से ये सोच के की कही सर पर जोर से ना लग जाए क्यूंकि वो भी संत का ह्रदय तो हैं ही तो उन्होंने 3 बार खडाऊ से मारा और तीनो बार उनके मुख से निकला राम – राम – राम “अब बता क्या मैंने तुझे दीक्षा दी? तो कबीर ने कहा – “अगर वो दीक्षा कच्ची तो ये तो पक्की गुरुदेव, वो झूठी तो ये तो सच्ची गुरुदेव”

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Kabir Das Jayanti in Hindi : अगर सद्पुरुषो से मार खा कर भी भगवान की मन्त्र दीक्षा मिलती हैं तो सौदा सस्ता हैं और अगर प्यार से मिलता हैं तो कहना ही क्या हैं. कबीर जी कहते हैं :

साहिब* हैं रंगरेज , चुनरी मोरी रंग डारी
स्याही रंग छुड़ाए के रे , दियो मजीठा रंग
धोये से छूटे नहीं रे , दिन दिन होत सूरंग
भाव के कुंडी , नेह के जल में , प्रेम रंग दई बोरी
दुःख देह मैल लुटाये दे रे , खूब रंगी झकझोर
साहिब ने चुनरी रंगी रे , प्रीतम चतुर सुजान
सब कुछ उन पर वार दूं रे , तन मन धन और प्राण
कहत कबीर रंगरेज पियारे , मुझ पर हुए दयाल
सीतल चुनरी ओढ़ी के रे , भयी हों मगन निहाल

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Hind Patrika

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