करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain

करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain

करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain : किसी सरोवर में मारूंड नाम का एक पक्षी रहता था। उसका पेट तो एक ही था, किंतु मुख दो थे। एक दिन वह सरोवर के किनारे अपना भोजन तलाश कर रहा था। तभी उसे वहां अमृत के समान मीठा एक फल मिल गया। उसने जब फल खाया तो उसे वह फल बहुत स्वादिष्ट लगा। उसने सोचा कि ऐसा मीठा फल उसे पहले कभी प्राप्त नहीं हुआ, निश्चय ही भाग्य के कारण उसे आज यह फल मिला है।

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करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain

करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain : पहले मुख द्वारा कही गई यह बात सुनकर मारुंड का दूसरा मुख बोला-‘यदि ऐसा ही बात है तो इस मधुर फल को मुझे भी तो चखाओ। देखूं कि कितना स्वादिष्ट है यह। ‘ यह सुनकर प्रथम मुख बोला-‘अरे भाई ! तुम चखकर क्या करोगे ? मैंने चख लिया या तुमने चख लिया, बात एक ही है। पेट तो हमारा एक ही है। जाएगा तो पेट में ही न। इससे तो अच्छा है कि जितना फल बच गया है उसे हम अपनी पत्नी को दे दें। वह खाएगी तो प्रसन्न हो जाएगी।’ ऐसा कहकर उसने वह फल अपनी पत्नी को दे दिया। उस मीठे फल को खाकर उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न हुई और वह अपने पति से विशेष प्रेमभाव व्यक्त करने लगी। किंतु दूसरा मुख इस बात पर नाराज हो गया और अपमान-सा महसूस करने लगा। उस दिन से वह उदास रहने लगा|

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करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain : कुछ दिन बाद दूसरे मुख को एक विषफल मिल गया। तब उसने पहले मुख से कहा-तुमने उस दिन मुझे मीठा फल न देकर मेरा अपमान किया था। देख, आज मुझे विषफल मिला है। आज मैं इसे खाकर तुझसे उस दिन के अपमान का बदला चुकाऊंगा।’ प्रथम मुख बोला-‘मूर्ख ! ऐसा मत कर लेना। तुमने विषफल खाया तो हम दोनों ही मर जाएंगे।” किंतु दूसरे मुख ने उसके परामर्श पर ध्यान न दिया। उसने वह विषफल खा लिया।

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करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain : रिणाम वही हुआ, जो अपेक्षित था। उस पक्षी का प्राणांत हो गया। यह कथा सुनकर चक्रधारी को संतोष हो गया। वह बोला-तुमने ठीक ही कहा है मित्र ! सज्जनों का परामर्श सर्वदा हितकारी होता है। अब तुम जाओ। किंतु जाने से पहले मेरा भी एक परामर्श सुनते जाओ। अकेले मत जाना। क्योंकि यात्रा में एकाकी जाना अच्छा नहीं रहता। कहा भी गया है कि स्वादिष्ट अथवा मीठी वस्तु को अकेले नहीं खाना चाहिए। यदि साथ के सभी व्यक्ति सो गए हों तो उनमें से एक व्यक्ति को अकेले नहीं जागते रहना चाहिए।

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करीबी ही सबसे घातक होता हैं | Kareebi Hi Sabse Ghatak Hota Hain : मार्ग में एकाकी यात्रा नहीं करनी चाहिए और किसी गूढ़ विषय पर अकेले विचार करना भी हितकर नहीं होता। व्यक्ति को चाहिए कि मार्ग में एकाकी जाने की अपेक्षा किसी डरपोक व्यक्ति को ही साथ ले ले। एक कर्कट के साथ रहने पर ही एक ब्राह्मण अपना जीवन बचाने में सफल हो पाया था|”
सुवर्णसिद्ध ने पूछा-‘वह कैसे ?’ चक्रधारी बोला-‘सुनाता हूं, सुनो।

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