मां की शिक्षा : एक दिन गोंजा की मां ने अपने बच्चों को मुहल्ले के असभ्य और गंदे बच्चों के साथ खेलते देखा तो उसने उन्हें बुलाया और कहा, “देखो बच्चो ! धरती पर इंसान जो कुछ भी करता है, उसे ईश्वर हर समय देखता है। वह सब जगह विराजमान है। तुम यदि इन असभ्य और गंदे बच्चों के साथ खेलोगे तो एक दिन तुम भी असभ्य बन जाओगे बिलकुल उसी तरह जैसे एक सड़े हुए सेब को यदि अच्छे सेबों के साथ रख दिया जाए तो कुछ दिन बाद दूसरे अच्छे सेब भी सड़ जाते हैं। इसलिए इनसे दूर रहो।” | गोंजा ने कहा, “लेकिन मां ! इन असभ्य बच्चों को सभ्य भी तो बनाया जा सकता है। इन गंदे बच्चों को। अगर सही शिक्षा और सही दिशा मिले तो क्या इन्हें स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता ? सड़े हुए सेब को यदि पहले से ही अच्छे सेबों से दूर कर दिया जाए या उसके सड़े हुए हिस्से को काटकर फेंक दिया जाए, तो फिर बाकी सेब खराब क्यों होंगे?”
| गोंजा की मां ने अपनी बेटी की ओर हैरानी से देखा और बोली, “तुम ठीक कहती हो बेटी! असभ्य | को सभ्य और गंदे को स्वच्छ बनाना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।’
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