नवरात्रि का अर्थ और मनाये जाने का कारण Navratri in Hindi

Navratri in Hindi: हिन्दू धर्म में कई मान्यताएं हैं जिनमें से एक मान्यता नवरात्रि के पर्व की भी है जिसमें नौ देवियों की पूजा की जाती है, और हर दन एक देवी के लिए निश्चित है. बहुत ही जोर-शोर से यह त्यौहार मनाया जाता है. और नौ दिन तक बहुत धूम रहती है, हिंदुस्तान में जगह-जगह पर गरवा खेले जाते हैं और बहुत मनोरंजन किया जाता है. यह दिन गुजरात में बहुत ज्यादा जोरों से मनाया जाता है. और सबसे ज्यादा गरवा नृत्य गुजरात में ही किया जाता हैं या कह सकते हैं यह नृत्य गुजरात की ही देन है.

नवरात्रि का अर्थ और मनाये जाने का कारण

Navratri in Hindi: नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें, और नवरात्रि शब्द की उत्त्पत्ति संस्कृत से हुई है. और हिन्दू धर्म के अंतर्गत इन नौ दिनों की बहुत मान्यता है. पुरे हिंदुस्तान में नवरात्रि बहुत व्यापक रूप में मनाया जाता है. हिन्दू नौ दिन और दस रातों तक नौ देवियों की पूजा-अर्चना करते हैं और दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. वैसे तो नवरात्रि पुरे वर्ष में चार बार आता है जैसे पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन. लेकिन दिवाली के पहले आने वाली नवरात्रि का विशेष महत्त्व होता है जिसके दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. इन नौ दिनों 3 देवियों के नौ स्वरुप की पूजा की जाता है – महालक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती. और इन्हें ही नौ दुर्गा कहा जाता है.

दुर्गा का मतलब हर कष्ट से निवारण करने वाली देवी के रूप में लिया जाता है, जो हर दुःख हरे और सुख प्रदान करे और नवरात्रि के समय नौ देवियों से आशीर्वाद लिया जाता है उनकी आराधना की जाती है. पूरा भारत इस समय आरती-शंखनाद से गूंज उठता है.  नवरात्रि को लेकर हिन्दुओं की बहुत धार्मिक भावनाएं जुडी हुई हैं.

प्राचीन समय से लोग इन नौ दिनों का उपवास रखते हैं सबके उपवास के तरीके अलग –अलग हैं जैसे कोई नौ दिन भोजन ग्रहण नहीं करता, कई लोग जल भी ग्रहण नहीं करते इस तरीके की कई मान्यताएं और विश्वास नवरात्रि को लेकर हिंदुस्तान में व्याप्त है. नवरात्रि के आखरी दिन को विजयोत्सव मानते हैं क्योंकि कहा जाता है इस दिन काम, क्रोध, लोभ, एवं सभी राक्षसी प्रवत्ति का विनाश होता है. इन नौ दिनों में आत्मा और शरीर की-मन की शुद्धि होती है. शास्त्रों में व्यापक रूप से नवरात्रि में पूजी जाने वाली माता के नौ स्वरूपों की व्याख्या की गयी है.

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नवरात्रि की पूजाअर्चना

Navratri in Hindi: हर पूजा और उपवास को करने के खास तरीके होते हैं जो पूजा और उपवास को सफल बनाते हैं. पूजा करने के लिए सबसे पहले हमारे पास पूजन सामग्री होना अत्यंत आवश्यक है. तो हम सबसे पहले पूजा की सामग्री लायेंगे:

  • मूर्ति स्थापना के लिए चौकी की व्यवस्था.
  • माता की मूर्ति
  • चौकी के लिए लाल या पीला कपडा
  • माँ के लिए लाल चुनरी या लाल / पीली साडी
  • दुर्गासप्तशती की पुस्तक
  • ताम्बे का कलश
  • आम के ताज़े पत्ते
  • फूल और फूल माला
  • नारियल, पान, गोल सुपारी, कपूर, रोली, सिन्दूर, मौली, चन्दन, चावल.
  • अगरबत्ती, धूपबत्ती इत्यादि.

इसके साथ ही अखंड ज्योत की व्यवस्था भी करनी होती है उसके लिए कुछ आवश्यक सामग्री चाहिए होती है जैसे- पीतल या मिटटी का दीपक, घी, लम्बी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, रोली या सिन्दूर, घी में डालने के लिए चावल एवं दीपक के नीचे रखने के लिए चावल.

Navratri in Hindi: अब बात आती है हवन सामग्री की क्योंकि इन नौ दिनों में हवन बहुत ही शुभ माना जाता है, और इसके लिए कुछ हवन सामग्री चाहिए होती. वैसे आज कल दुकानों में बनी हुई हवन सामग्री उपलब्ध होती है फिर भी अगर आपको ये न मिले तो आप इस प्रकार से हवन सामग्री बना सकते हैं. और भी कई चीज़े जरुरी होती हैं जैसे-

  • हवन कुंड
  • आम की सुखी हुई लकड़ियाँ
  • रोली या सिन्दूर
  • काले तिल, जौ, धुप, चीनी, पंच मेवा, घी, लोबान, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन के लिए मिठाई या हलवा, आचमन के लिए जल इत्यादि.

इसके बाद बात आती है कलश स्थापना की तो कलश स्थपाना की भी विधि होती है उसके लिए जरुरी सामग्री होती है,

  • ताम्बे का कलश
  • कलश एवं नारियल पर बांधने के लिए मौली
  • आम के धुले हुए कुछ पत्ते
  • रोली जिससे कलश पर स्वास्तिक बनाया जा सके
  • कलश में भरने के लिए जल
  • जल में डालने के लिए केसर, एवं सिक्का
  • कलश के नीचे रखने के लिए चावल या गेंहू भी रख सकते हैं.

इन सब सामग्रियों से पूजा का माहौल तैयार किया जाता है. मूर्ति स्थापना के बाद माँ के सामने दुर्गासप्तशती का पाठ किया जाता है, दीपक जलाया जाता है, हवन किया जाता है, माँ की आरती की जाती है और माता से अनुरोध किया जाता है, कि संसार के सारे दुखों को समाप्त करें और सभी को सच की राह पर चलने की शक्ति दें. बुरे को संसार से हटाये, और सभी को सुख सम्पत्ति दें.

इन नौ दिनों में माता का पूरा श्रंगार किया जाता है, एवं माता को लाल साडी, लाल चुनरी, गहने, चूड़ी, पायल, बिंदी, महावर, महेंदी, काजल, इत्र, लिपस्टिक इत्यादि से सजाया जाता है. और पुरे सुहाग का सामान माँ के चरणों में अर्पण किया जाता है. माता का आशीर्वाद लिया जाता है और माँ को भक्ति से प्रस्सन्न करने का प्रयास किया जाता है. अलग-अलग तरीके से लोग अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं.

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सावधानी रखें योग्य बातें

Navratri in Hindi: जो लोग नवरात्रि में उपवास और पूजन करते हैं वो इन बातों का ध्यान अवश्य रखें, जैसे-

  • तुलसी की पत्ती न चवाएं,
  • माता की मूर्ति ऐसी न हो जिसमें शेर दहाड़ता हुआ हो,
  • देवी पर कभी भी दूर्वा नहीं चढ़ाएं,
  • अगर अखंड ज्योत जलाई है तो घर खाली न छोडें,
  • आसन पर बैठ कर ही पूजा करें,
  • जूट या ऊन के आसन का उपयोग न करें,
  • नवरात्रि में बाल न कटवाएं,
  • नौ दिन नाख़ून भी न काटें
  • प्याज, लहसुन, मांस का सेवन न करें,
  • काले कपड़ो का त्याग करें,

अगर इन सभी बातों का विशेष ध्यान उपवास और पूजा के नौ दिन रखा जाये तो हितकारी होता है एवं पूजा सफल होती है.

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