पंचतंत्र की कहानियाँ – बंदर और खूँटा

पंचतंत्र की कहानियाँ Panchatantra Stories in Hindi – बंदर और खूँटा

Panchatantra Stories
Panchatantra Stories

Panchatantra Stories in Hindi

बहुत समय पहले की बात है.एक जमाने मे एक बहुत ही धनी व्यापारी था.उसने कई काष्ठीवालों ओर राजमिस्तरियों को अपने घर के बाहर बगीचे मे एक मंदिर बनवाने का काम दिया.हर दिन वे सब भोर होते ही काम शुरू कर देते ओर शाम तक काम करते.इस बीच वे सिर्फ़ दिन के वक़्त खाने के लिए छुट्टी लेते.

एक दिन बंदरों का एक समूह वहाँ पहुँचा और कारीगरों को खाना खाने के लिए जाते हुए देखा.

उनमे में से एक बढई लकड़ी के कुन्दे को चीर रहा था. क्योंकि काम आधा ही हुआ था, उसने, कुन्दे में दरार बन्द न हो जाए, इसके लिए एक खूँटा लगाया. फिर औरों के साथ खाना खाने के लिए चला गया

कारीगरों के वहाँ से जाने के बाद सभी बंदर पेड़ से उतर गये और वहाँ पड़े औज़ारों से खेलने लग गये और उछल कूद मचाने लगे.

इस बीच एक बंदर था जिसे कुंडे मे लगे हुए खूँटे के बारे मे जानने की उत्सुकता हुई.

वह उस दरार के बीच मे बैठ गया और खूँटे को पकड़कर उसे जोरों से खींचने लगा.

अचानक से ही खूँटा निकल गया ओर इसके फलस्वरूप कुन्दे मे दरार बंद हो गया और उस बंदर की टाँग लकड़ी मे ही फसी रह गयी.कुछ देर बाद जब कारीगर लौटे तो उन्होने उस बंदर को पकड़ लिया ओर उसे उसकी टूटी हुई टाँग सहित चिड़ियाघर मे भेज दिया.

 

इसलिए तो बुद्धिमान लोग कहते है –
जो किसी दूसरे के काम मे टाँग अड़ाता है वह मुसीबत मे फँस जाता है.

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.