Poem for Mother in Hindi

Poem for Mother in Hindi : हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ – डांट भले भूल भी जाए लेकिन माँ का गले से लगाना कभी भूलना नहीं  चाहिए. जिसने हमे जीवन दिया जिसने हमने चलना सिखाया, जिसने हमे बोलना सिखाया. एक दिन ऐसा भी आएगा जब हमे उसके बैगैर रहना होगा. इस की कल्पना भी करना अपने आप में एक डरावना एहसास हैं. और कुछ ऐसे ही एहसास के साथ अपनी ज़िन्दगी बिता देते हैं लोग. आप खुशकिस्मत हैं जो आपको आपकी माँ का प्यार मिला हैं. एक एक क्षण गिनिये. और उन्हें खुश रखिये. यहाँ माँ की कविता का संग्रह हैं. आप इन्हें पढ़ कर अपनी माँ को सुनाएंगे तो वो बहुत खुश होंगी. HindPatrika का हर कदम आपकी और आपके अपनों की ख़ुशी से जुड़ा हैं. : )

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माँ (Poem for Mother in Hindi)

रास्तो की दूरियाँ
फिर भी तुम हरदम पास

जब भी
मै कभी हुई उदास

न जाने कैसे?
समझे तुमने मेरे जजबात

करवाया
हर पल अपना अहसास

और
याद हर वो बात दिलाई

जब
मुझे दी थी घर से विदाई

तेरा
हर शब्द गूँजता है
कानो मे सन्गीत बनकर

जब हुई
जरा सी भी दुविधा
दिया साथ तुमने मीत बनकर

दुनिया
तो बहुत देखी
पर तुम जैसा कोई न देखा

तुम
माँ हो मेरी
कितनी अच्छी मेरी भाग्य-रेखा

पर
तरस गई हूँ
तेरी
उँगलिओ के स्पर्श को
जो चलती थी मेरे बालो मे

तेरा
वो चुम्बन
जो अकसर करती थी
तुम मेरे गालो पे

वो
स्वादिष्ट पकवान
जिसका स्वाद
नही पहचाना मैने इतने सालो मे

वो मीठी सी झिडकी
वो प्यारी सी लोरी
वो रूठना – मनाना
और कभी – कभी
तेरा सजा सुनाना
वो चेहरे पे झूठा गुस्सा
वो दूध का गिलास
जो लेकर आती तुम मेरे पास

मैने पिया कभी आँखे बन्द कर
कभी गिराया तेरी आँखे चुराकर

आज कोई नही पूछता ऐसे
???
तुम मुझे कभी प्यार से
कभी डाँट कर खिलाती थी जैसे

 

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ममता की सुधियाँ (Poem for Mother in Hindi)

जब कभी शाम के साये मंडराते हैं
मैं दिवाकिरण की आहट को रोक लेती हूँ
और सायास एक बार
उस तुलसी को पूजती हूँ
जिसे रोपा था मेरी माँ ने
नैनीताल जाने से पहले
जब हम इसी आँगन में लौटे थे
तब मैं उस माँ की याद में रो भी न सकी थी
वह माँ जिसके सुमधुर गान फिर कभी सुन न सकी थी
वह माँ जो उसी आँगन में बैठ कर मुझे अल्पना उकेरना सिखा न सकी थी
वह माँ जिसके बनाये व्यंजनों में मेरा भाग केवल नमकीन था
वह माँ जिसके वस्त्रों में सहेजा गया ममत्व
मेरी विरासत न बन
एक परंपरा बन गया था
वह माँ जिसके पुनर्वास के लिए
हमने सहेजे थे कंदील और
हम बैठे थे टिमटिमाते दीपों की छाया में
और बैठे ही रहे थे

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शब्द हैं थोड़े उनके आगे (Poem for Mother in Hindi)

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……
कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?
“माँ ” की ममता सोच कर देखूँ तो …..
बिन आँसूं के रोऊँ मैं ।

जिसने ये संसार बनाया ,
उनके स्नेह से मन हरषाया,
उनकी गोद में सर रखकर ….
बिन नींदों के सोऊँ मैं ।

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……
कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?

“माँ” का प्यार है ऐसा निराला ,
दुश्मन का सर भी है झुक डाला ,
ऐसी “माँ ” का लाल बनकर ,
बिन हीरे के दमकूं मैं ।

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……
कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?

जीवन पथ की कठिन डगरिया,
पार हुई पकड़ “माँ” की उंगलिया ,
डूब जाऊँ तो भी नहीं है गम अब ….
बिन पतवार की नईया खेमे में ।

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……
कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?

“माँ” की भक्ति में हैं चारों धाम ,
तन-मन में बसा हो जब उनका नाम ,
प्राणओं को निकलते हुए न हो दर्द ,
बिन मौत के साँसों को रोकूँ मैं ।

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……
कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?

 

 

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प्यारी माँ (Poem for Mother in Hindi)

माँ प्यारी माँ

कोशिश की थी
कविता लिखने की
बरसों पहले
छोटी-सी आयु में

सीख रहा था छंद कोई
पंक्ति बन रही थी
‘माँ, प्यारी माँ’
तेरे ऋण है मुझ पर हज़ार

बढ़ न सका आगे
उलझनों में रह गया
बढ़ रहा हूँ आज
माँ प्यारी माँ

तीरथ करती हो
करते रहना
पुण्य करती हो
करते रहना

छत है तेरे पुण्यों की
करेगी रक्षा हम बच्चों की
माँ प्यारी माँ

 

 

“माँ” का प्यार (Poem for Mother in Hindi)

“माँ” का एक प्यार ही मुझको इतना बार बनाकर लाया ,
वरना इस जीवन को मैंने सपनों में भी कभी न पाया ।

कैसे कह दूँ की “माँ” की ममता होती है अफसानों में,
इसके किस्से बन न सके अबतक ये बंद होती है तहखानों में ।

सारा जोबन गाल के उसने तन-मन से औलाद को सींचा,
उसी औलाद के धुत्कारे जाने पर अपने होटों को सदा ही भींचा ।

“माँ” ही जननी ,”माँ” ही देवी,”माँ” की ममता अपरमपार ,
जिस रूप में चाहोगे उसको उसी रूप में मिलेगा प्यार ।

तिरस्कृत हो समाज से वो फिर भी वात्सल्य की आस न छोड़े ,
चाहें बदल जाएँ बच्चे वो फिर भी उनसे मुँह न मोड़े ।

टुकड़ों में बाँट दिया “माँ” को एक “माँ” के पांच बेटों ने,
पर बाँट न सकी वो मरते दम तक उनमे से एक को भी दो टुकड़ों में ।

ऐसी “माँ” को नमन न हो तो अपने जीवन पर है धुत्कार ,
क्योंकि इस जग में लाने की खातिर हमको उसने पार की हैं न जाने कितनी दीवार ?

 

माँ के नाम (Poem for Mother in Hindi)

बचपन में अच्छी लगे यौवन में नादान।
आती याद उम्र ढ़ले क्या थी माँ कल्यान।।१।।

करना माँ को खुश अगर कहते लोग तमाम।
रौशन अपने काम से करो पिता का नाम।।२।।

विद्या पाई आपने बने महा विद्वान।
माता पहली गुरु है सबकी ही कल्यान।।३।।

कैसे बचपन कट गया बिन चिंता कल्यान।
पर्दे पीछे माँ रही बन मेरा भगवान।।४।।

माता देती सपन है बच्चों को कल्यान।
उनको करता पूर्ण जो बनता वही महान।।५।।

बच्चे से पूछो जरा सबसे अच्छा कौन।
उंगली उठे उधर जिधर माँ बैठी हो मौन।।६।।

माँ कर देती माफ़ है कितने करो गुनाह।
अपने बच्चों के लिए उसका प्रेम अथाह।।७।।

 

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दुनियादारी के झमेले (Poem for Mother in Hindi)

बचपन में सोचा करती थी मैं ,
बैठ कदम्ब के पेड़ के नीचे,
कि “माँ” ही वो दौलत है मेरी ,
जो इतने स्नेह से मुझको सींचे ।

विद्यालय से झूठ बोलकर आ …..
जब मै कमरे में छुप जाती थी,
तब “माँ” ही मुझको समझाकर ,
प्यार से गले लगाती थी ।

ब्याह हुआ तो पराये घर जाने की ,,,,
“माँ” से ही एक नयी सीख मिली,
झगड़ा वहां पर कभी न हो मेरा ,
ऐसी उत्तम एक तरकीब मिली ।

बच्चों के लालन-पालन का …..
“माँ” ने दिया मुझे ऐसा ज्ञान ,
ताकि हर कदम पर मुझको मिले ,
नए घर में पूरा सम्मान ।

धीरे-धीरे ….चुपके-चुपके वो ….
दूर से बैठी रंग भरती रही,
और उसके जीवन काल की हस्ती,
बिन कुछ कहे ही घटती रही ।

और एक दिन वो काला दिन भी आया ,
जब “माँ” का चेहरा सदा के लिए मुरझाया,
उसके जाने के एहसास ने मुझको,
अब उसका स्नेह याद दिलाया ।

आज फिर उसी कदम्ब के पेड़ के नीचे …….
मैं सोच रही बैठी यूँ अकेले में,
कि क्यूँ मैं “माँ” तुम्हे पहचान न पायी,
इस दुनियादारी के झमेले में।

 

है माँ….. (Poem for Mother in Hindi)

हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ….
कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ…..
हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा लेती है माँ…..
अपने होठोँ की हँसी, हम पर लुटा देती है माँ……
हमारी खुशियोँ मेँ शामिल होकर, अपने गम भुला देती है माँ….
जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है माँ…..

दुनिया की तपिश में, हमें आँचल की शीतल छाया देती है माँ…..
खुद चाहे कितनी थकी हो, हमें देखकर अपनी थकान भूल जाती है माँ….
प्यार भरे हाथोँ से, हमेशा हमारी थकान मिटाती है माँ…..
बात जब भी हो लजीज खाने की, तो हमें याद आती है माँ……
रिश्तों को खूबसूरती से निभाना सिखाती है माँ…….
लब्जोँ मेँ जिसे बयाँ नहीँ किया जा सके ऐसी होती है माँ…….
भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैँ

 

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हमारी सोच के सवालात (Poem for Mother in Hindi)

आँचल में दूध लिए ………
आँखों से छलकता पानी,
सोच रही “माँ” बैठ सड़क पर ,
किसे कहूँ अपनी दुखभरी कहानी ?

बीती रात को बेटे ने उसके ……..
घर से बाहर निकाला ,
कि सह न सकेगा खर्च वो उसका,
अपनी कमाई का देके हवाला ।

न घर है अब कोई मेरा,सोच रही वो कहाँ जाऊँ ?
किसके घर जाकर अब , मैं अपना डेरा जमाऊँ ?
बचपन होता तो झूठ बोलकर,लोगों से मैं नज़र बचाऊँ ,
परन्तु इस उम्र में, सच बोलने का साहस कहाँ से लाऊँ ?

भूखे पेट वो चलती रही ……
किसी “वृधाश्रम” की तलाश में,
क्योंकि शहरों में ऐसा अक्सर होता है,
पड़ा था उसने किसी किताब में।

पहुँच कर आश्रम उसने वहाँ का द्वार जब खटखटाया,
तो हाथ में “फॉर्म” पकड़े एक कर्मचारी बाहर आया ,
बोला माताजी ये “फॉर्म” नहीं सिर्फ एक औपचारिकता है,
घर से बुजुर्गों को निकालना आम सी बन गयी, ये “हिन्दुस्तानी सभ्यता” है ।

सुनकर “माँ ” बोली उससे ,ये मेरे आँसू नहीं पानी हैं ……..
बेटा बहुत लायक है मेरा, ये ही सच्ची कहानी है ।
उसने मुझे नहीं निकाला ,मैं खुद से चली आयी हूँ ,
अपने जीवन- काल को ,समर्पित करने यहाँ आयी हूँ ।

वो “नादान परिंदा” मेरा, उड़ना अभी न जान सका….
अपने नीड़ की टहनी को, मेरे संग न बाँध सका ।
“भरत” ने भी क्या दुःख भोग होगा ,अपने “राम” के जाने से ,
मेरा बेटा छोड़ गया सब , मेरे यहाँ पर आने से ।

मोह नहीं उसे इस दौलत का ,मेरे लिए तड़पता है ……
मगर मेरा ह्रदय कठोर बड़ा ,जो हर पल उसे तिरस्कृत करता है ।
याद रखो मेरी अपने मन में ,ये छोटी सी एक बात ,
कि “हिन्दुस्तानी सभ्यता ” नहीं बदली ,बस बदल गए हैं हमारी सोच के सवालात ।

 

वो है मेरी माँ (Poem for Mother in Hindi)

मेरे सर्वस्व की पहचान
अपने आँचल की दे छाँव
ममता की वो लोरी गाती
मेरे सपनों को सहलाती
गाती रहती, मुस्कराती जो
वो है मेरी माँ।

प्यार समेटे सीने में जो
सागर सारा अश्कों में जो
हर आहट पर मुड़ आती जो
वो है मेरी माँ।

दुख मेरे को समेट जाती
सुख की खुशबू बिखेर जाती
ममता की रस बरसाती जो
वो है मेरी माँ।

 

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Mere kadam ruk jate hai  (Poem for Mother in Hindi)

Mere kadam ruk jate hai
Tarifo mai tere thak jate hai
Magar dil mai ye baat reh jaati hai
Ki maa anmol hai

Jis se hai sawera mera
Jis se chhate andhera mera
Jis ke duaavo ka naam hai
Jis ke naam mai pyaar hai
Vo maa anmol hai

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Hind Patrika

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