Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी

Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी

Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी : भारत पर्वो का देश हैं यहाँ की दिनचर्या में ही पर्व त्यौहार बसे हुवे हैं ऐसा ही एक पर्व हैं राम नवमी असुरो का संघार करने के लिए भगवान विष्णु ने राम रूप मे पृथ्वी पर अवतार लिया पर जीवन में मर्यादा का पालन करते हुवे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. श्री राम का जन्म प्राचीन भारत में हुआ था उनके जन्म के समय का अनुमान सही से नहीं लगाया जा सकता परन्तु विशेषज्ञों का मनाना हैं की राम भगवान् विष्णु जी के अवतार माने जाते हैं. उनका जन्म आज से 7,323 ईसा पूर्व हुआ था. आज के युग में राम का जन्म राम नवमी के रूप में मनाया जाता हैं. राम नवमी चैत मास के शुक्लपक्ष के नौवे दिन मनाई जाती हैं.

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Ram Navami Ki Kahani

Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी : चैत शुक्ल नवमी का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व हैं. आज ही के दिन त्रेता युग में रघुकुल शिरोमणि महाराजा दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहाँ अखिल ब्राह्मण नायक अखिलेश ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था. दिन के बारह बजे जैसे की सौन्दर्य निकेतन शंख, चक्र, गदा, पद्म धारम किये हुवे श्री राम प्रकट हुवे तो मानव माता कौशल्य उन्हें देख कर विस्मित हो गयी उनके सौन्दर्य व तेज़ को देख कर उनके नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे. श्री राम के जन्मोस्तव को देख कर भी देवलोक भी अवध के सामने फीका लग रहा था देवता, ऋषि, किन्नर, चारण सभी जन्मोस्तव में शामिल हो कर आनंद उठा रहे थे आज भी हम प्रतिवर्ष चैत शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाते हैं और राम में हो कर कीर्तन, भजन या कथा आदि में रम जाते हैं.

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Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी : राम नवमी के दिन भी गोस्वामी तुलसीदास ने राम चरित ममानस का श्री गणेश किया था इस दिन जो कोई व्यक्ति दिन भर उपवास और रात भर जागरण कर के श्री राम जी की पूजा करता हैं तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान पुन्य करता हैं वो अनेक जन्मो के पापो को भस्म करने में समर्थ होता हैं. राम नवमी राजा दशरथ भगवान् राम के स्मृति को समर्पित हैं. उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता हैं तथा वो सदाचार का प्रतिक हैं यह त्य्पोहार शुक्ल पक्ष की नौवी तिथि को जो अप्रैल में आती हैं. यह राम जी के जन्म दिन के अवसर पर मनाई जाती हैं. श्री राम ने अपने जीवन की हर अवस्था में अपने चरित्र की उदारता और मर्यादा के पालन का परिचय दिया.

 

Ram Navami Ki Kahani
आत्मबलिदान, गुरुजन, बड़े – बुढो का सम्मान तथा वीरता यही श्री राम के गुण हैं. भगवान श्री राम चन्द्र जी बारह कलाओं से पूर्णावतार माने जाते हैं उन्होंने मानवता को आदर्श के सबसे ऊँचे शिखर पर खड़ा किया. उन्होंने दुष्टता का दलन कर सज्जनता को पुन: स्थापित करने का कार्य किया. उन्होंने धर्म ध्वज फहराते हुवे मानव देह में उस हर एक कर्तव्य का पालन किया जो एक सामन्य मनुष्य के लिए होता हैं भगवान् श्री राम की उद्धार कथा हजारो वर्ष से सभी को प्रेरित करती आई हैं. राम अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे. अपनी सौतेली माँ के कटु चालाकी के कारण राम को चौदह वर्ष का वनवास भोगना पड़ा. वनवास काल में राम ने रावण को मारा और अपनी पत्नी सीता के साथ अयोध्या वापस आए. राम एक आदर्श राजा, पति व मित्र के रूप में जाने जाते हैं.

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Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी : आज भी राम राज्य का अर्थ हैं एक आदर्श. भारत वर्ष श्री राम और श्री कृष्णा की पवित्र भूमि हैं. हजारो वर्ष से श्री विष्णु अवतार श्री राम और श्री कृष्णा की भव्य काथाए पर्वतो, मरुस्थलो, गाँव, शहरों व महानगरो में गूंजती रहती हैं. राम नवमी के दिन श्रद्धालु बड़ी संख्या में मदिरो में जाते हैं और राम की प्रशंसा में भक्ति पूर्ण भजन गाते हैं तथा उनके जन्मोत्सव को मनाने के लिए उनकी मूर्तियों पालने में झुलाते हैं. इस महान राजा की कहानी का वर्णन करने के लिए काव्य तुलसी रामायण के लिए पाठ किया जाता हैं. भगवान् राम का जन्मस्थान अयोध्या राम नवमी त्यौहार महान अनुष्ठान का केंद्र बिंदु हैं. राम उनकी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण व् भक्त हनुमान की रथ यात्राए बहुत से मंदिरों से निकाली जाती हैं. हिन्दू घरो में रामनवमी पूजा कर के मनायी जाती है. पूजा के लिए आवश्यक वस्तुए रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख होते हैं. इसके बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्य परिवार के सभी सदस्यों को टीका लगाती हैं.
Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी : पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति के सभी सदस्यों को टीका लगाया जाता हैं. पूजा में भाग लेने लाने प्रत्येक व्यक्ति पहले देवताओं को जल, रोली और ऐपन छिडकता हैं. तथा मूर्तियों पर मुट्ठी भर चावल छिडकता हैं जब प्रयेक खड़ा होकर आरती करता हैं तथा इसके अंत में गंगा जल अथवा तथा सादा जल इक्कठा करके सभी जानो पर छिड़का जाता हैं. पूरी पूजा के दौरान भजन गान चलता रहता हैं. अंत में पूजा के लिए एकत्रित सभी जानो को प्रसाद दिया जाता हैं.

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Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी : श्री राम का जन्म दोपहर से पहले हुआ था इसलिए मंदिरों में दोपहर पूर्व की जाती हैं. वैदिक मंत्रो द्वारा बड़े बड़े यग्य हवन किये जाते हैं, श्री राम नवमी नौ दिन तक लगातार मनाई जाती हैं. कई लोग इस दिन उपवास करते हैं. उत्तर भारत में सर्वाधिक लोग प्रिय रामनवमी को श्रीराम परिवार की शोभा यात्रा की झांकी निकाली जाती हैं. इस यात्रा का मुख्य आकर्षण एक सजा धजा रथ होता हैं. इसमें चार व्यक्ति राम उनके भाई लक्ष्मण, सीता तथा राम भक्त हनुमान की वेश भूषा धारण कर के विराजमान होते हैं कई अन्य लोग राम की सेना के वस्त्र धारण कर के इस रथ के साथ साथ चालते हैं यह यात्रा अत्यंत जोश पूर्ण एवं उत्साह से भरी होती हैं. जिसमे लोग श्रीराम राज्य के गुणों की प्रशंसा कर ऊँचे सुर में नारे लगा कर करते हैं. श्री रामनवमी उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम को अत्यंत महत्वता दी जाती हैं. श्रीराम चरित मानस का गीत में व्यखायन वाल्मीकि रामायण का संस्कृत तथा स्थानीय भाषाओ में नौ दिनों तक पाठ होता हैं.

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Ram Navami Ki Kahani | राम नवमी की कहानी : लोग स्थानीय भाषा में भी श्री राम के गुण गाते हैं. श्री राम कथा कई स्थानों पर पुरे महीने चलती हैं. गवैये निर्त्यक व् शास्त्रीय संगीत कलाकार इन सभी कार्यकर्मो में भाग लेते हैं. धार्मिक प्रवचनों के दौरान विशेष महत्व रखने वाले वे प्रसंग्ग हैं जिनमे सीता जी का विवाह श्रीराम से होता हैं तथा जब श्रीराम का राजतिलक किया जाता हैं इन प्रसंगों के दौरान संगीतोग्यो का सम्मान वस्त्र व् अन्य भेटो द्वारा किया जाता हैं. श्री राम को विशेष प्रसाद भेट करने के बाद सभी श्रोतागण इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं.

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