शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop

शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop

शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop : एक दिन, कैलाश पर्वत पर भगवान् शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती को वेदों के विषय में बता रहे थे। वेदों के विषय में व्याख्या व बहस इतनी ज्यादा चली कि कई वर्षों तक चलती रही। जैसा कि होना ही था, एक दिन पार्वती अपनी एकाग्रता खो बैठीं। अपने स्वभाव के अनुसार भगवान् शिव क्रोधित हो गए और क्रोध में बोले, “जाओ और एक मछुआरन के रूप में जन्म लो, तुम एक मछुआरन से अधिक बुद्धिमान नहीं हो।” जैसे ही ये शब्द भगवान् शिव के मुँह से निकले देवी पार्वती झट से गायब हो गई। “ओह! ये मैंने क्या कर दिया, ” भगवान् शिव निराश होकर दु:खी स्वर में बोले, ‘मैं अपनी प्रिय पत्नी के बिना नहीं रह सकता,”

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यह सोचकर भगवान् शिव उदास हो गए। उनका सेवक नन्दी बैल भी अपने स्वामी के इस बढ़ते दु:ख को देख कर परेशान हो गया। और सोचने लगा, “मेरे स्वामी तब तक प्रसन्न नहीं होंगे, जब तक उनकी प्रियतमा कैलाश पर्वत पर दुबारा नहीं आ जाएगी।” उधर धरती पर देवी पार्वती ने एक नन्ही बालिका के रूप में जन्म लिया। मछुआरों के मुखिया ने एक नन्ही ।” बालिका को पेड़ के नीचे पड़ा देखा। उसने उस नन्ही बालिका को उठाया और अपनी बेटी के समान मानकर अपने घर लाकर उसका पालन-पोषण करना शुरू कर दिया। उसने नन्हीं बच्ची का नाम पार्वती रखा।
छोटी होने के बावजूद पार्वती अक्सर अपने पिता के साथ मछली पकड़ने के लिए जाती और मछलियाँ पकड़ने में अपने पिता की सहायता करती। इसी प्रकार समय बीतता गया और पार्वती एक खूबसूरत युवती बन गई।

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शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop
शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop : वह एक सभ्य एवं प्रतिष्ठित लड़की थी और अन्य मछुआरों की अपेक्षा अधिक तेजी से नाव चलाती थी। उधर कैलाश पर्वत पर भगवान् शिव अब भी अपनी पत्नी के लिए उदास रहते थे। नन्दी उनके पास गया और बोला, “भगवान्, आप अपनी पत्नी को वापस क्यों नहीं बुला लेते?” “मैं ऐसा नहीं कर सकता नन्दी क्योंकि एक मछुआरे से उसका विवाह होना निश्चित है,” भगवान् शिव बोले। “अच्छा ऐसा! तब तो मुझे अवश्य ही कुछ करना पड़ेगा।” नन्दी ने सोचा।

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शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop

शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop : अगले दिन नन्दी बैल ने एक बड़ी व्हेल मछली का रूप धारण किया। और समुद्र के उस भाग में पहुँच गया, जहाँ मछुआरे अक्सर मछलियाँ पकड़ने आते थे। वहाँ पहुँचकर उसने मछुआरों को परेशान करना आरम्भ कर दिया। सभी मछुआरे अपने मुखिया के पास शिकायत लेकर पहुँचे और बोले “अब हम समुद्र में और मछलियाँ नहीं पकड़ सकते। एक बड़ी मछली हमारी नावों को उलटा कर रही है और हमारे जालों को फाड़ रही है। हम अपना जीवन इस प्रकार खतरे में नहीं डाल सकते।”

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शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop

शिव का मछुवारे का रूप | Shiv ka Macchuvare ka Roop : तब मछुआरों के मुखिया ने घोषणा की, “जो कोई भी उस बड़ी मछली को पकड लेगा, मैं अपनी बेटी पार्वती का विवाह उससे तब मछुआरों के मुखिया ने घोषणा की, “जो कोई भी उस बड़ी मछली को पकड लेगा, मैं अपनी बेटी पार्वती का विवाह उससे कर दूंगा. यह घोषणा सुनकर कई मछुआरे ने उस बड़ी मछली को पकड़ने का प्रयास किया परन्तु सभी असफल रहे. तब उनके मुखिया ने भगवान् शिव से प्रार्थना की, “भगवान्, हमें इस विशाल मछली से बचाओ, हम पर दया करो।” पार्वती ने भी प्रार्थना की, “हे भगवान् अब आप ही हमारे एकमात्र रक्षक हैं।

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कृपया हमारी मदद के लिए आइए।” पार्वती की प्रार्थना सुनकर भगवान् शिव जी ने एक खूबसूरत नौजवान मछुआरे का रूप धारण किया और मुखिया के पास पहुँच कर बोले, “मैं आपकी सहायता के लिए आया हूँ। मैं उस विशाल मछली को पकड़ेंगा।” “अगर आपने हमारी मदद की तो हम सदैव आपके शुक्रगुजार रहेंगे।” मछुआरों का मुखिया बोला। जब नवयुवक बने भगवान् शिव जब समुद्र पर मछली पकड़ने के लिए गये, तब यह देखकर नन्दी बहुत प्रसन्न हुआ। वह तो पहले ही से उस व्हेल मछली के रूप में था। नवयुवक बने शिव भगवान् ने मछली रूपी नन्दी को पकड़ लिया। तब मुखिया ने उस नवयुवक और पार्वती के विवाह का प्रबन्ध किया। सो इस प्रकार भगवान् शिव ने देवी पार्वती को पुन: पत्नी रूप में प्राप्त किया।

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