स्वरुप – वक्रतुंड का | Swaroop – Vakrtund ka

स्वरुप – वक्रतुंड का | Swaroop – Vakrtund ka : एक बार मत्सर नाम का दैत्य, ऋषि शुक्राचार्य से मिलने गया। चूंकि मत्सर एक दैत्य था, अत: वह लम्बा, गठीला और देखने में सुन्दर था। उसके स्वरूप को देखकर शुक्राचार्य प्रभावित हुए। शुक्राचार्य ने उससे पूछा कि वह उनसे मिलने क्यों आया है? मत्सर बोला, “ऋषि शुक्राचार्य, मैं स्वर्ग के समस्त सुखों को भोगने के लिए इन्द्रपुरी पर राज करना चाहता हूँ।”

Also Check : फादर्स दे कोट्स हिन्दी में

“तुम्हारी इच्छा केवल तभी पूरी होगी, यदि तुमने दृढ़ निश्चय किया होगा तो पर तुम यह भी जानते हो कि इन्द्रपुरी के राजा इन्द्र हैं, जो बहुत शक्तिशाली व वीर हैं।” “मैं भी शक्तिशाली और वीर हूँ, परन्तु इन्द्रदेव के पास साधन तथा शस्त्र हैं, जो मेरे पास नहीं हैं। मैं जानता हूँ कि उनके बिना मैं युद्ध नहीं लड़ सकूगा।” “तब तो तुम्हें भगवान् शिव की तपस्या करनी पड़ेगी। तुम्हें तपस्या में ‘ओम नम: शिवाय’ मंत्र का लगातार जाप करना होगा। तब तक जब तक स्वय भगवान् शिव तुम्हें दर्शन न दे दे।” ऋषि शुक्राचार्य ने अपना सुझाव दिया। ऋषि शुक्राचार्य के इस सुझाव को मानकर मत्सर ने एक टाँग पर खड़े होकर कई वर्षों तक ‘ओम नम: शिवाय, का जाप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव उसके सामने प्रकट हुए और उससे बोले ‘मौंगो वत्स! क्या वरदान माँगते हो? कि मैं मनुष्यों, देवताओं और असुरों के विरुद्ध कोई भी युद्ध न हारूं।

Also Check :  मदर्स दे कोट्स हिन्दी में

स्वरुप – वक्रतुंड का | Swaroop – Vakrtund ka : हर किसी पर मेरा अधिकार हो और मैं निर्भय होकर दुनिया के सारे सुखो का आनंद ले सकूँ. “ऐसा ही हो,” भगवान् शिव ने कहा। इसके बाद मत्सर, ऋषि शुक्राचार्य के पास गया और सारी घटना सुनाई शुक्राचार्य ने उसे दैत्यों का राजा घोषित कर दिया। शीघ्र ही मत्सर ने दैत्यों और असुरों की सेना बनाई और विश्व विजय के लिए निकल पड़ा। शीघ्र ही उसने इन्द्रपुरी और पाताललोक को जीत लिया तथा भगवान् इन्द्र व नागराज को पराजित कर दिया। इसके पश्चात् उनसे पृथ्वी के अनेक राजाओं को हराया। जो राजा उसके आगे आत्मसमर्पण करते उन्हें वार्षिक कर देना पड़ता था, तथा जो राजा उसका विरोध करते उनके राज्य को समाप्त कर दिया जाता। शीघ्र ही मत्सर ने कुबेर, यम और वायु को पराजित कर तीनों लोकों पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। वह घमण्ड के नशे में बुरी तरह डूब चुका था। उसके राज्य में दैत्य और असुर मिलकर निर्दोष मनुष्यों, ऋषियों व देवताओं सभी को सताने लगे। एक दिन कुछ देवता व ऋषि मिलकर भगवान् विष्णु के पास सहायता के लिए गए।

Also Check : जन्मदिन के बेहतरीन कोट्स

स्वरुप – वक्रतुंड का | Swaroop – Vakrtund ka : भगवान विष्णु ने सभी को भगवान् ब्रह्मा से मिलने की राय दी। ब्रह्मा जी ने उन्हें शिव जी से मिलने को कहा। शिव जी बोले, “हाँ, मत्सर घमण्डी व दुराचारी बन गया है। उसके दिन अब गिनती के ही रह गये हैं। तुम लोग थोड़ी प्रतीक्षा करो, मैं स्वयं उसका विनाश करूँगा.” कुछ दिनों के पश्चात् मत्सर की सेना ने कैलाश पर्वत, जहाँ भगवान शिव निवास करते थे, पर अपना अधिकार जमाने के लिए आक्रमण किया। पांच दिनों के घमासान युद्ध के पश्चात् मत्सर ने कैलाश पर्वत पर अपना अधिकार जमा लिया। सभी देवता सहायता के लिए भगवान् दत्तात्रेय के पास गए। दत्तात्रेय ने उन्हें परामर्श दिया, “भगवान् गणेश की प्रार्थना करो, केवल उनका हिसंक वक्रतुण्ड स्वरूप ही मत्सर के प्रकोप से तुम्हें बचा सकता है।” सभी देवताओं ने भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना की।

Also Check : श्रीमद् भगवद् गीता के अनमोल वचन

स्वरुप – वक्रतुंड का | Swaroop – Vakrtund ka : गणेश के प्रकट होने पर उन्होंने गणेश को सारी कथा कह सुनाई। तब भगवान गणेश ने उनकी सहायता करने का आश्वासन दिया। भगवान् गणेश ने यज्ञाग्नि से गण, विशाल व बहादुर योद्धा बनाने आरम्भ किये और गणों को असुरों-दैत्यों से लड़ने के लिये भेजा। उन्होंने भली प्रकार युद्ध किया और मत्सर के प्यारे पुत्रों,सुन्दप्रिय और सर्वप्रिय को मार डाला। मत्सर का सेनानायक सुन्दरप्रिय व सर्वप्रिय के शरीर को लेकर युद्ध भूमि से भाग गया। अपने सेनानायक को युद्ध भूमि से भागते हुए देख सभी सिपाही, दैत्य और असुर आदि भी भाग खडे हुए। शीघ्र ही मत्सर को अपने पुत्रों की मृत्यु की सूचना मिली। उसने एक बार फिर अपनी सेना को देवताओं से युद्ध के लिए भेज दिया। वह स्वयं भी वक्रतुण्ड स्वरूप का सामना करना चाहता था, जिसने उसके पुत्रों को मार डाला था। युद्ध भूमि में सभी देवताओं और यहाँ तक कि स्वयं भगवान् शिव ने मत्सर के विरुद्ध युद्ध किया, परन्तु मत्सर की सेना फिर भी जीत रही थी। एक समय ऐसा भी आया जब मत्सर के दैत्यों ने भगवान् शिव को घेर वक्रतुंड के गणों ने उन्हें छुडाकर दैत्यों को मार डाला।

Also Check : देशभक्ति की बेहतरीन कवितायें

स्वरुप – वक्रतुंड का | Swaroop – Vakrtund ka : यह देखकर देवताओं को लड़ने के लिए और अधिक प्रोत्साहन मिला। थोड़ी देर बाद मत्सर वक्रतुण्ड से लड़ने लगा, परन्तु वक्रतुण्ड ने मत्सर को अपने मायापाश में कस के बाँध दिया। मत्सर मायापाश से भाग न सका। वह समझ गया कि वक्रतुण्ड साधारण भगवान् नहीं हैं। जब वक्रतुण्ड द्वारा उस पर अग्नि अस्त्र छोड़ा गया, तो वह वक्रतुण्ड के सामने झुककर बोला, “हे भगवान्, मुझे क्षमा कीजिए, मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। आप पर आक्रमण करके मैं लज्जित हूँ। ‘उठो दैत्यराज, मैं तुम्हारी गलती के लिये तुम्हें क्षमा कर देता हूँ, क्योंकि तुम गलती का अनुभव कर रहे हो। मैं तुम्हें जीवनदान देता हूँ, पर यदि तुम भविष्य में किसी को परेशान न करो तो। मैं नहीं चाहता कि तुम्हारे जैसे लोग, धरती के लोगों को परेशान करें। यदि तुम आश्वासन देते हो, तो मैं तुम्हें जाने दूँगा। जैसे ही तुम अपना वचन तोड़ोगे मैं प्रकट होऊंगा और तुम्हें मार डालूगा।” मत्सर ने वक्रतुण्ड को वचन दिया। अत: वक्रतुण्ड के आशीर्वाद से स्वर्ग और पृथ्वी दोनों लोकों में एक बार फिर से शांति स्थापित हो गयी।

Also Check : शाही स्पर्श Akbar Birbal Stories in Hindi

Share
Published by
Hind Patrika

Recent Posts

Go2win रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | 2024 | Hind Patrika

Go2Win - भारतीय दर्शकों के लिए स्पोर्ट्सबुक और कैसीनो का नया विकल्प आज के दौर…

3 months ago

Ole777 रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | 2023

Ole777 समीक्षा  Ole777 एक क्रिप्टो वेबसाइट  (crypto gambling website) है जिसे 2009 में लॉन्च किया…

2 years ago

मोटापा कैसे कम करें- 6 आसान तरीके – 6 Simple Ways for Weight Loss

मोटापे से छुटकारा किसे नहीं चाहिए? हर कोई अपने पेट की चर्बी से छुटकारा पाना…

2 years ago

दशहरा पर निबंध | Dussehra in Hindi | Essay On Dussehra in Hindi

दशहरा पर निबंध | Essay On Dussehra in Hindi Essay On Dussehra in Hindi : हमारे…

3 years ago

दिवाली पर निबंध | Deepawali in Hindi | Hindi Essay On Diwali

दिवाली पर निबंध  Hindi Essay On Diwali Diwali Essay in Hindi : हमारा समाज तयोहारों…

3 years ago

VBET 10 रिव्यु गाइड, बोनस और डिटेल्स | जनवरी 2022 | Hind Patrika

VBET एक ऑनलाइन कैसीनो और बैटिंग वेबसाइट है। यह वेबसाइट हाल में ही भारत में लांच…

3 years ago