वरदान भस्मासुर को | Vardaan Bhasmasur ko

वरदान भस्मासुर को | Vardaan Bhasmasur ko : भस्मासुर नाम का एक राक्षस। था। वह बहुत बलवान तथा लम्बा था, परन्तु बुद्धिमान बिल्कुल नहीं था। वह कार्य करने से पहले कभी नहीं सोचता था। एक दिन भगवान् शिव से वरदान प्राप्त करने के उद्देश्य से उसने तपस्या करने का निश्चय किया। भस्मासुर कई दिनों तक तपस्या करता रहा। भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए वह प्रतिदिन अपने शरीर के अंगों को काट-काटकर भगवान शिव को चढ़ाता था। यह कार्य कई दिनों तक चलता रहा अन्त में भगवान् शिव उसकी तपस्या से प्रसन्न हो गए और उसके सामने आकर बोले, “मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। माँगो, तुम क्या वरदान मर्मोगते हो।” “मैं पूरे विश्व को जीतना चाहता हूँ।

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मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मैं जिसके सिर पर भी हाथ रख्, वह तुरन्त ही भस्म होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाए।” भस्मासुर ने वरदान माँगा। “जाओ, मैंने तुम्हें वरदान दिया।” भगवान् शिव ने कहा। “मुझे वरदान की जाँच करनी चाहिए कि यह सत्य भी है या नहीं।” भस्मासुर उठकर बोला इन शब्दों के साथ वह भगवान् शिव के सिर पर हाथ रखने के लिए उनके पास पहुँचा। अपनी जान बचाने के लिए भगवान् शिव वहाँ से भाग लिए, परन्तु भस्मासुर उनका पीछा करता रहा। शीघ्र ही भगवान् शिव, भगवान् विष्णु के पास सहायता के लिए पहुँचे। भगवान् विष्णु ने उन्हें सहायता का आश्वासन दिया। जब भस्मासुर, भगवान् शिव का पीछा कर रहा था तो एक पण्डित उसके पास आया। दरअसल वह भगवान् विष्णु ही थे, जो एक पण्डित का रूप धारण कर भगवान् शिव की सहायता के लिए भस्मासुर के पास आए थे। पण्डित, भस्मासुर के पास आया और बोला, “तुम कहाँ भाग रहे हो? बैठ जाओ, आराम करो और मुझे बताओ कि क्या बात हैं?” भस्मासुर ने पंडित को भगवन शिव के वरदान के विषय में बताया.

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वरदान भस्मासुर को | Vardaan Bhasmasur ko : “अरे भगवान शिव तुम्हारे हाथ को अपने सर पर क्यों रखने देंगे? यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हें पता नहीं चल जाएगा कि उनका वरदान झूठा है, इसीलिए वह तुमसे बचकर भाग रहे हैं?”। पण्डित ने भस्मासुर की बात सुनकर यह जवाब दिया। “तुम यह सब इतने विश्वास के साथ कैसे कह रहे हो?” भस्मासुर ने पूछा। “यदि तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है, तो तुम अपना हाथ अपने सिर पर रख कर मेरी बात की जाँच कर सकते ही।” पण्डित ने कहा। उसकी बातों में आकर मूर्ख। भस्मासुर ने अपना हाथ अपने ही सिर पर रखा और तुरन्त ही भस्म हो गया। इस प्रकार भगवान् विष्णु ने भगवान् शिव के जीवन की रक्षा की।

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