How to Make a Effective Time Table in Hindi | सटीक टाइम टेबल कैसे बनाया जाए

How to Make a Effective Time Table in Hindi

How to Make a Effective Time Table in Hindi : इस लेख में हम आपको time table बनाने का सही तरीका बताएंगे. हम आपको वो तरीका बताएंगे वो बड़े बड़े professionals बड़े बड़े athletes इस्तेमाल करते हैं. और time के साथ साथ अपना production या फिर अपनी productivity बढाते चले जाते हैं. देखिये आमतौर पर हम time table कब बनाते हैं जब हमारे marks कम आते हैं और पापा गुस्से में आकर एक time table बना देते हैं. वो इस तरह का दिखता हैं.
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How to Make a Effective Time Table in Hindi

How to Make a Effective Time Table in Hindi 

Monday 2 Hours 2 Hours 1 Hours 2 Hours
Tuesday 2 Hours 2 Hours 1 Hours 2 Hours
Wednesday 2 Hours 2 Hours 1 Hours 2 Hours
Thursday 2 Hours 2 Hours 1 Hours 2 Hours
Friday 2 Hours 2 Hours 1 Hours 2 Hours
Saturday 2 Hours 2 Hours 1 Hours 2 Hours
Sunday 2 Hours 2 Hours 1 Hours 2 Hours

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How to Make a Effective Time Table in Hindi

 

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उसके बाद हम लोग इस time table को follow करने की कोशिश करते हैं. एक हफ्ते तक भी चला लिया तो बहुत हैं. 8 वे दिन कभी भी नहीं चलता उसके बाद ये जो time table हैं ये दिवाली तक लगा रहता हैं और दिवाली पर जब पुतैकरनी होती हैं तो फिर इसको हटा देते हैं. अब सवाल उठता हैं की numbers कम आएं क्यों? भई दो लोग थे दोनों लोग ही coaching नहीं जा रहे थे. एक बच्चा तो 90% लेकर आ गया और दुसरा fail हो गया. teacher ने क्या कम ज्यादा पढाया था? देखिये subject कोई सा भी हो. teacher का input कुलमिलाकर 10% होता हैं और student का input 90% यानी teacher कितना भी खराब क्यों ना पढ़ता हो. 90% हमेशा आपके हाथ में होता हैं. भई एक student था वो गया गुरूजी के पास बोला- मुझे धनुर्विद्या सिखा दो. गुरूजी ने मना कर दिया तो उस student ने क्या किया की एक मूर्ति बनाई और वो गुरूजी जब भी सिखाते थे तो वो छुप छुप कर सीखता रहता था उसकी अंधाधुंध practice करता था और उसने इतनी ज्यादा practice करी की जिस दिन जिस student को गुरूजी खुद सिखाते थे उसके अंदर inferiority complex आ गया. एकलव्य की बात हो रही हैं. अब ये जो कहानी हैं ये हमारे teacher ने हमे motivate करने के लिए सिखाई थी की देखो लोगो के पास resources नहीं होते और वो छुप छुप कर सीख लेते हैं और उसके अंदर इतनी ज्यादा practice करते हैं की अपना अलग ही मुकाम बना लेते हैं. ये चीज़ तो सही हैं. पर जो कहानी का जो सबसे ज्यादा जरुरी हिस्सा हैं वो कभी भी नहीं बताते. वो कभी भी नहीं बोलेंगे आपसे की एकलव्य ने धनुर्विद्या इसलिए सीखी क्युकी एकलव्य का धनुर्विद्या में जबरदस्त interest था फिर सारी दुनिया एक तरफ.

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मुझे बीएस धनुर्विद्या सिखने को मिल जाए मुझे और कुछ चाहिए ही नही. तो अगर आप एकलव्य की कहानी छिपा रहे हो तो मुझे मरी पसंद का subject भी तो दो मतलब कोई ऐसी चीज़ जिसके अंदर मेरा जबरदस्त interest हो. इस बात की सम्भावना 99% हैं की जो आपने subject चुना हैं आपका उस subject के अंदर कोई interest ही ना हो. पर इसिलिये जो सबसे ज्यादा परेशानी हैं जो हम सुनते हैं की पढाई में मन नहीं लगता. पढाई में मन इसलिए नही लगता क्युकी तुम्हारा interest ही नहीं हैं उस subject के अंदर. किताब खोल कर मैं 4 – 4 घंटे तक बैठा रहता हूँ लेकिन फिर भी मेरे दिमाग में कुछ नहीं घुसता. तो आप एक चीज़ ये समझ लीजिये ज्यादातर students के साथ धोखा होता हैं. जैसे आपको एक एक example बताते हैं जब बच्चा 10 th class में होता हैं तो maths और science की किताबो को खूब खुबसूरत ढंग से पेश किया जाता हैं, बहुत अच्छे से उन्होंने concept समझाए हुवे होते हैं. बच्चो के numbers भी बहुत अच्छे आ जाते हैं, maths और science में.

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अब जब बच्चा 11thclass में जाता हैं तो एक एक किताब के कुल पन्ने 750 pages से कम के नहीं होते. और ये inorganic chemistry, organic chemistry, और ये industrial chemistry ये physics हैं?, ये practical physics हैं! maths के अंदर अजीब अजीब से signs आते हैं! कुछ समझ में ही नहीं आता यानी अगर 10th class की बात करे तो 250 pages के अंदर maths और science पूरी आ जाती हैं. और 11th में सिर्फ एक chemistry की किताब ही इतनी या इससे भी मोटी होती हैं. बच्चो को अपने साथ एक दम धोखा हुआ महसूस होता हैं. की वो क्या सोच कर आएं थे और ये क्या हो रहा हैं? अब ये वाली बात जाकर बच्चे अपने पिताजी से बोलते हैं तो उनके पास एक ही जवाब होता हैं.

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बेटा मेहनत करो. अगर आपका पढाई में मन नहीं लग रहा हैं इसका केवल एक मत्लाभैन की वो जो subject हैं आपको ओ interest नहीं करता हैं. अब आप चाहे कितनी भी पढाई कर लो, कितनी भी coaching चले जाओ. आप उस subject के न्द्र कुछ भी – कुछ भी acheieve नहीं कर पाओगे. सबसे पहला step यही हैं की अगर आपको किसी subject में interest नहीं हैं तो किसी subject को आप पढ़ रहे हैं और वो समझ में नहीं आ रहा हैं तो आप सबसे पहले ये करो की उस subject से ही पहले निजात पा लो, सबसे पहले पापा से जाकर बात कर के देखो, पापा अगर strict हैं तो क्या करो तो मम्मी के पास जाकर अपनी बात कहो. देखिये आखिर में वो आपकी बात समझ ही जाएंगे.

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और यही बोलेंगे की जिस में आपका interest हैं उस चीज़ में पढाई करो. अगर आपका थोडा समय मम्मी पापा को मनाने में बर्बाद भी हुआ हैं तो atleast ज़िन्दगी बर्बाद या carrer बर्बाद होने से तो अच्छा ही हैं. यहाँ पर हम आपको एक चीज़ बताना चाहते हैं और आपको इसको बहुत ध्यान से समझिये देखिये ज्यादातर लोगो को नहीं मालुम होता की उनका पसंद क्या हैं? आपने कोई subject ले लिया और थोड़े समय तक तो अच्छा लगा एक – दो साल तक अच्छा लगा. आप उसके अंदर अच्छे marks भी लेकर आ रहे थे पर जसे – जसे पढाई आगे आगे बढती जाती हैं चीज़े जो हैं वो कठिन होती चली जाती हैं अब जैसे जैसे चीज़े कठिन होती जाती हैं तब हमे समझ में आता हैं की वाकई में मेरा इस subject के लिए attitude हैं ही नहीं, इस subject को लेकर कोई interest हैं ही नहीं.

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लोग एक – एक लाख रुपये की coaching कर लेते हैं यानी अपने बच्चो को 6th क्लास से भेज देते हैं की 6 साल का course करेगा पूरा पूरा. जब तक 12th में निकलेगा तब तक IIT निकाल लेगा और इस method की सबसे बड़ी खराबी ही यह हैं की एक sixth class के बच्चे को मालूम ही नहीं होता की उसको जिंदगी में करना क्या हैं? किसी को मालूम नहीं होता. पूरी समस्या की जड़ जो हैं हमे शुरू से नहीं मालूम की हमे क्या subject पसंद है, हमे क्या करना चाहिए जो हुम सबसे बेहतर करेंगे. सबसे बड़ी समस्या यही हैं. अगर ये मालूम पता चल जाए की आपका potential किस चीज़ में हैं, आपका interest किस चीज़ में हैं, और आप किस field में जाओगे तो धामाके कर दोगे.

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फिर तो आप वही वही करो. भई अगर हमे पहले ही दिन मालूम चल जाए की final exam में ये दस सवाल ही पूछे जाएंगे तो बाकी का course कोई क्यूँ पढ़ेगा. अब ये कैसे मालुम चलेगा की हमारा attitude किस चीज़ में हैं? हम किस चीज़ में हमारा potential हैं जिससे हम कमाल कर देंगे. अब आप किसी pshychologist, physciatiatrist और carrer counceler की मदद लो, ये चीज़ भी समझ लीजिये की जो psychilogist होते हैं और जो physciatiatrist होते हैं ये पागलो के doctor नहीं होते हैं. ये professionals होते हैं, इन्होने मनोविज्ञान पढ़ा होता हैं, दिमाग की functioning इन्हें मालूम होती हैं,

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एक एक घंटे के तीन sessions और ये आपकी अंतर आत्मा आपके सामने खोल के रख देंगे की बेटा तू ये हैं, कुलमिलाकर खर्चा होगा 5000 रुपये तीनो का, पर आपको exactly मालूम होगा की आप क्या करोगे तो कमाल कर दोगे. अब वापिस एकलव्य पर जाते हैं एकलव्य को मालूम था ये आपको नहीं मालूम तो आप 4000 – 5000 रुपये खर्चा करो और फिर जो भी चीज़ आपको समझ में आएं उस field का जो top व्यक्ति हैं उसकी मूर्ति बनाओ यानी की उसको role model बनाओ.

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दूसरा step – छुप छुप कर सीखो. आप जिसको भी अपना आदर्श मानते हैं उसके बारे में हर चीज़ जानो ये आपको motivate करने में बहुत मददगार साबित होगा. छुप छुप कर सीखना इसे कहते हैं.

आखिरी चीज़ जो कुछ भी सीखा हैं उसकी अंधाधुंध practice करो. और अगर आपको अपनी ज़िन्दगी में कुछ acheieve करना गेन तो आपको ये तीन steps follow करने पड़ेंगे time table बना कर. इस तरीके का कोई card हैं ही नहीं. देखिये पढाई जो हैं वो इस तरह की चीज़ हैं की एक दिन में कोई अंतर नहीं दीखता पर 6 महीने ,1 साल, 5 साल, 10 साल, 15 साल इसके बाद जब results दीखते हैं

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तो आप देखंगे की एक आदमी तो IAS Officer बन गया और दुसरे की 5,000 की नौकरी भी नहीं लग रही और इस चीज़ को भी समझो जो आदमी पढाई कर रहा हैं जिसका हम मजाक उड़ा रहे होते हैं कल को जब यही आदमी IAS Officer बन जाएगा या बड़ा आदमी बन जाएगा और जब आप उसके पास जाओगे तब वो आपको पहचानेगा नहीं तब भी अपनी गलती मत मानना, तब ये मत कहना की यार मैं भी ये हो सकता था, उससे कहना अच्छा आज मुझे नई पहचान रहा. दूसरी चीज़ आप ये भी समझ लीजिये की time management का concept ही गलत हैं आप time manage कर ही नहीं सकते हो, भई पैसे को manage किया जा सकता हैं की आपके पास पैसा हैं आप उसको खर्च मत करो तो वो वैसा का वैसा ही रहेगा आपके पास.

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time manage नहीं किया जा सकता और इसलिए नहीं किया जा सकता की आप चाहो या नह्ही चाहो time खर्च होता चला जाता हैं, 1 second प्रति second की दर से और इसी लिए आप time को manage करने की कोशिश मत करो आप अपने आपको manage करने की कोशिश करो time के हिसाब से, और खुद को manage करने के लियी आपको time table बनाना पड़ेगा और time table बनाने का जो सबसे अच्छा तरीका हैं वो ये हैं की देखिये हर हफ्ते हमारे पास 168 घंटे होते हैं अब आप एक chart बनाएगे जिसमे आप सातो दिन का 24ओ घंटे का हिसाब लिखेंगे.

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Sun की रात में 12 बजे लेकर अगले Sun. की रात को 12 बजे तक जितनी भी चीज़े आपने करी हैं जो भी activities आपने करी हैं सब कुछ आप इस chart के नादर entry करेंगे. एक हफ्ते के बाद आपको अपना chart देख कर समझ में आ जाएगा की आप अपना time spend कर रहे हैं, waste कर रहे हैं या invest कर रहे हैं. अब इस chart में आप total करेंगे की आपने कितना समय useful activities में लगाया हैं, जैसा की आप समझ जाएंगे की ज्यादातर बच्चे जो करते हैं वो पढाई को केवल पुरे हफ्ते में 6 घंटे देते हैं जिसमे आप school, colleges, coaching, tution को include नहीं करते क्युकी वो सिर्फ input provide कराते हैं.

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उस input की processing तब होती हैं जब आप पढाई कर रहे होते हो क्युकी उतने समय में teacher बोल रहा था और आप लिख रहे थे आप अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे. अब सबसे बड़ी परेशानी की जो चीज़ हैं वो ये हैं की जो बच्चा हफ्ते में सिर्फ 6 घंटे पढता हैं 11th – 12th में उसके exams में बहुत बुरी तरह से कम number आने वाले हैं और उससे भी ज्यादा परेशानी की चीज़ यह हैं की ये बच्चे के जब कम number आएँगे तब वो ये सोच रहा होगा की मैं तो रोज़ आठ घंटे पढता था. देखिये अगर आपको याद होगा जब आपके पापा ने आपके लिए time table बनाया था 2 – 2 घंटे का तो आपको ये चीज़ समझ में आ गयी होगी की जो time table आप बनाते हो वो दीवार पर ही क्यों चिपकाया जाता हैं.

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भई कल तक आप उतनी exercise कर रहे थे, उतना वजन उठा रहे थे जितना की कोई दुबला पतला इंसान. आज आप कह रहे हो की मैं आज उतनी exercise करूँगा, उतना वजन उठाऊंगा जितना की कोई पहलवान. देखिये हमने सालो साल कड़ी तपस्या कर के इस तरह से time बेकार करना सिखा हैं और इतनी मेहनत से सिखा हुआ एक दिन में नहीं बदला जा सकता और इसको बदलने का केवल एक ही तरीका हैं जो हैं one step at a time – यानी एक बार में एक ही कदम.

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अगर आपने पिछले हफ्ते कुलमिलाकर 6 घंटे पढ़ा था तो इस हफ्ते आप कुल मिलाकर 8 घंटा पढने की कोशिश करो. हालाँकि ये चीज़ भी सही हैं की अगले हफ्ते ही आप कुल मिला कर 12 घंटे पढ़ सकते हो लेकिन आप वैसा मत करना क्युकी अगर आप वैसा करोगे तो आप इस exercise को भी अधिकतम 4 हफ्ते तक करोगे, 5वे हफ्ते कभी भी नहीं होगा, ये जो study hours हैं पढाई के घंटे आप इन्हें हर हफ्ते 2 – 3 घंटे कर कर ही पढ़े और अगर आप इस तरह हर हफ्ते 2 – 3 घंटे आप पढ़ते जाओगे तो अपने आप ही आप के अंदर पढाई की इच्छा पढाई की भावना devlope होती चली जाएगी जो की इस पूरी exercise को करने का ultimate objective हैं अब देखिये इस चीज़ को भी समझ लीजिये की जब आप हर हफ्ते अपनी पढाई दो – तीन घंटे की बढाते चले जा रहे हैं तो इसको कहाँ तक लेकर जाना हैं अगर आप school या college में पढ़ते हैं तो आपको अधिकतम लेकर जाना हैं

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28 घंटे प्रति घंटे. अगर आप रोज़ 4 घंटे पढ़ते हो तो school और college के जितने भी exam हैं उन में maximum marks लेकर top पर आओगे हमेशा और इतनी ही पढाई अगर करोगे तो marit में भी तुम्हारा नाम आ जाएगा और अगर आप किसी competitive exam की तैयारी कर रहे हो तो आपको लाकर जाना हैं इसको 42 घंटे प्रति हफ्ते तक. देखिये पूरा time table जब हम बना रहे हैं तो हमने इस चीज़ को define नहीं किया की इस subject को इतने से इतने बजे पढूंगा या फिर इस काम को इतने से इतने बजे तक करूँगा. हम केवल और कवल ये define कर रहे हैं की इस हफ्ते में हमे इस activity को हमे इतनी देर करना हैं और हमे जब भी time मिल रहा हैं उस activity को या उस पढाई को हम एक घंटे कर रहे हैं. अगर हमे कही पर दिख रहा हैं की अभी तो हमारे पास आधा घनता ही हैं तो हु क्या कर रहे हैं वहां पर एक pomodoro लगा रहे हैं यानई 25 minute की activity और 5 minute का break यानी हमे जब भी मौका मिल रहा हैं हम समय चुरा रहे हैं और उसे अपनी पढाई में लगा रहे हैं हम केवल इतना चाहते हैं की इस हफ्ते जो मेरा पढाई का target हैं उतना target मैं कर लूँ.

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अगर हम अपना target friday तक खत्म कर ले तो फिर saturday और sunday किताब को हाथ भी नहीं लगाएंगे.
दूसरी चीज़ आप ये भी समझ लीजिये की जो saturday और sunday होता हैं ये असल में आराम के लिए नहीं होता हैं. पुरे आफते में जहाँ जहाँ पर जिस जिस काम में भी आप पिछड़ गए थे उन सभी चीजों को saturday और sunday को cover करना चाहिए.

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सबसे आखिरी चीज़ अब हम आपको बताते हैं की आपको पढाई का schedule किस तरह से बनाना चाहिए. दिन की शुरुवात आप 4 बजे से करो. और 4 बजे से लेकर 8 बजे ता आप pomodoro technique के 8 circle पुरे कर लो यानी 25 minute की पढाई और 5 minute का break = 1 pomodoro circle ऐसे 8 cirlcle और आपकी आज की पूरी दिन भर की पढाई पूरी. अगर आप स्कूल या college के student हो तो college से वापस आओ तो आप homework कर लो यानी पढाई लिखाई से related जितने भी काम हैं उन्हें पहले पूरा कर लो. और अगर आप किसी competitive exam की तैयारी कर रहे हो तो coaching से वापस आने के बाद आप एक set लगा लो. अब शाम से समय बजाए इसके की TV देखो आप Net में कुछ पढ़ लो अपने subject से related कभी भी बहुत ज्यादा पढाई करने की कोशिश नहीं करनी चहिये.

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कुछ लोग सोचते हैं की 4 घंटे पढकर 60% आ जाते हैं तो अगर और ज्यादा पढ़ते तो और जायद number आ जाते. पर देखिये कोई time का formula नहीं हैं की अगर 4 घंटे पढ़कर 60% आते हैं तो 8 घंटे पढ़कर क्या 120% आते आपके. नहीं! आपके दिमाग की ये capicity हैं और ये जो capacity हैं ये धीरे धीरे ही बढेगी. आप केवल और केवल अपने chart के ऊपर मेहनत करिये. आप केवल ये कोशिश कीजिये की आप अधिक से अधिक समय productivily utilise कर पाए. और दूसरी चीज़ जो बहुत ही ज्यादा जरुरी हैं. आप अपने जिंदगी में ऊँचे मुकाम पर क्यूँ न पहुँच जाए. ये जो chart बना की बात हम कर रहे हैं इसको कभी भी मत छोड़ना. दुनिया में जितनी भी बड़ी companies हैं, जितने भी अरब – खरबपति लोग हैं वो अपनी जिंदगी को time table के हिसाब से चलाते हैं और इसी time table के हिसाबसे चलाते हैं जो तरीका हमने आपको सिखाया हैं.
आशा करते हैं आपको ये लेख पसंद आया होगा. अपने विचार हमे comment section में बताइए. धन्यवाद!

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