बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : एक समुद्र के तट पर सभी ऋतुओं में फलने वाला एक जामुन का विशाल वृक्ष था। उस वृक्ष पर रक्तमुख नाम का एक वानर निवास करता था। एक दिन संयोगवश करालमुख नाम का मगर समुद्र से निकल कर उस वृक्ष के नीचे आकर बैठ गया। वानर वृक्ष पर बैठा जामुन खा रहा था। मगर को देखकर उसने कहा-‘महाशय ! आप इस समय मेरे अतिथि हैं। लीजिए, इन मीठे-मीठे फलों से आपका स्वागत-सत्कार करता हूं। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने घर पर आ जाए, उसे अतिथि मानकर उसका स्वागत-सत्कार करना चैहिए। जिस घर से अतिथि निराश होकर लौट जाता है, उससे पितृगण और देवता विमुख हो जाया करते हैं।’ यह कहकर रक्तमुख नाम के उस वानर ने अच्छे-अच्छे जामुन चुनकर उस मगर को खाने के लिए दिए। मगर को जामुन बहुत मीठे लगे। उस दिन से दोनों में मित्रता हो गई।

Also Check : देशभक्ति की बेहतरीन कवितायें

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : एमगर अब नित्यप्रति वानर के पास आने लगा। वानर भी उसका मीठे-मीठे जामुनों से स्वागत करता। मगर अब अपनी पत्नी को जामुन ले जाकर खिलाने लगा। एक दिन मगर की पत्नी ने कहा-‘ये अमृत तुल्य जामुन के फल नित्यप्रति आपको कहां से मिल जाते हैं ?’ मगर ने कहा-‘समुद्रतट पर रक्तमुख नाम का एक वानर मेरा परम मित्र बन गया है। वह तट पर उगे एक जामुन के वृक्ष पर रहता है। वही मुझको यह फल दिया करता है। ” यह सुनकर मगर की पत्नी कहने लगी-‘जो वानर नित्यप्रति ऐसे मीठे फल खाता है, उसका हृदय तो बहुत ही मीठा होगा। यदि तुम मुझे अपनी प्रिय पत्नी समझते हो तो उस वानर का हृदय मुझे लाकर खिला दो।’ पत्नी के ऐसे विचार सुनकर मगर को बहुत दुख हुआ।

Also Check : शाही स्पर्श Akbar Birbal Stories in Hindi

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : एवह पली से बोला-‘प्रिये! तुम्हें मेरे मित्र के प्रति ऐसी बातें नहीं सोचना चाहिए। वह मेरा मित्र ही नहीं, सगे भाई के समान है। जरा सोची, वह तुम्हारे लिए कितने मीठे-मीठे फल भेजता है। उसके बाद तो यह फल मिलने बंद हो जाएंगे। मैं उसको किसी भी भांति नहीं मार सकता। तुम अपना यह दुराग्रह छोड़ दो।’ इस पर मगर की पत्नी ने कुछ नाराजगी से कहा-तुम एक जलचर हो और वह वानर थल पर विचरण करने वाला। तुम्हारा और उसका रक्त का संबंध भी नहीं है, फिर वह वानर तुम्हारा भाई कैसे हो गया ?” मगर बोला-‘भाई दो तरह के होते हैं। एक तो वह जो माता की कोख से जन्म लेता है। उसे सहोदर भाई कहा जाता है। दूसरा भाई अपनी वाणी और व्यवहार से बनाया जाता है। वाग्दान द्वारा बनाया हुआ भाई सगे भाई से भी श्रेष्ठ माना जाता है। ‘

Also Check : मीठा सच Akbar Birbal Stories in Hindi

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : एउसकी पत्नी कहने लगी-‘आज तक तो तुमने मेरी कोई बात तक नहीं टाली थी। मुझे ऐसा लगता है कि वह कोई वानर न आनाकानी कर रहे हो। आजकल मैं देख रही हूं कि रहते हो। तुम्हारे व्यवहार में भी अंतर आने लगा है। हूं। अब तुम मेरे साथ कोई बहाना नहीं बना सकते।’
मगर ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया कि वह अपना दुराग्रह त्याग दे, किन्तु उसकी पत्नी उसपर और भी क्रोधित होने लगी। उसने तो यहां तक कह कि यदि उसने उस वानर का हृदय लाकर उसे खाने को न दिया तो वह भूखी रहकर करके अपने प्राण त्याग देगी। मगर ने पुन अपनी पत्नी को पुनः समझाने का
प्रयास किया। वह बोला-‘अरे भाग्यवान ! बुद्धि से तो काम लो। जरा बताओ तो कि मैं किस प्रकार उसको मार सकता हूं। वह वृक्ष पर रहता है और मैं तट की बालू पर बैठा रहता हूं। मैं वृक्ष पर तो नहीं चढ़ सकता। फिर मैं उसको कैसे मार सकता हूं ?’ मगर की पत्नी भी जिद्दी थी। वह अपने निश्चय से न डिगी। इस प्रकार कई दिन मगर तट पर गया ही नहीं, वह अपनी पली को समझाने-बुझाने में ही लगा रहा। किंतु जब उसकी पली आमरण अनशन पर बैठ गई तो उसे विवश होकर वानर के पास जाना ही पड़ा। रास्ते-भर वह यही सोचता रहा कि किस प्रकार वह उस वानर को मारे।

Also Check : Child Labour in Hindi

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : एवानर ने जब अपने मित्र को इस प्रकार उदास आते देखा तो उसने चिंतित स्वर में पूछा-क्या बात है मित्र, आज कई दिनों में दिखाई दिए ? कुछ चिंतित भी दिखाई देते हो । आखिर इसका कारण क्या है ?’ मगर बोला-‘क्या बताऊं मित्र। आज मुझे तुम्हारी भाभी ने बहुत डांटा-फटकारा है। उसका कहना है कि भाई के समान मेरा जो मित्र मुझे नित्य-प्रति इतने मीठे-मीठे फल खिलाता है, और उसके लिए भी भेजता है, उस पर मैंने आज तक कोई उपकार नहीं किया | यहां तक कि मैंने उसे कभी घर पर भी निमंत्रित नहीं किया। उसने तो यहां तक कह दिया कि आज यदि मैं अपने भाई समान मित्र को घर पर नहीं लाया तो वह अपने प्राण त्याग देगी।’ ‘बस यही मेरी उदासी का कारण है। आज सारा दिन इसी क्लेश में बीता है। अब तुम्हें मेरे साथ मेरे घर चलना होगा। तुम्हारी भाभी बड़ी उत्सुकता से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है। उसने तुम्हारे स्वागत-सत्कार के लिए विविध प्रकार के व्यंजन भी तैयार कर लिए होंगे।’ वानर बोला-‘भाभी का आग्रह उचित ही है।

Also Check : P. T. Usha in Hindi 

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : एमित्रों में इतनी प्रगाढ़ता तो होनी ही चाहिए कि वे परस्पर एक-दूसरे का स्वागत-सत्कार कर सकें। किंतु मैं तो वृक्षों पर विचरण करने वाला जीव हूं, और तुम रहते हो सागर के जल में, फिर मैं वहां कैसे जा पाऊंगा। तुम ऐसा करो, भाभी को यहीं लिवा लाओ।” मगर बोला-‘नहीं मित्र। ऐसी बात नहीं है। हम जल में अवश्य है; किंतु मेरा घर तो समुद्र के मध्य स्थित एक टापू पर है। तुम मेरी पीठ पर चढ़कर वहां आनंद के साथ पहुंच सकते हो।’ वानर बोला-‘ऐसी ही बात है तो विलम्ब किसलिए ! चलो, हम चलते हैं।’ यह कहकर वानर उस मगर की पीठ पर जाकर बैठ गया। मगर उसे लेकर अपने स्थान की ओर चल पड़ा। जब वह मध्य समुद्र में पहुंचे तो वानर बोला-मित्र ! जरा धीरे चलिए। , मुझे बड़ा डर लग रहा है। लगता है अब गिरा कि तब गिरा।’ मगर ने सोचा कि अब तो यह मेरे अधिकार में आ ही चुका है। यहां से जा तो सकता नहीं। मरना तो इसे है ही, फिर क्यों न इसे सच्चाई बता दूं ? सुनकर कम-से-कम यह अपने अभीष्ट देवता का स्मरण तो कर ही लेगा। यही सोचकर वह वानर से बोला-‘मित्र ! स्त्री की बातों का विश्वास दिलाकर वास्तव में मैं तुम्हें यहां मारने लाया हूं। अतः चाहो तो अपने इष्ट देवता का स्मरण कर लो|’

Also Check : Rabindranath Tagore

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : एयह सुनकर वानर ने कहा-‘किंतु मेरा अपराध क्या है मित्र ? किस कारण से तुम मुझे मारना चाहते हो ? मैंने तो भाभी का भी कुछ नहीं बिगाड़ा है ?’ ‘बात यह है कि मेरी पत्नी तुम्हारा हृदय खाना चाहती है। उसका विचार है कि तुम इतने मीठे फल नित्य-प्रति खाते हो तो निश्चय ही तुम्हारा हृदय उन फलों से भी अधिक मीठा होगा। इसलिए तुम्हें यहां लाने के लिए मुझे यह नाटक रचना पड़ा है। ‘ यह सुनकर वानर तुरंत बोल उठा-मित्र ! यदि ऐसी ही बात थी तो तुमने मुझे तट पर ही क्यों न कह दिया, ताकि मैं जामुन के कोटर में सुरक्षित रखे अपने हृदय को साथ ही ले आता। अपनी भाभी को अपना हृदय देते हुए मुझे बड़ी प्रसन्नता होती। बिना सारी बात बताए तुम मुझे व्यर्थ ही यहां ले आए।’ मगर बोला-मित्र ! इसमें बिगड़ा ही क्या है ? यदि तुम अपना हृदय देना ही चाहते हो तो चलो, मैं तुम्हें वापस उसी वृक्ष के पास ले चलता हूं। तुम मुझे अपना हृदय दे देना। फिर तुम्हें मेरे साथ आने का कष्ट भी नहीं करना पड़ेगा।’ यह कहकर मगर उसकी वापस तट की ओर ले चला। रास्ते-भर वानर अपने देवी-देवताओं की मनौतियां करता रहा कि किसी तरह प्राण बच जाएं। जैसे ही तट निकट आया, उसने एक लम्बी छलांग भरी और कूदकर वृक्ष पर चढ़ गया।

Also Check : Amitabh Bachchan Success in Hindi 

बन्दर का मीठा कलेजा | Bandar Ka Meetha Kaleja : ए वृक्ष की सबसे ऊंची शाखा पर बैठकर वह सोचने लगा-‘मैं बहुत भाग्यशाली हूं जो आज मरते-मरते बचा हूं। किसी ने ठीक ही कहा है कि अविश्वस्त पर तो विश्वास करना ही नहीं चाहिए। जो विश्वस्त हो, उस पर भी अधिक विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि विश्वास के कारण उत्पन्न होने वाला संकट मनुष्य के मूल को भी नष्ट कर डालता है। वानर ऐसा सोच ही रहा था कि नीचे से मगर ने आवाज लगाई-मित्र ! अब शीघ्रता से मुझे अपना हृदय दे दो। तुम्हारी भाभी प्रतीक्षा कर रही होगी | * वानर क्रोधपूर्वक बोला-‘अरे मूर्ख, विश्वासघाती ! तुझे इतना भी नहीं पता कि किसी के शरीर में दो हृदय नहीं होते। कुशल चाहता है तो यहां से भाग जा और फिर कभी अपना काला मुख मुझे मत दिखाना।’ मगर बहुत लज्जित हुआ। वह सोचने लगा कि मैंने अपने हृदय का भेद इसे बताकर अच्छा नहीं किया। फिर भी उसका विश्वास पाने का लिए वह बोला-‘मित्र ! मैंने तो हंसी-हंसी में यह बात कही थी और तुम उसे सच मान बैठे। तुम्हारी भाभी बड़ी उत्सुकता से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही है।’ वानर बोला-दुष्ट ! अब तू मुझे धोखा देने की चेष्टा मत कर। मैं तेरे अभिप्राय को समझ चुका हूं। एक बार तेरा विश्वास कर लेने के बाद अब मेरा विश्वास तुझ पर से डिग गया है। कहा भी गया है कि भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता। क्षीण व्यक्ति करुणाविहीन होते हैं। क्या तुमने प्रियदर्शन सर्प और गंगादत नाम के मेढक की कथा नहीं सुनी ?’ ‘नहीं, मैंने नहीं सुनी।’ वह किस प्रकार है ?’ तब वानर ने उसे यह कथा सुनाई।

Also Check : History of India in Hindi

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.